आज अमित शाह से मिलेगा Manipur के आदिवासियों का प्रतिनिधिमंडल, इन मुद्दों पर होगी चर्चा

नई दिल्ली (New Delhi)। मणिपुर (Manipur) में आदिवासियों का समूह (Delegation of tribals) इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) (Indigenous Tribal Leaders Forum – ITLF) का पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को गृह मंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) से दिल्ली में मुलाकात करेगा। प्रतिनिधिमंडल अपनी पांच प्रमुख मांगें उठाएगा, जिसमें एक अलग राजनीतिक प्रशासन और 3 मई से जातीय हिंसा में मारे गए कुकी-जो समुदाय के सदस्यों को चुराचांदपुर जिले में सामूहिक दफन करना शामिल है। आईटीएलएफ के सचिव मुआन टॉम्बिंग ने बताया कि गृहमंत्री से बातचीत करेंगे और मांगें रखेंगे।

मणिपुर के कुकी-हमार-जोमी समुदाय के दिल्ली-एनसीआर स्थित महिला संगठन ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) की सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में की गई उस टिप्पणी को वापस लेने की मांग की है, जिसमें उन्होंने कहा था कि जातीय हिंसा के शिकार हुए अधिकांश लावारिस शव मणिपुर के ‘घुसपैठियों’ के हैं। यूएनएयू आदिवासी महिला मंच, दिल्ली-एनसीआर ने एक बयान में कहा, समूह का प्रतिनिधित्व करने वाला मणिपुर कुकी-हमार-जोमी समुदाय की माताएं सॉलिसिटर जनरल की टिप्पणियों से आहत हुई हैं। देश के सॉलिसिटर जनरल की ऐसी हल्की और निराधार टिप्पणी अशोभनीय, अस्वीकार्य और घृणित है। यह उन मृतकों के परिवारों के लिए बहुत दुखद है, जो आज तक अपने प्रियजनों का अंतिम संस्कार नहीं कर पाए हैं।

दिल्ली में शरद पवार की एनसीपी के नेताओं ने किया प्रदर्शन
मणिपुर हिंसा के विरोध में एनसीपी के शरद पवार गुट के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने सोमवार को जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया। एनसीपी की पुणे शहर इकाई के प्रमुख प्रशांत जगताप के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों ने केंद्र और मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के खिलाफ भी नारे लगाए। विरोध प्रदर्शन में पार्टी सांसद सुप्रिया सुले भी मौजूद रहीं।

नगा निकाय ने कल किया रैलियों का आह्वान
मणिपुर में एक शक्तिशाली नगा निकाय ने फ्रेमवर्क समझौते के आधार पर केंद्र के साथ शांति वार्ता को सफलतापूर्वक संपन्न करने में दबाव बनाने के लिए 9 अगस्त को रैलियों का आह्वान किया। यूनाइटेड नागा काउंसिल (यूएनसी) ने कहा, बुधवार सुबह 10 बजे से तामेंगलांग, सेनापति, उखरूल और चंदेल जिलों के जिला मुख्यालयों में रैलियां आयोजित की जाएंगी। अंतिम समझौते पर हस्ताक्षर करने में अत्यधिक देरी चिंता का कारण है और इससे शांति वार्ता पटरी से उतरने की संभावना है।

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