यहां बनने जा रहा पानी पर तैरता शहर, बसाए जाएंगे 12000 लोग

बुसान। साउथ कोरिया के बुसान शहर (Busan city of South Korea) में पानी पर तैरता हुआ शहर देखने को मिलेगा। संयुक्त राष्ट्र के समर्थन से वैज्ञानिक यहां दुनिया के पहले तैरने वाले शहर का प्रोटोटाइप विकसित (prototype developed) कर रहे हैं। इस प्रोजेक्ट का नाम OCEANIX है जिसकी घोषणा पिछले साल हुई थी। अब इस शहर के नए डिजाइन की तस्वीरें सामने आई हैं। तस्वीरों में देखा जा सकता है कि एक-दूसरे से जुड़े प्लेटफॉर्म कुल 15.5 एकड़ के क्षेत्रफल को कवर करेंगे जो 12000 लोगों को रहने के लिए पर्याप्त जगह देगें।

अनुमान है कि पानी पर तैरते इस शहर के निर्माण में कुल 200 मिलियन डॉलर यानी 15 अरब रुपए से भी ज्यादा खर्च होंगे, जो 2025 तक बनकर तैयार हो जाएगा। OCEANIX के सीईओ फिलिप हॉफमैन ने कहा कि हम OCEANIX Busan का निर्माण कर रहे हैं और यह दिखा रहे हैं कि पानी पर तैरता इन्फ्रास्ट्रक्चर तटीय शहरों के लिए नई जमीन तैयार कर सकता है जो समुद्र के लगातार विस्तार से निपटने के लिए स्थायी तरीकों की खोज कर रहे हैं। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों की मदद करना है जिनके अस्तित्व पर समुद्र के बढ़ते जलस्तर से खतरा मंडरा रहा है।

OCEANIX के मुताबिक दुनिया में पांच में से दो व्यक्ति तट से 100 किमी के दायरे में रहते हैं। हर साल बाढ़ के चलते लाखों लोग अपने घर छोड़ने के लिए मजबूर होते हैं। प्रोजेक्ट के प्रमुख अर्किटेक्ट्स में से एक BIG-Bjarke Ingels Group के संस्थापक बर्जर्के इंगल्स ने कहा कि OCEANIX का मॉड्यूलर टिकाऊ और लचीले शहरों के लिए एक प्रोटोटाइप होगा। इंगल्स ने कहा कि जलीय शहरीकरण के नए रूप की हमारी घोषणा के रूप में OCEANIX बुसान शहर के कैरेक्टर और कल्चर को जमीन से पानी पर लेकर जाएगा। यह शहर एक बेहद खूबसूरत नीले लैगून पर बसाया जाएगा जिसमें कई पुल होंगे।

शहर का आधार कई प्लेटफॉर्म होंगे जो अंदर से एक-दूसरे से जुड़े होंगे और मिलकर कुल 15.5 एकड़ क्षेत्रफल के एक शहर को आकार देंगे।शहर अलग-अलग हिस्सों में बंटा होगा जिसमें ठहरने, रिसर्च और आवास के लिए सुविधाएं मौजूद होंगी और शहर में इमारतों की ऊंचाई कम होगी। कंपनी ने बताया कि शहर की इमारतें सात मंजिल से कम ऊंचाई वाली होंगी ताकि तेज हवाएं इन्हें प्रभावित न करें। बुसान में गर्मियां बेहद झुलसाने वाली होती हैं इसलिए इमारतों की छतों को छायादार बनाया जाएगा जिनका इस्तेमाल सोलर ऊर्जा के लिए भी किया जा सकेगा।

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