तालिबान के एक सम्मेलन में भारत समेत 10 देश हुए शामिल, जानिए क्‍या है इस बैठक के मायने

काबुल (Kabul) । भारत (India) समेत लगभग 10 देशों ने सोमवार को काबुल में तालिबान (Taliban) द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में भाग लिया। यह बैठक (meeting) क्षेत्र में व्यापक सहयोग को लेकर आयोजित की गई थी। तालिबान की बैठक में भारत के शामिल होने के कई मायने निकाले जा रहे हैं। बता दें कि भारत ने अभी तक तालिबान के शासन को मान्यता नहीं दी है और वह काबुल में वास्तव में समावेशी सरकार के गठन की वकालत करता रहा है। इस बैठक के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि भारत क्षेत्रीय सहयोग के उद्देश्य से तालिबान के साथ ‘संबंध’ बनाए रखना चाहता है।

‘क्षेत्रीय सहयोग पहल’ बैठक को तालिबान शासन के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने संबोधित किया। इसमें भारत के अलावा रूस, चीन, ईरान, पाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, कजाकिस्तान, तुर्की और इंडोनेशिया के राजनयिकों ने भी भाग लिया। रूस की ओर से अफगानिस्तान के लिए उसके विशेष प्रतिनिधि जमीर काबुलोव शामिल हुए। हालांकि अभी तक इस बैठक पर भारतीय अधिकारियों की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया। इससे पहले संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में भारतीय भारतीय दूतावास ने कार्यवाहक अफगान दूत बदरुद्दीन हक्कानी को अबू धाबी में गणतंत्र दिवस समारोह में आमंत्रित किया था।

तालिबान विदेश मंत्रालय के उप प्रवक्ता हाफिज जिया अहमद ने बैठक में शामिल हुए भारतीय प्रतिनिधि के हवाले से कहा कि भारत अफगानिस्तान में स्थिरता लाने को लेकर होने वाली सभी पहलों का समर्थन करता है। अहमद ने एक्स पर एक पोस्ट में भारतीय प्रतिनिधि के हवाले से कहा, “भारत अफगानिस्तान से जुड़ी अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय पहलों में सक्रिय रूप से भाग लेता है और अफगानिस्तान की स्थिरता और विकास के लिए हर प्रयास का समर्थन करता है।”

तालिबान के विदेश मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि उनका देश क्षेत्र के देशों के साथ संबंधों को महत्वपूर्ण मानता है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इन देशों को “अफगानिस्तान के साथ सकारात्मक बातचीत बढ़ाने और जारी रखने के लिए बातचीत करनी चाहिए”। तालिबानी मंत्री ने हिस्सा लेने वाले देशों से क्षेत्र के विकास के लिए अफगानिस्तान में उभरते अवसरों का लाभ उठाने और “संभावित खतरों को मैनेज करने के वास्ते सहयोग” करने को भी कहा है।

अफगानिस्तान में 3 अरब डॉलर निवेश करने वाला भारत इस क्षेत्र का सबसे बड़ा दानदाता है। भारत ने अगस्त 2021 में काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद अपने सभी राजनयिकों और अधिकारियों को देश से बाहर निकाल लिया था। इसके बाद भारत ने जून 2022 में काबुल स्थित अपने मिशन में एक “तकनीकी टीम” तैनात की थी। इसके बाद से वरिष्ठ भारतीय राजनयिकों ने पश्चिम एशियाई देशों में और अफगानिस्तान पर रूस द्वारा आयोजित बैठकों के इतर तालिबान अधिकारियों के साथ भी बातचीत की है।

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