मॉस्को। भारत-पाकिस्तान (India–Pakistan) के बीच चल रहे तनाव के बीच हिन्दुस्तान के भरोसेमंद और दोस्त रूस (Russia) ने अपने एक कदम से पूरी दुनिया को चौंका दिया है। एक आश्चर्यजनक कदम उठाते हुए रूस ने चीन को अत्याधुनिक एस-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली की आपूर्ति की हैं। स्थानीय समाचार पोर्टल ‘एबीएन 24’ ने यह जानकारी दी है। रूसी ‘एस-400 ट्रायम्फ’ वायु रक्षा प्रणाली को अपनी श्रेणी में दुनिया की सर्वश्रेष्ठ प्रणालियों के तौर पर देखा जाता है। इस मिसाइल को उसकी विशेषताओं और विभिन्न प्रकार के हवाई लक्ष्यों को रोकने की अचूक क्षमता के लिए जाना जाता है।
चीन ने 2014 में कई ‘एस-400 ट्रायम्फ’ खरीदने के लिए रूस के साथ अरबों डॉलर के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे लेकिन अब 11 साल बाद उस सौदे के बारे में रोचक विवरण सामने आए हैं, जब रूस ने इसकी सप्लाई चीन को की है। ‘एबीएन 24’ की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस सौदे ने दुनिया भर का ध्यान आकर्षित किया है और इसे चीनी-रूसी सैन्य गठजोड़ का एक महत्वपूर्ण प्रतीक माना गया। इसे चीन द्वारा अपनी राष्ट्रीय वायु रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।
मिसाइल सप्लाई की टाइमिंग अहम
रूस ने चीन को ये एयर डिफेंस सिस्टम मिसाइल ऐसे वक्त में सप्लाई की हैं, जब भारत और फ्रांस ने सोमवार को भारतीय नौसेना के लिए लगभग 64,000 करोड़ रुपये की लागत से भारतीय नौसेना के विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर तैनाती के लिये राफेल लड़ाकू विमानों के 26 नौसैनिक संस्करण खरीदने के वास्ते एक अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए। इन राफेल लड़ाकू विमानों से भारत की समंदर में ताकत बढ़ जाएगी, जहां चीन अपना दबदबा दिखाता रहा है।
रूस ने मिसाइल में किया बदलाव, चीन चकित
चीनी पत्रकारों का कहना है कि चीन रूसी वायु रक्षा प्रणालियों पर बहुत अधिक निर्भर है। उन्हें एक शक्तिशाली चीनी वायु रक्षा प्रणाली बनाने की कुंजी माना जाता था क्योंकि ये प्रणालियां वास्तव में उत्कृष्ट हथियार हैं। हालांकि चीनी पत्रकारों की बातों में एक तथ्य को ध्यान में नहीं लिया गया है। रूस ने एस -400 में कुछ आश्चर्यजनक बनाकर अपने हितों का ख्याल रखा है।
चीन का मानना है कि रूस ने चीन को अपने उपकरण का बहुत ही सामान्य संस्करण दिया है तथा कुछ उन्नत कार्यप्रणालियों (क्षमताओं) को रोक लिया है। चीन इस बात से आश्चर्यचकित है कि ‘‘स्पष्टतः, एस-400 के निर्यात संस्करण प्रमुख प्रौद्योगिकियों तक सीमित हो सकते हैं।’’ चीनी पत्रकारों के अनुसार, रूस इस प्रकार अपने तकनीकी रहस्यों को नकल होने से बचा रहा है और विदेशी सेनाओं की अपने सशस्त्र बलों के साथ प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता को भी सीमित कर रहा है।
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