इंदौर में हुए गोलीकांड में भाटिया और सिंह भी बने आरोपी

  • घायल अर्जुन के पत्र के बाद पुलिस ने एफआईआर से हटाए शराब ठेकेदारों के नाम फिर जोड़े

इंदौर। सिंडिकेट दफ्तर (Syndicate Office)  में शराब कारोबारी (Liquor Businessman) अर्जुन ठाकुर (Arjun Thakur) को गोली (Goli) मारने के मामले में पुलिस (Police)ने एकेसिंह ( AK Singh) और पिंटू भाटिया ( Pintu Bhatia) को भी आरोपी बना लिया गया है। दोनों मौके पर मौजूद थे। इससे पहले पुलिस ने इस मामले में गैगस्टर सतीश भाऊ,  (Satish Bhau) चिंटू (Chintu) और हेमू ठाकुर (Hemu Thakur)को आरोपी बनाया था।
एफआईआर में एकेसिंह और पिंटू भाटिया का जिक्र जरूर किया गया था, लेकिन आरोपी नहीं बनाया था। इसके बाद अस्पताल में भर्ती अर्जुन ठाकुर ने डीआईजी मनीष कपूरिया सहित एसपी पूर्व आशुतोष बागरी को पत्र के माध्यम से एकेसिंह और पिंटू भाटिया को आरोपी बनाने की अपील की थी। डीआईजी मनीष कपूरिया ने बताया कि दोनों के नाम भी आरोपियों की तरह ही एफआईआर में है। इन पर भी कार्रवाई की जाएंगी।

मिटिंग में जो लोग मौजूद थे, उनमें दोनों के नाम भी…
सतीष भाऊ, चिंटू ठाकुर और हेमू ठाकुर तो पहले ही मुख्य आरोपी थे। मिटिंग में कई लोग मौजूद थे। एफआईआर में उन्हें अन्य बताकर आरोपी बनाया था। एकेसिंह और पिंटू भाटिया उन अन्य में है। उन्हें भी बुलाकर पूछताछ की जाएगी। फिलहाल हमारे हिसाब से तो वे पहले से आरोपी है।

तहजीब काजी, विजय नगर टीआई
मीटिंग में मौजूदों कुछ और नामों को आरोपी बनाया जाएगा
गोलीकांड को लेकर जांच की जा रही है। पिंटू भाटिया और एकेसिंह के नाम प्रमुखता से आ रहे है, जिसके चलते दोनों को आरोपी बना दिया गया है। शाम तक आरोपियों की संख्या और बढ़ेगी और कुछ नाम और सामने आएंगे।

राजेश रघुवंशी , एएसपी पूर्वी क्षेत्र
चिंटू और सतीश भाऊ के बाद हेमू को सरेंडर करवाने का था प्लान
गोलीकांड के बाद किस तरह से आरोपियों को पेश करवाया जाए इसका प्लान पहले से तैयार था। प्लान के तरह ही पहले चिंटू और सतीश भाऊ को सरेंडर करवाया था और बाद में हेमू को सरेंडर होना था। लेकिन अब पुलिस की किरकिरी होने के बाद प्लान बदल गया है, आज पुलिस पकड़े गए दोनों आरोपियों को कोर्ट में पेश कर रिमांड लेगी। शराब ठेकेदारों के सिंडिकेट के आफिस में तीन दिन पहले अर्जुन ठाकूर को गोली मारने के मामले में पुलिस ने अभी तक नामजद तीन ही लोगों को आरोपी बनाया है। इसमें से दो आरोपी चिंटू ठाकूर और सतीश भाऊ कर नाटकीय ढंग से सरेंडर हो गए। बताते है कि सिंडिकेट की बैठक में मौजूद लोगों ने उज्जैन और इंदौर के कुछ लोगों के माध्यम से आरोपियों को सरेंडर करवाने का प्लान तैयार कर रखा था। इसमें चिंटू और सतीश भाऊ को पहले पेश किया जाना था। उनका रिमांड खत्म होने पर हेमू को सरेंडर करवाया जाना था। लेकिन अब इस मामले में पुलिस की किरकिरी होने के बाद सेटरों ने हाथ खड़े कर दिए है। इसके बाद हेमू लगातार ठिकाने बदल रहा है और पुलिस उसे पकडऩे का प्रयास कर रही है। कल पुलिस ने दो घंटे से अधिक समय तक दोनों आरोपियों से पूछताछ की। बताते है कि पुलिस की पिटाई से बचने के लिए वे कभी कहते हार्ड की समस्या है तो कभी कहते की बीपी है। सूत्रों का कहना है कि वे सरेंडर हुए है। लेकिन पुलिस ने उनकी पिटाई में कोई कसर नहीं रखी है।

सतीश भाऊ के कई सिकलिगरों से है संपर्क, गैंग के लिए लेता है पिस्टल
कुख्यात बदमाश सतीश भाऊ के बारे में पता चला है कि वह लॉक डाउन के बाद से ही लगातार इंदौर और आस-पास के जिलों में सक्रिय था और जमीन और वसूली कर रहा था, लेकिन पुलिस को इसकी भनक नहीं थी। बताते है कि जेल में रहने के दौरान सतीश भाऊ के जेल में बंद कई सिकलिगरों से संबंध बन गए है। वह इन सिकलिगरों के माध्यम से ही अपनी गैंग के लोगों के लिए पिस्टल मंगवाता है। घटना के दिन में वहां मौजूद आधा दर्जन लोगों के पास पिस्टल होने की बात समाने आई है। इन लोगों को पिस्टल भाऊ ही उपलब्ध करवता है।

बीस अहाते उगलते है हर माह तीन से पांच लाख
पुलिस और आबकारी विभाग के सूत्रों के अनुसार शहर में 175 शराब दुकानो में से 80 प्रतिशत दुकानों पर अहाते है। देसी शराब की सभी दुकानों पर अहाते है। उनको ऑन और जिन पर अहाते नहीं है उनको ऑफ कहां जाता है। ये अहाते शराब दुकान का मालिक ही देता है। लेकिन शहर के बीच ऐसे अहाते है। जहां हर माह की कमाई तीस से पांच लाख है। इन अहातों को लेकर ही गुंडों की इसमें इंट्री हुई है। कुछ नेताओं के चमचे भी अहाते चलाते है। पहले से यू तो शहर के ज्यादातर अहाते गुंडों के संरक्षण में ही चल रहे है। लेकिन अब मोटी कमाई को देखते हुए गुंडे की रूचि बढ़ गई है, जिसका परिणाम यह गोलीकांड रहा है।

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