85 साल पुरानी दौलतगंज सब्जी मंडी नहीं बन पाई व्यवसायिक कॉम्पलेक्स

  • साढ़े 4 साल गुजरे लेकिन मालीपुरा की सड़क पर अब भी लग रही सब्जी की दुकानें-शिफ्ट भी नहीं हो सकी

उज्जैन। 85 साल पुरानी दौलतगंज सब्जी मंडी को नगर निगम ने आज से करीब साढ़े 4 साल पहले डिस्मेंटल कर दिया था। यहां के विस्थापित सब्जी व्यवसाययों को बहादुरगंज में स्थानांतरित करने तथा पुरानी सब्जी मंडी के स्थान पर नए व्यावसायिक काम्प्लेक्स बनाने की योजना थी। लेकिन अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ और आज भी यहां सड़क पर सब्जी की दुकान लग रही है।

उल्लेखनीय है कि दौलतगंज स्थित 85 साल पुरानी सब्जी मंडी को आज से साढ़े 4 साल पहले जनवरी 2020 में नगर निगम ने डिस्मेंटल कर दिया था। इसके चलते यहां के करीब 90 दुकानदार फुटपाथ पर आ गए थे। तत्कालीन नगर निगम बोर्ड ने दावा किया था कि पुरानी सब्जी मंडी के स्थान पर जल्दी ही नया कमर्शियल कंपलेक्स बनाया जाएगा। ऐसे नगर निगम को करोड़ों की आय होगी। दौलतगंज सब्जी मंडी के विस्थापित दुकानदारों को बहादुरगंज में बनी करीब डेढ़ करोड़ की सब्जी मंडी में स्थानांतरित किया जाएगा। इस कार्रवाई के बाद जब नगर निगम ने यहां के दुकानदारों को मुनादी करके हटाने का कहा था।


10 साल पहले स्थानांतरण का हुआ था ठहराव
आज से लगभग10 साल पहले पूर्व नगर निगम परिषद ने 2 सितंबर 2014 को मंडी स्थानांतरण का ठहराव किया था। बता दें कि जनता के टैक्स के एक करोढ़ रुपए से 17 साल पहले बहादुरगंज में नगर निगम ने जी प्लस वन सब्जी मंडी बनाई थी। इसमें 95 दुकानों का निर्माण किया गया था। बीते 17 सालों में इस मंडी में विभिन्न कारणों से एक भी व्यवसायी ने दुकान नहीं लगाई। ये मंडी अब खंडहर में तब्दिल हो चुकी है। पिछले साल इसमें आंशिक तब्दिली करने की कवायद हुई थी, काम नहीं हुआ। जानकारों का कहना है कि प्रशासन ने बहादुरगंज मंडी की खामियां मिटाने के लिए न कोई बेहतर प्रयास किया और ना यहां दौलतगंज के फल-सब्जी व्यवसायियों को स्थानांतरित करने का। जिस इंजीनियर की गलती से मंडी स्ट्रक्चर में खामी आई, उसके खिलाफ भी कोई कार्रवाई नहीं की। जबकि तत्कालीन कुछ पार्षदों ने निर्माण में अदूरदर्शिता रखने वाले लापरवाह इंजीनियरों के खिलाफ कार्रवाई करने और आर्थिक नुकसान की वसूली करने की आवाज भी तत्कालीन नगर निगम भाजपा बोर्ड के कई जनप्रतिनिधियों ने उठाई थी।

यह समस्या बताई थी विस्थापित दुकानदारों ने
तब साढ़े 4 साल पहले विस्थापित दुकानदारों का कहना था कि हमारे यहां से नहीं हटने के 4 प्रमुख कारण है। इनमें पहला, बहादुरगंज में जो सब्जी मंडी का स्ट्रक्चर बना है, उसमें दुकानें सड़क से पांच फीट तक नीचे है। दूसरा, वर्षाकाल में पानी भराएगा, क्योंकि पानी निकासी का इंतजाम नहीं है। तीसरा, दिन के वक्त भी मंडी परिसर में रोशनी नहीं होती, अंधेरा पसरा रहता है। चौथा, मंडी में आवामन के लिए सुलभ रास्ता नहीं है। जबकि नगर निगम और प्रशासन महाकाल मंदिर पहुंच मार्ग खुला और अतिक्रमण मुक्त करना चाहता था।

तब दुकानों में थे, अब फुटपाथ पर
नगर निगम ने उस दौरान दौलतगंज सब्जी मंडी की जगह तीन दिन में खाली करने को कहा था, लेकिन विस्थापित लोग भी अपनी जिद पर अड़े रहे। निगम के रिकॉर्ड के अनुसार दौलतगंज सब्जी मंडी में 43 व्यवसायियों को दुकान लगाने के लिए ओटले आवंटित कर रखे थे। जबकि इसके विरुद्ध यहां 150 से अधिक दुकान और ठेले संचालित हो रहे हैं। इससे आवागमन बाधित होता है। बाजार और सड़क को स्वच्छ और यातायात की दृष्टि से खुला रखने के लिए ही मंडी को स्थानांतरित किया जाना है। इसकी मुनादी भी कई बार कराई गई थी। हर बार दुकानदार विरोध करते रहे और फिर नगर निगम ने भी इस पर ध्यान देना छोड़ दिया और आज भी यहां सड़कों पर सब्जियां बिक रही है।

व्यावसायिक काम्प्लेक्स बनना था, लेकिन..
नगर निगम, दौलतगंज से सब्जी मंडी हटाकर वहां व्यावसायिक काम्प्लेक्स बनाने वाली थी। बताया गया था कि वहां काम्प्लेक्स बनाने से निगम को जहां करोड़ों की आय होगी, वहीं व्यापार-व्यसाय के लिए लोगो को स्मार्ट बाजार उपलब्ध होगा। दौलतगंज सब्जी मंडी में 89 दुकानदारों में से 43 दुकानदारों को ओटले आवंटित कर रखे थे, जिन्हें बहादुरगंज में शिफ्ट किया जाना था। जबकि यहां शेष बिना अनुमति के दुकान एवं ठेलों का हटाने का कहा था। परंतु पिछले 4 सालों से विस्थापित हुए दुकानदार मालीपुर वाली मेन सड़क पर अपना व्यवसाय चला रहे हैं। तोड़ी गई पुरानी सब्जी मंडी के स्थान आज तक कांपलेक्स का निर्माण शुरू नहीं हो पाया है।

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