देश के हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति लंबित, केंद्र सरकार ने कॉलेजियम पर फोड़ा ठीकरा

नई दिल्‍ली (New Dehli) । देश के हाईकोर्ट (High Court)में जजों की नियुक्ति (Appointment)में हो रही देरी को लेकर सरकार (Government)और सुप्रीम कोर्ट के बीच चल रही खींचतान (tussle)के बीच केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल (Arjun Ram Meghwal)ने शुक्रवार को लोकसभा को बताया कि हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए कम से कम 42 सिफारिशें वर्तमान में अनुमोदन के लिए सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम के पास लंबित हैं। 60 सिफारिशों को पुनर्विचार के लिए संबंधित हाईकोर्ट को भेज दिया गया था।

उन्होंने कहा, हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम द्वारा किसी समयसीमा का पालन नहीं किया जा रहा है। उच्च न्यायालयों में 198 पद खाली हैं। इसके लिए उच्च न्यायालयों के कॉलेजियम ने अब तक कोई सिफारिश नहीं की है। इसके कारण भारी बैकलॉग हो गया है।

आपको बता दें कि वर्तमान में देश के 25 हाईकोर्ट में जजों के 29 प्रतिशत पद खाली हैं। जजों की कुल स्वीकृत पद 1114 हैं। एक दिसंबर तक 324 पद खाली थे। केंद्र सरकार ने साल 2022 में 165 और 2023 में 4 दिसंबर तक 110 न्यायाधीशों की नियुक्तियों को अधिसूचित किया है। एक प्रश्न के लिखित उत्तर में केंद्रीय मंत्री मेघवाल ने हाईकोर्ट कॉलेजियम के द्वारा सिफारिशों में हो रही देरी पर चिंता व्यक्त की है।

मघेवाल ने कहा, “प्रक्रिया ज्ञापन (एमओपी) के अनुसार, उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के प्रस्ताव की शुरुआत संबंधित हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पास होती है। पद खाली होने से छह महीने पहले ही उन्हें रिक्ति को भरने के लिए प्रस्ताव शुरू करना आवश्यक होता है। हालांकि इस समय-सीमा का अक्सर उच्च न्यायालयों द्वारा पालन नहीं किया जाता है।”

हाईकोर्ट कॉलेजियम के द्वारा सिफारिश मिलने के बाद केंद्र सरकार अपने इंटेलिजेंस ब्यूरो इनपुट के साथ उन्हें सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के पास भेजती है। इसके बाद उनका चयन होता है। केंद्र के द्वारा भेजी गई सिफारिशों पर जहां सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को आपत्ति होती है तो उन मामलों को पुनर्विचार के लिए संबंधित हाईकोर्ट को वापस भेज दिया जाता है।

कानून मंत्री ने कहा, “इस साल 1 जनवरी तक हाईकोर्ट कॉलेजियम से प्राप्त 171 प्रस्ताव विभिन्न चरणों में थे। 121 नए प्रस्ताव प्राप्त हुए। विचार के लिए कुल 292 प्रस्तावों में से 110 न्यायाधीशों की नियुक्ति की गई है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सलाह पर उच्च न्यायालयों को 60 नाम वापस भेज दिए गए हैं।

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