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अभिनेत्री राशी खन्ना बोलीं- ‘मैं अब डरकर नहीं, सोच-समझकर फैसले लेती हूं’

November 27, 2025

डेस्क। राशी खन्ना (Rashii Khanna) फिल्म ‘120 बहादुर’ में फरहान अख्तर के साथ नजर आईं। इस फिल्म में उन्होंने एक राजस्थानी किरदार निभाया, जिसे काफी सराहा गया। अलग-अलग भाषाओं की फिल्मों (Movies) में काम करने के बाद अब वह लगातार नए और चैलेंजिंग किरदारों (Challenging Characters) की तलाश में हैं। राशी ने बताया कि हर भाषा और संस्कृति को अपनाना उनके लिए कितना चुनौतीपूर्ण रहा। इसी बातचीत में उन्होंने टाइपकास्टिंग, स्क्रिप्ट सिलेक्शन और अपने ड्रीम रोल्स पर भी विचार साझा किए।

मुझे लगता है कि ये एक ब्लेसिंग है कि मैं अलग-अलग भाषाओं और संस्कृतियों में किरदार निभाती हूं। चैलेंजिंग भी रहता है क्योंकि आसान नहीं होता। लेकिन मेरा मानना है कि यही एक्टर होने का सबसे दिलचस्प हिस्सा है। जब मैं सेट पर पहले दिन जाती हूं तो मुझे थोड़ी नर्वसनेस होती है। क्योंकि आपको पता होता है कि आप पर प्रेशर है…सही एक्सेंट देना है, सही इमोशन देना है और उस भाषा में ऑथेंटिक लगना भी जरूरी है।


वहीं नर्वस एनर्जी मुझे ग्रो करने में मदद करती है। मैंने ‘120 बहादुर’ में राजस्थानी किरदार निभाया। अपने अगले शो में मैं पंजाबी बनी और मैंने बंगाली लड़की का किरदार भी निभाया। हर बार पहला दिन सबसे चैलेंजिंग होता है। लेकिन धीरे-धीरे मैं किरदार में ढल जाती हूं। आज अगर आप मुझसे पूछें कि मैं कौन हूं तो शायद मैं खुद भी नहीं बता पाऊंगी। मुझे लगता है कि मैं सच्ची इंडियन हूँ क्योंकि मैंने इतने अलग-अलग रूप निभाए हैं। मेरे लिए ये चैलेंज से ज्यादा फिल्मों के जरिए मिली एक ब्लेसिंग है।

मुझे लगता है कि मेरी सबसे बड़ी ताकत यह है कि मैं दिल से आगे बढ़ती हूं, दिमाग से नहीं। मैं बहुत इमोशनल हूं और मुझे नहीं लगता कि यह नेगेटिव बात है। आज की दुनिया में इमोशन्स फील करना एक बड़ी ताकत हो सकती है। मेरी यही वल्नरेबिलिटी मुझे किरदारों के सच के करीब ले जाती है। मैं सिर्फ लोगों को ऑब्ज़र्व नहीं करती, बल्कि उन्हें अब्जॉर्ब भी करती हूँ। शायद यही मेरी सबसे बड़ी ताकत है।

जब मैं स्क्रिप्ट पढ़ती हूँ, तो सबसे पहले यह देखती हूँ कि कहानी में सच्चाई कितनी है। इसके बाद किरदार पर ध्यान देती हूँ। क्या उसकी आंखों में दम है? क्या वो मुझे इमोशनली छू रहा है? क्या मैं उसकी जर्नी महसूस कर पा रही हूं? अगर सही जगह मैं हंस रही हूं और सही जगह रो रही हूं तो मेरे लिए वही सही स्क्रिप्ट होती है। मेरे लिए स्क्रिप्ट का इमोशनल ट्रुथ सबसे जरूरी होता है।

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