17 मुनक्का निर्माताओं की होगी जांच, 500 करोड़ का है टर्नओवर

  • भांग माफिया के साथ है गठजोड़, कलेक्टर ने दिए आदेश, भांग की वैध खपत से कई गुना ज्यादा बनती है मुनक्का, गरीब तबके से लेकर युवा वर्ग चपेट में

इंदौर। यह पहला मौका है जब भांग घोटा दुकानों के साथ-साथ मुनक्का निर्माताओं की जांच भी प्रशासन द्वारा कराई जा रही है। भांग माफिया मोहम्मद मुजाहिद उर्फ मंजूर खान को रासुका में निरूद्ध करने के बाद पुलिस ने कल देर रात उसके फार्म हाउस से गिरफ्तार कर उसे सेंट्रल जेल भेज दिया है। दूसरी तरफ कलेक्टर मनीष सिंह एक जांच दल बनाकर 17 मुनक्का निर्माताओं के उत्पादन, भांग खपत से लेकर विक्रय की जांच शुरू करवा रहे हैं। इंदौर में सनन, मस्ताना, काला घोड़ा, माहेश्वरी जैसे बड़े ब्रांड मुनक्का का उत्पादन करते हैं और लगभग 500 करोड़ रुपए का टर्नओवर बताया जाता है। आयुष औषधि के नाम पर बनाई जाने वाली मुनक्का में सस्ती भांग के साथ केमिकल मिलाकर उसे अधिक नशीली बनाया जाता है और इसके तबके में गरीब तबके से लकर युवा वर्ग आ रहा है।

मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने सभी तरह के माफिया के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश पुलिस-प्रशासन को दे रखे हैं, जिसके चलते इंदौर में भूमाफिया के साथ-साथ राशन, मिलावट, ड्रग, खनन सहित अन्य माफिया के खिलाफ लगातार कार्रवाई कलेक्टर मनीष सिंह करवाते रहे हैं। इसी कड़ी में पहली बार भांग माफिया को रासुका में निरूद्ध किया गया, जिसे कल इंदौर पुलिस ने उसके देवास स्थित फार्म हाउस से पकड़ा। नफीस बैकरी परिवार से सम्बद्ध भांग माफिया मंजूर खान पिछले कई सालों से इंदौर का ठेका लेता रहा है। पिछले दिनों कलेक्टर मनीष सिंह ने उसके 28 लाइसेंसी दुकानों के ठेके एक साथ निरस्त कर दिए थे और आबकारी विभाग द्वारा ही इन दुकानों का संचालन किया जा रहा है।

वहीं यह भी पता चला कि इंदौर जो कि मुनक्का निर्माण का सबसे बड़ा गढ़ है, उसकी लगातार खपत बढ़ती जा रही है। इंदौर में 17 मुनक्का निर्माता हैं जो आयुष और आबकारी विभाग से औषधि बनाने के लिए अनुमति लेते हैं, मगर स्वीकृत फार्मूले के तहत मुनक्का ना बनाकर उसमें नशे के लिए अत्यधिक मात्रा में तस्करी के जरिए जुगाड़ की गई सस्ती भांग और अन्य आपत्तिजनक सामग्री डाली जाती है, ताकि नशे की वस्तु के रूप में उसका सेवन किया जा सके और गरीब तबका, जिसमें ऑटो, ठेला चलाने वाले से लेकर मजदूर शामिल हैं, के साथ-साथ युवा वर्ग भी इसका सेवन सस्ती होने के कारण करता है। कलेक्टर मुनक्का निर्माताओं के कारखानों की जांच के लिए एक दल भी गठित कर रहे हैं। इंदौर में मस्ताना, काला घोड़ा जैसे बड़े ब्रांड मुनक्का का निर्माण करते हैं।

आयुष औषधि के नाम पर मुनक्का निर्माण की मिलती है अनुमति
मुनक्का दरअसल आयुर्वेदिक औषधि के रूप में बनाई और बेची जाती है। मगर बीते कुछ वर्षों से नशे के लिए धड़ल्ले से इसका उपयोग होने लगा और भांग व मुनक्का निर्माता के गठजोड़ के चलते बड़ी संख्या में अवैध भांग और नशीले पदार्थों से मुनक्का तैयार कराई जाती है। आयुष और आबकारी विभाग से अनुमति लेकर ही वैध भांग का इस्तेमाल मुनक्का निर्माण में किया जा सकता है। मगर जितनी भांग इंदौर के मुनक्का निर्माता अधिकृत रूप से खरीदते हैं उससे कई गुना अधिक का इस्तेमाल तस्करी के जरिए खरीदी जाने वाली भांग का करते हैं। उत्तरप्रदेश और अन्य बाहरी राज्यों से भी ये सस्ती भांग मंगाई जाती है, जो कि 20-25 रुपए किलो पड़ती है। जबकि वैध भांग 250 रुपए किलो तक मिलती है।

तस्करी के लिए ही सालों से मंजूर लेता रहा इंदौर का ठेका
इंदौर में 28 भांग घोटा, मिठाई की दुकानों के ठेके सालों से मंजूर खान ही लेता रहा है। आबकारी विभाग को भी दो-ढाई करोड़ रुपए की राशि मिलती है और हर साल ठेके में कुछ बदली कर मंजूर खान ही ठेके हासिल करता रहा और उसकी मोनोपाली हो गई और भांग तस्करी का वह सबसे बड़ा खिलाड़ी बन गया।

भांग घोटा दुकानों की संख्या भी हो जाएगी अब आधी
कलेक्टर मनीष सिंह ने शासन को यह प्रस्ताव भेजा है कि वर्तमान में इंदौर जिले में जो 28 दुकानें हैं उनकी संख्या आधी कर दी जाए और अलग-अलग दुकानों का ग्रुप बनाकर ठेका दिया जाए, ताकि कोई संगठित भांग माफिया समूह भविष्य में पनप न सके। पुलिस-आबकारी महकमा भी माफिया की मदद करता रहा।

एक और कुख्यात अपराधी पासी को भी किया रासुका में निरूद्ध
कलेक्टर मनीष सिंह ने एक और कुख्यात अपराधी सुनील पिता अमरलाल पासी को भी रासुका में निरूद्ध किया है। उसके खिलाफ विभिन्न थानों में 31 अपराध पंजीबद्ध हैं, जिनमें सबसे ज्यादा थाना बाणगंगा में 27 और एरोड्रम थाने पर 4 प्रकरण पंजीबद्ध हैं।

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