सैनिक की मौत पर मिलने वाली राशि पर पत्नी के साथ मां का भी हक : इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद. सैनिक पति की मौत के बाद मिलने वाली राशि को लेकर पत्नी और उसकी सास (सैनिक की मां) के बीच बंटवारे को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने अहम फैसला सुनाया है. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सैनिक पति की मौत पर विभाग से मिलने वाली राशि की सेवा पुस्तिका में नामित पत्नी ट्रस्टी होती है, जिसका परिवार में उत्तराधिकार कानून(succession law) के अनुसार वितरण किया जाना चाहिए. ऐसे में पत्नी को 75 फीसदी व उसकी सास को 25 फीसदी राशि का भुगतान करने का आदेश सही है. कोर्ट ने पत्नी की सौ फीसदी राशि का दावा करते हुए दाखिल याचिका खारिज (petition dismissed) कर दी है.


इस सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी कहा कि बहू को बेटा खो देने वाली अपनी सास के प्रति सहानुभूति होनी चाहिए. उसे विभाग के राशि के बंटवारे को स्वीकार करना चाहिए. कोर्ट ने एक उक्ति कही कि मां तुम्हे एक जीवन देती है और सास अपना जीवन सौंप देती है. यह आदेश जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी की सिंगल बेंच ने श्रीमती सुनीता की याचिका पर दिया है.

पत्नी को चाहिए था राशि पर पूरा हक
याची के पति योगेन्द्र पाल सिंह सेना में कार्यरत थे, जिनकी मौत हो गई थी. विभाग ने मौत पर मिलने वाले आर्मी ग्रुप बीमा के डीआईएस, एजीआईएफ मेच्योरिटी राशि व मृत्यु से मिलने वाली सारी धनराशि मय ब्याज की मांग की. सास ने भी हक मांगा. विभाग ने पत्नी को 75 फीसदी व उसकी सास मृतक की मां को 25 फीसदी भुगतान कर दिया. इस भुगतान को लेकर कोर्ट में चुनौती दी गई थी. पत्नी का कहना था कि नामित होने के कारण उसे पूरी राशि का भुगतान किया जाए. भारत सरकार की तरफ से नियमों का हवाला दिया गया, जिसमें विवाद की दशा में दावे के विभाजन का नियम है. कोर्ट ने सेना द्वारा भुगतान को सही माना और याचिका खारिज कर दी.

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