Khandwa से युवा चेहरे को Ticket देने की वकालत

  • अब अरुण यादव ने शुरू की प्रेशर पॉलिटिक्स!

भोपाल। चार सीटों पर उपचुनाव से पहले अरुण यादव प्रेशर पॉलिटिक्स (Arun Yadav Pressure Politics) खेलते नजर आ रहे हैं। उप चुनाव की तारीख के ऐलान से पहले ही टिकट के लिए मजबूत दावेदारी, फिर टिकट मिलने से पहले ही खंडवा में सक्रियता और बाद में अचानक चुनाव न लडऩे का ऐलान। यादव अब युवा चेहरे को टिकट देने की मांग कर रहे हैं। लेकिन वो जानते हैं कि सुरेन्द्र सिंह शेरा
(Surendra Singh Shera) चाहें कितनी भी चुनौती दें, पार्टी के पास अभी उनके सिवाय कोई दूसरा चेहरा नहीं है। इसलिए प्रेशर पॉलिटिक्स असर दिखा सकती है। मप्र में चार सीटों पर उपचुनाव है। उससे पहले वो प्रेशर पॉलिटिक्स (Pressure Politics) करते नजर आ रहे हैं। वे खंडवा से युवा चेहरे को टिकट देने की बात कह जरूर रहे हैं, लेकिन उन्हें ये अच्छी तरह मालूम है कि पार्टी के पास कोई दूसरा चेहरा नहीं है, जो खंडवा लोकसभा उपचुनाव (
Khandwa Lok Sabha by-election) में भाजपा को टक्कर दे सके। यही वजह है कि वो पार्टी को अपना महत्व बताने से नहीं चूक रहे हैं, ताकि उन्हें पार्टी में ज्यादा से ज्यादा तवज्जो मिल सके। हालांकि वो प्रचार में भी लगे हुए हैं ऐसे में ये कह पाना मुश्किल है कि वो चुनाव दूर रहेंगे।

शेरा का चैलेंज
खंडवा लोकसभा सीट पर टिकट को लेकर कांग्रेस में घमासान जारी है। निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा बहुत पहले से अपनी पत्नी के लिए टिकट मांगकर कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा चुके हैं। अब अरूण यादव ने नया गेम खेल दिया है। वो प्रेशर पॉलिटिक्स कर कांग्रेस की परेशानी बढ़ा रहे हैं। वो खण्डवा से युवा चेहरे को टिकट देने की वकालत कर रहे हैं, जबकि उन्हें मालूम है कि पार्टी उन्हें ही चुनाव लड़ाना चाहती है।

शेरा ने बढ़ायी पीड़ा
सोशल मीडिया पर अरुण यादव चुनाव न लडऩे का ऐलान कर रहे हैं। दूसरी तरफ मीडिया के सामने अपनी पीड़ा भी जाहिर कर रहे हैं। उनका कहना है वे छह महीनों से उपचुनाव के लिए काम कर रहे थे। लेकिन शेरा के टिकट मांगने से वे मैदान छोडऩे की तैयारी में हैं। हालांकि वो शेरा का नाम नहीं ले रहे हैं। उनका कहना है खंडवा सीट पर जीत दिलाना मेरी जिम्मेदारी हैं, क्योंकि इस उपचुनाव से ही मिशन 2023 का आगाज होगा। मैं खंडवा से चार बार चुनाव लड़ चुका हूं। कांग्रेस ने मुझे बहुत कुछ दिया है, इसके लिए सोनिया गांधी, राहुल गांधी, कमलनाथ और दिग्विजय सिंह समेत सभी कांग्रेसियों का आभार है। खंडवा से जो भी पार्टी का उम्मीदवार होगा, हम सब पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ काम करेंगे। हमारी कोशिश होगी कि हम पूर्ण बहुमत के साथ चारों उपचुनाव जीतें ताकि हम मिशन 2023 की तैयारी कर सकें।

अगली भूमिका क्या
जब अरुण यादव से पूछा गया कि इस चुनाव में आपकी क्या भूमिका होगी। इस पर उन्होंने कहा मैं बागली जा रहा हूं। वो मेरा पुराना इलाका है। राजकुमार पटेल हमारे प्रभारी हैं। हम सब साथ हैं। अभी मंडलम, सेक्टर और बूथ प्रभारियों की मीटिंग है, जो पिछले चार दिन से चल रही हैं। चार दिन में पूरे लोकसभा क्षेत्र का दौरा हो चुका है। केवल भीकनगांव बचा है। अगले दो-तीन दिन में वो भी कर लेंगे। चुनाव को लेकर संगठन का काम पूर्ण रूप और जोर शोर से जारी है। मैं पार्टी का जिम्मेदार आदमी हूं। मेरी जिम्मेदारी है कि खंडवा लोकसभा क्षेत्र में हम कांग्रेस को विजयी बनाएं।

दो पाटन के बीच अरुण
कांग्रेस में चल रही उठापटक से बीजेपी को मौका मिल गया है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता उमेश शर्मा का कहना है इसके पीछे वास्तविक कारण ये है कि अरुण यादव को मालूम है कि वो इस बार चुनाव नहीं जीत पाएंगे। जिस तरह कांग्रेस के दुर्दिन चल रहे हैं और दुर्दशा है ऐसे में यदि कमलनाथ का उम्मीदवार होगा तो दिग्विजय सिंह नहीं जीतने देंगे और दिग्विजय बाबू का उम्मीदवार होगा तो कमल बाबू नहीं जीतने देंगे। ये बात अरुण बाबू भली भांति समझ गए हैं कि दो पाटन के बीच में साबूत बचा ना कोई। इसमें एक पाट कमलनाथ का और दूसरा पाट दिग्विजय सिंह का है। आगे पाट पीछे सपाट है। इसलिए अरुण यादव मैदान छोड़कर भागने में ही अपनी भलाई समझ रहे हैं।

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