1100 करोड़ की 360 एकड़ जमीन बायपास के कंट्रोल एरिया में होगी सुरक्षित

  • सर्विस रोड को फोर लेन में बदलने की तैयारी… केन्द्र से मंजूर 83 करोड़ से निगम करेगा काम, जमीन मालिकों को टीडीआर सर्टिफिकेट का लाभ देने के भी प्रयास

इन्दौर। बायपास (Bypass) की सर्विस रोड ( Service Road) को फोरलेन (Fourlane) में परिवर्तित करने का काम निगम द्वारा शुरू किया जाएगा, जिसके लिए अभी केन्द्र सरकार ( Central Government) ने 83 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। फिलहाल शहरी क्षेत्र की और 21 किलोमीटर की सर्विस रोड को चौड़ा किया जाना है। उससे भी यातायात (Traffic )में बहुत सुगमता हासिल हो सकेगी। इंदौर कलेक्टर (Indore Collector)  ने बायपास (Baypass) के दोनों ओर साढ़े 22 मीटर जमीनों को सुरक्षित करने का प्रस्ताव शासन को भिजवा दिया है, जिसके चलते अभी उतनी ही निजी जमीनें भी सुरक्षित करवाई जा रही हैं। नगर तथा ग्राम निवेश के मुताबिक बायपास के दोनों तरफ लगभग 360 एकड़ निजी जमीनें इस साढ़े 22 मीटर एरिया में आ रही हंै, जिसकी वर्तमान कलेक्टर गाइड लाइन से कीमत लगभग 1100 करोड़ रुपए होती है। लेकिन जमीन मालिकों को मिश्रित भू-उपयोग का फायदा शेष पीछे की साढ़े 22 मीटर पर दिया जाएगा।

20 साल पूर्व बने इंदौर बायपास (Indore Baypass)  का सत्यानाश सर्विस रोड (service road) और उसके साथ बने संकरे बोगदों के चलते नेशनल हाईवे अथॉरिटी ने कर दिया और 2035 तक टोल टैक्स अलग ठोंक दिया है। रही-सही कसर बायपास के दोनों ओर मैरिज गार्डन, होटल, टाउनशिप और अन्य निर्माणों ने कर दी, जिनके खिलाफ अब नगर निगम ने मोर्चा खोला है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान (CM ShivrajSingh Chouchan) के समक्ष इंदौर के भावी मास्टर प्लान (Master Plan)  और अन्य प्रमुख प्रोजेक्टों-सडक़ों के संबंध में कलेक्टर मनीष सिंह ने प्रजेंटेशन दिया था। उसमें इंदौर बायपास को भी भविष्य के लिए सुरक्षित रखने के प्रावधान किए जाने के सुझाव दिए गए, जिस पर मुख्यमंत्री की घोषणा क्र. 0448 को लेकर कलेक्टर ने मध्यप्रदेश शासन नगरीय विकास और आवास विभाग को पत्र भी भेजा है, जिसमें वर्तमान के 45-45 मीटर के दोनों ओर के कंट्रोल एरिया को घटाकर आधा, यानी साढ़े 22 मीटर करने का सुझाव दिया है, ताकि वर्तमान के सर्विस रोड की चौड़ाई भी बढ़ाई जा सके। अभी सर्विस रोड संकरा तो पड़ता ही है, वहीं तमाम गतिविधियों के चलते आए दिन जाम लगा रहता है और शादियों के सीजन में तो लोग घंटों सर्विस रोड और बोगदों में फंसते हैं और स्कूलों की बसों के कारण भी जाम लगता है। हालांकि अभी इन बसों का संचालन बंद है। 45 मीटर कंट्रोल एरिया की जमीन चूंकि निजी है और उसका अधिग्रहण किया जाना भी संभव है, क्योंकि नए भूमि अधिग्रहण एक्ट के मुताबिक दो से चार गुना तक मुआवजा देना पड़ेगा। 1 जनवरी 2008 से लागू इंदौर के मास्टर प्लान के मुताबिक बायपास के 45 मीटर के कंट्रोल एरिया को छोडक़र ही नगर तथा ग्राम निवेश अभिन्यास मंजूर करता रहा और उसी आधार पर पहले ग्राम पंचायतों और उसके बाद निगम सीमा में शामिल क्षेत्रों में भवन अनुज्ञा जारी की जाती रही। लेकिन 30.01.2018 को नगरीय विकास एवं आवास विभाग मंत्रालय ने पत्र जारी कर कंट्रोल एरिया की चौड़ाई 45 के बजाय 12 मीटर ही कर दी और शेष 33 मीटर में 13 मीटर की ऊंचाई तक बिल्डिंगों के निर्माण की मंजूरी दे दी, जिसके आधार पर नगर तथा ग्राम निवेश ने 22 अभिन्यास मंजूर किए, जिनको स्थगित कर अब सुनवाई की प्रक्रिया करना पड़ रही है। हालांकि मौके पर दी गई स्वीकृति के विपरीत भी निर्माण हो गया है और अभी निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने बायपास के दोनों ओर 45 मीटर के कंट्रोल एरिया में चिह्नित 650 अवैध निर्माणों को नोटिस जारी करवाए हैं, जिनमें कई रसूखदारों के बड़े निर्माण भी शामिल हैं। वहीं कलेक्टर के पत्र के आधार पर ही संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश एसके मुद्गल ने भी आयुक्त सहसंचालक भोपाल को एक पत्र भेजा है, जिसमें बायपास के दोनों ओर साढ़े 22-साढ़े 22 मीटर मार्ग निर्माण के लिए जमीन सुरक्षित रखने की बात कही गई है। 60 मीटर चौड़े बायपास की निवेश क्षेत्र में लम्बाई 31.60 किलोमीटर होती है और साढ़े 22 मीटर छोड़ी जाने वाली जमीन का क्षेत्रफल 142 हेक्टेयर, यानी लगभग 360 एकड़ होता है। इस जमीन की वर्तमान कलेक्टर गाइड लाइन के मुताबिक कीमत लगभग 1100 करोड़ रुपए आंकी गई है। चूंकि यह राशि तो शासन-प्रशासन या नगर निगम जमीन मालिकों को दे नहीं सकता, लिहाजा इसके एवज में जमीन मालिकों को टीडीआर सर्टिफिकेट का भी लाभ दिया जा सकता है, ताकि वे शेष साढ़े 22 मीटर छोडऩे के बाद मनचाही निर्माण की अनुमति हासिल कर सकें। [relpot]

