जबलपुर का दुर्भाग्य:दो फ्लाईओवर की डीपीआर तैयार, लेकिन सो रहे हैं जिम्मेदार

  • पेंटीनाका और बिरसामुंडा के फ्लाईओवर भोपाल में अटके, दिल्ली नहीं भेजी गयी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट, राजनीति में उलझी शहर की सौगात

जबलपुर। शहर का दुर्भाग्य ही है कि दो-दो फ्लाईओवर मंजूर होने के बावजूद प्रक्रिया डीपीआर में ही अटकी हुई है, जबकि प्रदेश के अन्य 13 फ्लाईओवरों की निर्माण प्रक्रिया टेंडर जारी होने की प्रोसेस तक पहुंच चुके हैं। जल्दी ही ये प्रक्रिया पूरी होगी और ये सभी फ्लाईओवर का काम तेजी से शुरु होगा और जबलपुर के नेताओं की आपसी खींचतान के कारण जबलपुर इस सुविधा से वंचित हो जाएगा।

  • क्या है पूरी स्टोरी
    प्रदेश के अन्य फ्लाईओवरों के साथ जबलपुर के दो फ्लाईओवर स्वीकृत किये गये हैं। एक, पेंटीनाका तो दूसरा बिरसा मुंडा चौक। इन दोनों ही फ्लाईओवरों की डीपीआर तैयार है, लेकिन उसे लोक निर्माण मंत्रालय को सब्मिट नहीं किया गया है। जिससे आशंका है कि ये मामला भोपाल में ही लंबा खिंच जाएगा। प्रदेश के अन्य सभी फ्लाईओवर में काम शुरु होने वाला है और जबलपुर के दो फ्लाईओवर लिस्ट से बाहर होते दिखाई दे रहे हैं।
  • राह में क्या है बाधा
    जबलपुर के फ्लाईओवरों को लेकर डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट दिल्ली भेजी जानी है, लेकिन वो रिपोर्ट भोपाल में ही अटकी है। यदि जनप्रतिनिधि प्रयास करेंगे तो अफसर एक्टिव होंगे और प्रोसेस को मूव करने की दिशा में काम तेजी से होगा। ताजा स्थिति ये है कि बराबर जानकारी होने के बाद भी जनप्रतिनिधि इसका फॉलोअप नहीं ले रहे हैं, इसका कारण क्या है, ये एक बड़ा प्रश्न है। कैंट एरिया में पेंटीनाका में जहाँ एक फ्लाईओवर में डिफेंस के हिस्से की जमीन की आवश्यकता होगी, उसे लेकर अब तक कुछ नहीं किया गया है। केवल चर्चाओं का दौर जारी है।
  • लागत और लंबाई कितनी
    ये फ्लाईओवर केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय द्वारा स्वीकृत हैं। इनके लिए निर्माण एजेंसी मध्य प्रदेश रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन को बनाया गया है। सेतु बंधन योजना में ये फ्लाईओवर शहर के भीतरी हिस्से में बनने हैं। इनकी निर्माण लागत 35 से 40 करोड़ थी लेकिन लंबाई बढऩे से दोनों की लागत 200 करोड़ के करीब पहुंच गयी है। पेंटीनाका से सृजन चौक तक लगभग डेढ़ किलोमीटर तो बिरसा मुंडा तिराहा में 800 मीटर की सीमा में रद्दी चौकी की ओर इनका निर्माण होना है।
  • ट्रैफिक की सूरत बदल जाएगी
    इन दोनों फ्लाईओवर से न केवल शहर के ट्रैफिक की सूरत बदलेगी, बल्कि शहर को वास्तविक रूप में महानगर की शक्ल मिलेगी। जानकारों का कहना है कि जब ये दो फ्लाईओवर बनेंगे तब तो आगे के विकास को रास्ता मिलेगा।
  • राजनीति का ग्रहण
    इधर, सूत्रों का दावा है कि जबलपुर के नेताओं की स्थानीय राजनीति के कारण ये फ्लाईओवर अब तक कागजों में ही अटके पड़े हैं। सभी अपने-अपने श्रेय के लिये शहर के विकास की बलि चढ़ाने तैयार हैं।
  • आचार संहिता तक का समय
    जबलपुर के पास विधान सभा चुनाव की आचार संहिता तक का ही समय है। इसके बाद बात हाथ से निकल जाएगी और चुनाव के बाद कई तरह की स्थितियों में परिवर्तन भी आ सकता है इसलिये जो भी अवसर हैं वो आचार संहिता कायम होने के पहले ही हैं।

तेजी से प्रयास जारी
जबलपुर के दोनों फ्लाईओवर का काम शुरु कराने की दिशा में हम तेजी से काम कर रहे हैं। हां, कुछ प्रक्रिया शेष है, जिस पर फोकस किया जा रहा है। भोपाल स्तर पर फाइल अटकी हुई है।
राजेन्द्र चंदेल, डीएम एमपीआरडीसी

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