अंकिता हत्याकांड: पिता ने कहा- हत्या में कहीं न कहीं बांग्लादेश का कनेक्शन

रांची: अंकिता हत्याकांड (ankita murder case) में बुधवार को दुमका में खासी गहमागहमी देखने को मिली. अंकिता के परिजनों से मिलने कई जनप्रतिनिधि और विभिन्न राजनीतिक संगठनों (public representatives and various political organizations) के लोग दुमका पहुंचे. इस दरमियान बीजेपी के प्रतिनिधिमंडल (BJP delegation) ने अंकिता के परिजनों से मुलाकात कर उन्हें 28 लाख रुपए की सहायता दी. यह राशि अंकिता (Ankita) के पिता संजीव सिंह के अकाउंट में ट्रांसफर की गई. अंकिता की हत्या को लेकर संजीव सिंह ने आज साफ तौर से कहा कि उन्हें इस हत्या के पीछे साजिश नजर आती है. हो सकता है कि इस हत्या में कहीं न कहीं बांग्लादेश का कनेक्शन भी हो. उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय के कई लोग इस इलाके में मुर्शिदाबाद से आए हुए हैं. हो सकता है कि शाहरुख और छोटू का संबंध बांग्लादेश से हो.

दरअसल, इस मामले में बाबूलाल मरांडी ने ट्वीट कर ऐसी आशंका जाहिर की थी कि अंकिता की हत्या के पीछे साजिश हो सकती है. वहीं, कपिल मिश्रा और गोड्डा सांसद ने भी कुछ ऐसी ही बातें कहीं. उन्होंने कहा कि यह केस मामूली हत्या से जुड़ा हुआ नहीं है, बल्कि इसकी जांच लव जिहाद एंगल से भी किए जाने की जरूरत है, ताकि मास्टर माइंड पकड़ा जा सके और इस तरह के मामले का उद्भेदन पूर्णरूप से हो सके.

बुधवार को अंकिता के घर पर 9 दिनों के बाद सत्तापक्ष के भी जनप्रतिनिधि पहुंचे और परिजनों से मामले की जानकारी ली. राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम ने भी अंकिता के परिजनों से वारदात को लेकर जानकारी हासिल की. अंकिता के पिता संजीव सिंह के अनुसार महिला आयोग ने भी मदद का आश्वासन दिया है और कहा कि आरोपी को फांसी की सजा दिलाने को लेकर वे तमाम प्रयास करेंगे. संजीव सिंह ने ये भी बताया की बीजेपी प्रतिनिधिमंडल ने भी हरसंभव मदद का आश्वासन दिया है. सजीव सिंह ने कहा कि बांग्लादेश कनेक्शन बहुत हद तक हो सकता है लेकिन ये बातें जांच के बाद ही स्पष्ट होंगी.

इस बीच रांची की मेयर आशा लकड़ा ने अंकिता की हत्या को लेकर जेएमएम-कांग्रेस गठबंधन की सरकार को घेरा. उन्होंने कहा कि झारखंड की बेटियां महफूज नहीं हैं. अगस्त महीने में झारखंड की दो बेटियां हैवानियत की शिकार हुईं. रिम्स में इलाज के दौरान अंकिता की मौत के बाद राज्यभर में अंकिता के हत्यारे को फांसी की सजा देने की मांग की गई, तो राज्य सरकार की नींद खुली.

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