इंदौर। मध्यप्रदेश में पहले दो चरण में बहुत कम मतदान के बाद मतदान का प्रतिशत बढ़ाने के लिए राजनीतिक दलों से ज्यादा सक्रियता प्रशासन ने दिखाई। इसी का नतीजा था कि आखिरी चरण में भाजपा और कांग्रेस की अपेक्षा से ज्यादा मतदान हो गया।
ज्यादा से ज्यादा मतदान के लिए कलेक्टरों ने अपने संसदीय क्षेत्र में नए-नए फार्मूले लागू किए। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वीप गतिविधि के तहत विभिन्न आयोजन, नुक्कड़ नाटक, मैराथन, साइकिल रैली, मेहंदी, रंगोली प्रतियोगिता आयोजित की गई। शहरी क्षेत्रों में व्यापारिक और सामाजिक संगठनों के माध्यम से मतदाताओं के लिए आकर्षक डिस्काउंट, मुफ्त नाश्ता जैसे प्रयास बहुतायत में हुए। ग्रामीण क्षेत्रों के बड़े कस्बों में भी इसी तरह के प्रयास हुए। प्रशासन ने पहली बार शत प्रतिशत मतदाता पर्ची वितरण पर फोकस किया और जिन्हें 8 मई तक पर्ची नहीं मिली उन्हें फ्री मूवी टिकट देने की बात कही।
इसी के चलते 240 लोगों ने निर्वाचन शाखा से संपर्क किया। इन लोगों को वेरिफिकेशन के बाद टिकट उपलब्ध करवा दिए जाएंगे। जिन बीएलओ ने नियत दिनांक तक पर्ची नहीं बांटी उन्हें चेतावनी देकर एक्शन भी लिया गया। प्रशासन ने धर्मगुरुओं के माध्यम से वोट की अपील कराई। इसका भी अच्छा असर देखा गया। इसी तरह सामाजिक संगठनों के माध्यम से भी ज्यादा से ज्यादा मतदान की अपील की गई। गर्मी को ध्यान में रखते हुए मतदान केंद्रों पर छांव के साथ कई केंद्रों पर छांछ, पना की व्यवस्था तो की ही गई, 56 दुकान पर उन लोगों के लिए नाश्ते की व्यवस्था रखी गई, जो मतदान करके वहां पहुंचे थे। इंदौर में कलेक्टर आशीष सिंह की पहल के चलते अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में प्रचार वाहन भी भेजे गए। इनके माध्यम से लोगों को मतदान का महत्व समझाते हुए हर हालत में मतदान केंद्र तक पहुंचने का अनुरोध किया गया।
संभाग आयुक्त और आईजी तक पहुंचे थे घर-घर
संभाग आयुक्त दीपक सिंह और इंदौर ग्रामीण रेंज के आईजी अनुराग ने भी इंदौर संभाग के जिलों के अपने दौरे के दौरान मतदाता जागरूकता अभियान में घरों तक दस्तक दी थी और सभी से मतदान का अनुरोध किया था। प्रशासन ने अधिक से अधिक मतदान के लिए अलग-अलग संगठनों के माध्यम से जो प्रचार-प्रसार करवाया वह भी मतदान का प्रतिशत बढ़ाने में मददगार रहा।
झाबुआ में बने पोलिंग बूथ पूरे प्रदेश में चर्चा में रहे
झाबुआ कलेक्टर नेहा मीना और एसपी पद्मविलोचन शुक्ला के संयुक्त प्रयासों के चलते जिले में इस बार बड़ी संख्या में सर्वसुविधायुक्त मतदान केंद्र बनाए गए थे। इन मतदान केंद्रों पर आदिवासी संस्कृति की साज-सज्जा वाले टेंट लगवाकर कूलर की व्यवस्था की गई। ठंडे पानी के साथ छांछ, केरी का पना भी रखवाया गया। आदिवासी संस्कृति के प्रचार-प्रसार के साथ ही मतदाताओं को मार्गदर्शन देने के लिए सरकारी स्टाफ की व्यवस्था की गई।
मुख्यमंत्री ने भी दी थी सख्त हिदायत
पहले दो चरण में कई संसदीय क्षेत्रों में बहुत कम मतदान से भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व भी बहुत नाराज था। वहां से मिली हिदायत के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अंतिम दो चरण में ज्यादा से ज्यादा मतदान के लिए संबंधित जिलों के कलेक्टरों को भी सख्त हिदायत दी थी। सूत्रों के मुताबिक कलेक्टरों से कहा गया था कि हर हालत में मतदान 70 प्रतिशत के ऊपर ही होना चाहिए।
खरगोन में कलेक्टर ने भेजा था बुलावा,सबसे ज्यादा मतदान
खरगोन कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने जिले में सरकारी कर्मचारियों के माध्यम से मतदान के लिए घर-घर बुलावा भिजवाया था। सरकारी कर्मचारी छोटे-छोटे दल बनाकर घर-घर पहुंचे और लोगों से हर हालत में मतदान का आग्रह किया। इसी का नतीजा रहा कि जिन आठ लोकसभा क्षेत्रों में चौथे चरण में मतदान हुआ वहां खरगोन बाजी मार गया।
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