
इंदौर। नगर निगम द्वारा हुकुमचंद मिल की जमीन मध्य प्रदेश गृह निर्माण मंडल को बेचे जाने के मामले में ढाई करोड़ रुपए की स्टाम्प ड्यूटी चोरी का प्रकरण दर्ज हो गया है। इस मामले में इन दोनों सरकारी निगम मंडलों के नाम पर नोटिस भी जारी कर दिए गए हैं। नगर निगम द्वारा इस मामले में जवाब प्रस्तुत करने के लिए वक्त मांगा गया है।
बंद हो चुकी हुकुमचंद मिल की जमीन पर नगर निगम का मालिक होने के नाते अधिकार है। निगम द्वारा मध्य प्रदेश गृह निर्माण मंडल के साथ एक एग्रीमेंट किया गया, जिसके तहत इस जमीन को गृह निर्माण मंडल को सौंपा गया। एग्रीमेंट के अनुसार इस जमीन का विकास करने का कार्य गृह निर्माण मंडल करेगा और फिर जमीन का विक्रय करने से होने वाली कमाई दोनों विभागों में आधी-आधी बांट दी जाएगी। इस एग्रीमेंट के तहत काम करने के लिए यह जरूरी था कि इस जमीन का टाइटल गृह निर्माण मंडल के नाम पर किया जाए। इसके लिए नगर निगम द्वारा जमीन के विक्रय की रजिस्ट्री गृह निर्माण मंडल के नाम पर की गई। यह रजिस्ट्री 29 मार्च 2025 को रजिस्ट्रेशन नंबर एमपी 179142025ए 1234437 से की। इसमें जमीन की कीमत 218 करोड बताकर 20.77 करोड रुपए की स्टाम्प ड्यूटी तथा 6.12 करोड रुपए पंजीयन शुल्क चुकाया गया। मप्र कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता प्रमोद कुमार द्विवेदी ने बताया कि मिल की इस जमीन पर जो मजदूरों की देनदारी थी, उसे गृह निर्माण मंडल के द्वारा चुकाया गया।
यदि इस देनदारी को भी जमीन की इस कीमत में जोड़ दिया जाए तो गृह निर्माण मंडल को यह जमीन 421 करोड़ रुपए में मिली। ऐसे में इस जमीन की रजिस्ट्री 421 करोड़ रुपए की ही कराई जाना चाहिए थी। कम राशि की रजिस्ट्री करा कर नगर निगम और मध्य प्रदेश गृह निर्माण मंडल द्वारा पंजीयन विभाग को करीब 2.48 करोड रुपए की स्टाम्प ड्यूटी कम चुकाई गई। इसके साथ ही संपत्ति की वास्तविक स्थिति भी छुपाई गई है। मिल की जमीन पर हजारों पेड़, चार कुएं, दो तालाब तथा एक पुरानी संरचना भी है। इसका कोई जिक्र इस रजिस्ट्री में नहीं किया गया। उपपंजीयक ज्योति रावत ने उक्त दस्तावेज को स्टाम्प एक्ट की धारा 48 ख में जिला पंजीयक राठौड़ क्षेत्र 3 को भेजा। जिला पंजीयक ने समस्त दस्तावेज का अवलोकन किया और इस मामले में स्टांप शुल्क की चोरी का प्रकरण दर्ज किया। पंजीयन कार्यालय के द्वारा इस मामले में इंदौर नगर निगम और गृह निर्माण मंडल को नोटिस जारी कर दिया गया है। इस नोटिस पर नगर निगम कार्यालय ने जवाब देने के लिए वक्त मांग लिया है। गृह निर्माण मंडल ने नोटिस लिया है परंतु इसके बाद कुछ नहीं किया है।
अपने तरह का पहला मामला
इस संबंध में द्विवेदी ने बताया कि मप्र में सरकार को सरकारी विभागों व्दारा ही राजस्व की हानि पहुंचाने का यह अपने तरह का पहला सनसनीखेज मामला है। उनके द्वारा इस मामले की शिकायत उच्च स्तर पर करते हुए दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है।
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