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यूक्रेन को ‘पाकिस्‍तान’ बनाना चाहता है अमेरिका, भारत की तरह से रूस को घेर रहा: एक्‍सपर्ट

February 22, 2022

वॉशिंगटन। व्‍लादिमीरी पुतिन के पूर्वी यूक्रेन में सेना भेजने के बाद अमेरिका समेत पश्चिमी देश रूस के खिलाफ हमलावर हैं। अमेरिका ने संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाई, वहीं नाटो देश अब प्रतिबंध लगाने के विचार कर रहे हैं। इस बीच विशेषज्ञों का कहना है कि पुतिन के लिए यूक्रेन ठीक उसी तरह से है जैसे भारत के लिए उसकी पश्चिमी सीमा पर पाकिस्‍तान का निर्माण है। उनका कहना है कि अमेरिका ने 198 साल पुराने मुनरो सिद्धांत का पालन करते हुए अपने आसपास एक भी शत्रु राष्‍ट्र नहीं पैदा होने दिया, वहीं वह खुद रूस के खिलाफ उसके पड़ोसी देश यूक्रेन को अरबों डॉलर का हथियार दे रहा है।

यू्क्रेन संकट पर रक्षा मामलों के नामचीन विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी ट्वीट करके कहते हैं, ‘पुतिन जो कह रहे हैं, वह एक तरह से यह है कि रूस अपनी पश्चिमी और दक्षिणी सीमा पर एक ‘पाकिस्‍तान’ के निर्माण को सहन नहीं करेगा। जहां चीन अब वैश्विक ताकत के रूप में अमेरिका की जगह ले रहा है, वहीं रूस अपने पड़ोस में अपनी सुरक्षा चिंताओं को दूर करने पर फोकस कर रहा है। रूस की इन चिंताओं को अमेरिका को अवश्‍य शांत करना होगा।’

अमेरिका ने पाकिस्‍तान को बनाया था सीटो और सेंटो का सदस्‍य
चेलानी ने कहा, ‘इसलिए यह संकट नाटो की अग्रिम नीति को लेकर है जिसके बारे में साल 1994 में तत्‍कालीन रूसी राष्‍ट्रपति बोरिस येल्तसिन ने चेतावनी दी थी और कहा था कि यह यूरोप को एक बार‍ फिर से बांट देगा। यूक्रेन में पुतिन वही रोकने की कोशिश कर रहे हैं जिसे 1950 के दशक से अमेरिका ने भारत की सीमा पर हमारे शत्रु पाकिस्‍तान को सीटो और सेंटो (अमेरिकी गठबंधन) का सदस्‍य बनाकर किया था।’


रक्षा मामलों के विशेषज्ञ चेलानी ने कहा, ‘अपने गोलार्द्ध में अमेरिका अभी भी 198 साल पुराना मुनरो सिद्धांत लागू करने की कोशिश कर रहा है ताकि कोई भी शत्रु देश पैदा न होने पाए। फिर भी उसने नाटो को रूसी की सीमा तक विस्‍तार दिया है। इसके अलावा अमेरिका ने बाल्टिक देशों में सेना को तैनात किया है। उसने साल 2014 से लेकर अब तक यूक्रेन में 2.5 अरब डॉलर के हथियार भेजे हैं।’

जानें, क्‍या है सीटो और सेंटो, पाकिस्‍तान बना था सदस्‍य
दरअसल, अमेरिका ने 1950 के दशक में सोवियत संघ को घेरने के लिए सीटो (SEATO) और सेंटो (CENTO) गठबंधन का गठन किया था। पाकिस्‍तान इसका सदस्‍य था जहां भारत ने गुटनिरपेक्ष नीति का पालन किया था। सीटो और सेंटो बनने के बाद अमेरिका ने पाकिस्‍तान को कई घातक हथियार दिए थे जिसे उसने भारत के खिलाफ युद्ध में इस्‍तेमाल किया था। सीटो का मतलब है दक्षिण एशिया ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन और सेंटो का मतलब है कि सेंट्रल ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन।

यूक्रेन में बुरी तरह से फंस गए हैं नाटो देश !
बता दें कि पुतिन ने यूक्रेन के दो विद्रोही इलाकों को मान्‍यता देकर पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया है। रूसी सेना पूर्वी यूक्रेन के डोनेट्स्क और लुहान्स्की इलाके में बड़े पैमाने पर पहुंच गई है। पुतिन के इस कदम के बाद अब संयुक्‍त राष्‍ट्र में आपात बैठक हुई है। इसमें रूस के कदम की आलोचना की गई है। इससे पहले अमेरिका ने यूक्रेन पर रूसी हमले की चेतावनी दी थी लेकिन पुतिन ने करीब दो लाख सैनिक तैनात करने के बाद भी हमला नहीं किया और विद्रोही इलाकों को मान्‍यता दे दी। विशेषज्ञों का मानना है कि पुतिन के इस दांव से अब नाटो बुरी तरह से फंस गया है।

डोनेट्स्क और लुहान्स्की इलाका लंबे समय से रूस समर्थक अलगाववादियों के कब्‍जे में है। इसलिए रूस के मान्‍यता देने से जमीनी स्‍तर पर कोई बदलाव नहीं आया है। रूस का यूक्रेन के दो इलाकों को मान्‍यता देना ठीक उसी तरह से है जैसे रूस ने वर्ष 1993 में दक्षिणी ओसेतिया और अबखाजिया को मान्‍यता दी थी। रूस और जार्जिया के साथ युद्ध के बाद ये दोनों ही ज‍िले जार्जिया से अलग हो गए थे। विशेषज्ञों के मुताबिक रूस के कदम से जमीनी स्‍तर पर भले ही कोई बदलाव न आए लेकिन यूक्रेन अब हमेशा के लिए अस्थिरता की स्थिति में पहुंच गया है।

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