इन 15 गांवों की जमीनें बायपास अलाइनमेंट में शामिल
नगर तथा ग्राम निवेश ने बायपास के अलाइनमेंट में 15 गांवोंं की जमीनों को चिन्हित किया है। इसमें राऊ, कैलोदकर्ताल, रालामंडल, खजराना, निपानिया, अरण्ड्या, मायाखेड़ी, भिचौलीहब्सी, भिचौलीमर्दाना, देवगुराडिय़ा, मांगलिया सडक़, राहूखेड़ी, निहालपुरमुंडी, मूंडलानायता और मिर्जापुर शामिल है। इन 15 गांवों की 360 एकड़ जमीन की कलेक्टर गाइडलाइन के मुताबिक कीमत 1083 यानी लगभग 1100 करोड़ रुपए आंकी गई है।

12 मीटर का वर्तमान का प्रावधान भी जल्द होगा निरस्त
नगरीय विकास एवं आवास विभाग मंत्रालय ने 30.01.2018 के जरिए 45 मीटर के कंट्रोल एरिया को घटाकर 12 मीटर का कर दिया और शेष 33 मीटर में 13 तरह की गतिविधियों को मान्य किया गया, जिसमें बैंक, पेट्रोल पम्प, एटीएम, पुलिस चौकी, पेट्रोल पम्प, सर्विस सेंटर, बस स्टॉप, टेलीफोन एक्सचेंज, फायर स्टेशन जैसी गतिविधियों को मान्य किया गया। हालांकि इसकी आड़ में अन्य व्यवसायिक निर्माण मौके पर कर लिए गए हैं।

45 मीटर में चिह्नित कई निर्माण स्वेच्छा से हटे भी
नगर निगम ने जिन निर्माणों को नोटिस जारी किए उनमें से कुछ लोगों ने स्वेच्छा से कंट्रोल एरिया में किए अपने अवैध निर्माणों को हटाना शुरू कर दिया। कुछ लोगों ने कोर्ट की शरण भी ली, जिस पर यह निर्देश दिए गए कि अभी निगम कोई तोड़ाफोड़ी नहीं कर रहा है, बल्कि नोटिस देने और उस पर जवाब आने और सुनवाई कर आदेश पारित करने की प्रक्रिया भी करेगा। वैसे भी अभी 22 सितम्बर तक हाईकोर्ट ने तोडफ़ोड़ पर रोक लगा रखी है।

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