अरविंदर सिंह लवली का कांग्रेस से जाना पार्टी के लिए हो सकता है बड़ा झटका, इस्तीफे की ये हो वजहें आ रही सामने

नई दिल्‍ली (New Delhi) । अरविंदर सिंह लवली (Arvinder Singh Lovely) ने करियर में दूसरी बार दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष (Delhi Congress President) के पद से इस्तीफा दे दिया। अब उनके आम आदमी पार्टी यानी AAP से गठबंधन समेत इस्तीफे की कई वजहें सामने आ रही हैं। हालांकि, जानकारों का कहना है कि लवली का कांग्रेस को अलविदा कहना पार्टी को बड़ी मुश्किल में डाल सकता है। फिलहाल, साफ नहीं हुआ है कि लवली किसी अन्य दल का दामन थामेंगे या नहीं।

एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली कांग्रेस के कुछ नेताओं का मानना है कि लवली का इस्तीफा सिख बहुल विधानसभा क्षेत्रों में आप-कांग्रेस गठबंधन को नुकसान पहुंचा सकता है। मीडिया से बातचीत में कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने कहा, ‘सिख समुदाय के कई समर्थक, कांग्रेस कार्यकर्ता जिनके साथ लवली अक्टूबर से जुड़े हुए हैं, वे उनकी तरफ से लगाए गए आरोपों को लेकर पार्टी से खुश नहीं होंगे।’

उन्होंने कहा कि इससे तिलक नगर, हरि नगर, राजौरी गार्डन, लक्ष्मी नगर, सिविल लाइन्स और जंगपुरा जैसे कुछ सीटें हैं, जहां आप-कांग्रेस गठबंधन पर नकारात्मक असर पड़ेगा। रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों के कहना है कि लवली को उम्मीद दी जा रही थी कि वह उन पुराने नेताओं में शामिल हैं, जिन्हें पार्टी लोकसभा टिकट देगी।

कहा जा रहा है कि वह दिल्ली पूर्वोत्तर से चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन कन्हैया कुमार को टिकट दिए जाने से खुश नहीं थे। रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले दिनों में और इस्तीफों के संकेत देते हुए पार्टी के नेता कहते हैं कि लवली ‘दिल्ली कांग्रेस नेताओं के उस वर्ग से थे’ जो राष्ट्रीय राजधानी में आप के खिलाफ ‘राजनीतिक, भ्रष्टाचार विरोधी मोर्चा’ तैयार कर सकते हैं।

मीडिया से बातचीत में कांग्रेस के एक नेता ने कहा, ‘जब आप आई थी, तब ये वही नेता हैं जिन्हें हर रोज निशाना बनाती थी…। लवली, संदीप दीक्षित और राजकुमार चौहान (बीते सप्ताह पार्टी छोड़ी) को कहा गया था कि खोई हुई राजनीतिक जमीन दोबारा हासिल करने के लिए उन्हें लोकसभा में मैदान में उतारा जाएगा।’ उन्होंने कहा, ‘लेकिन दीपक बाबरिया के सुझाव पर पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व ने उन्हें ऐन मौके पर नजरअंदाज कर दिया और वह भी अपमानजनक तरीके से।’

खास बात है कि लवली का इस्तीफा ऐसे समय पर आया है, जब एक दिन पहले ही सिख समुदाय के करीब डेढ़ हजार लोग भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए। इनमें कुछ दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पदाधिकारी भी थे।

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