स्वास्थ्य विभाग के बाद राज्य शिक्षा केन्द्र में लगे वाहनों के नाम पर दूसरे वाहन रजिस्टर्ड निकले

कांग्रेस के मीडिया विभाग का आरोप

सूचना के अधिकार के तहत जानकारी निकाली तो हुआ खुलासा, स्वास्थ्य विभाग के मामले में लोकायुक्त में हुई शिकायत

इंदौर। कांग्रेस के मीडिया विभाग (Congress media department) ने आरोप लगाया है कि पुरानी सरकार में राज्य शिक्षा केन्द्र (State Education Center) ने अपने यहां निजी वाहनों को अटैच (Attach) किया, जिसका रिकार्ड सूचना के अधिकार में परिवहन विभाग में नहीं मिला। आरोप है कि वाहनों के फर्जी नंबर लगाकर करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार किया गया है। इसके पहले चार पहिया वाहनों के नाम पर भुगतान किया गया, लेकिन इसकी जानकारी निकाली तो वाहन दोपहिया वाहनों में रजिस्टर्ड पाए गए। इसकी शिकायत लोकायुक्त में की गई है।

कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा और उपाध्यक्ष जेपी धनोपिया ने बताया कि कांग्रेस के सूचना अधिकार प्रकोष्ठ द्वारा राज्य शिक्षा केंद्र से सूचना के अधिकार के तहत जानकारी प्राप्त की गई, जिसमें राज्य शिक्षा केंद्र में लगे प्रायवेट वाहनों के नाम पर 13 महीनों में लगभग 1 करोड़ 75 लाख रुपयों का भुगतान रायश्री ट्रेवल एजेंसी को राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा किया गया। तत्कालीन शिक्षामंत्री एवं राज्य शिक्षा केन्द्र के नाम पर वाहन क्रमांक एमपी 04 सीडब्ल्यू-9950 को वाहन बिल में मारुति सियाज बताया गया, लेकिन परिवहन कार्यालय में यह वाहन हुंडई की क्रेटा के नाम दर्ज होने की जानकारी दी गई। इस वाहन के उपयोग के बदले 8 लाख 62 हजार 236 रु. का भुगतान किया गया, वहीं मंत्री स्टॉफ, स्कूल शिक्षा राज्य शिक्षा केन्द्र के नाम पर एमपी 04 जेडके 4477 मारुति सियाज भुगतान हेतु बिल में दर्ज है, जबकि उक्त वाहन परिवहन विभाग में रजिस्ट्रर्ड ही नहीं है। मिश्रा ने बताया कि एक अन्य वाहन एमपी 04 बीसी 7480 बिल में इनोवा क्रिस्टा बताई गई है, जबकि यह आरटीओ में स्कार्पियो के नाम दर्ज है। इसका 1 अप्रैल 2023 से 30 अप्रैल 2023 तक 1 लाख 80 हजार 628 रु. का भुगतान बताया गया। जानकारी के अनुसार इनोवा क्रिस्टा को प्रतिमाह लगभग 75 हजार रु. प्रतिमाह किराया एवं अतिरिक्त चलने पर 18.50 रु. प्रति किलोमीटर की दर से भुगतान किया गया, जो बिल में उल्लेखित है, वहीं मंत्री को जो वाहन आवंटित किया गया, उसके 11 माह में 17 लाख 92 हजार 133 रुपए का भुगतान किया गया, वहीं एक अन्य वाहन को 2 माह का राशि 3,92,076 रु. भुगतान किया गया है, जबकि उक्त वाहन परिवहन विभाग में प्रायवेट कोटे पर दर्ज है, जबकि टैक्सी कोटे पर वाहन लिए जाने का नियम है। यानि यहां टैक्स चोरी भी वाहन स्वामी द्वारा की गई। इसके पहले स्वास्थ्य विभाग में किराये पर लिए गए फर्जी वाहनों को लेकर भी जानकारी निकाली गई थी, जिसमें चार पहिया वाहनों की बजाय परिवहन विभाग में ऑटो रिक्शा और बजाज सिटी जैसे 100 दोपहिया वाहन पाए गए, जिनके नाम पर करोड़ों रुपए निकाले गए थे। इसकी शिकायत भी लोकायुक्त में की गई है। कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि एक तरफ सरकार लाखों-करोड़ों रुपए कर्जा ले रही है, लेकिन उसमें बैठे अधिकारी प्राइवेट वाहनों के नाम पर बिल लगाकर लाखों रुपए का भुगतान सरकारी खजाने से कर रहे हैं। कांग्रेस ने इस मामले में लोकायुक्त को संज्ञान लेकर कार्रवाई करने की मांग की है।

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