चुनाव से ठीक पहले मिली बड़ी राहत! राघवजी बोले : सत्य की जीत हुई

  • एमपी के पूर्व वित्त मंत्री हाईकोर्ट से हुए वरी… इस केस ने छीन ली थी राघवजी की वित्तमंत्री की कुर्सी

विदिशा। हाईकोर्ट के फैसले पर राघवजी ने कहा है कि सत्य की जीत हुई है। हाईकोर्ट के फैसले पर राघवजी ने कहा है कि सत्य की जीत हुई है। मध्यप्रदेश के पूर्व वित्त मंत्री राघवजी भाई को बड़ी राहत मिली है। जबलपुर हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने साल 2013 के अप्राकृतिक कृत्य मामले में राघवजी के खिलाफ दर्ज स्नढ्ढक्र को रद्द करने का आदेश दिया है।इस फैसले के बाद राघवजी के समर्थकों में खुशी की लहर छा गई। उन्होंने कहा कि वे 10 साल तक मानसिक रूप से प्रताडि़त होते रहे, लेकिन अब सत्य की जीत हुई है।

एफआईआर के बाद छोडऩा पड़ा था पद
पूर्व वित्त मंत्री राघवजी के खिलाफ उन्हीं के एक कर्मचारी ने अप्राकृतिक कृत्य का आरोप लगाया था। भोपाल के हबीबगंज थाने में स्नढ्ढक्र दर्ज कराई गई थी। मामला दर्ज होने के बाद राघवजी को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। उन्होंने साल 2016 में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर यह स्नढ्ढक्र निरस्त करने की अपील की थी।

सरकारी निवास छोडऩे के 3 महीने बाद स्नढ्ढक्र कराई
हाईकोर्ट की एकल पीठ के जस्टिस संजय द्विवेदी ने अपने आदेश में कहा है- प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण व्यक्ति की छवि धूमिल करने के लिए विरोधियों के इशारे पर स्नढ्ढक्र दर्ज कराई गई थी। शिकायतकर्ता ने स्वीकार किया है कि उसने एक अन्य पीडि़त की मदद से वित्त मंत्री का छुपकर वीडियो बनाया था। सहमति के साथ एकांत में अप्राकृतिक यौन कृत्य करने का वीडियो साजिश के तहत बनाया गया था।शिकायतकर्ता साल 2010 से 2013 तक याचिकाकर्ता के सरकारी निवास पर रहा था। इस दौरान उसने कोई शिकायत नहीं की। उसने मई 2013 में सरकारी निवास छोड़ दिया था। इसके करीब तीन महीने बाद उसने स्नढ्ढक्र दर्ज कराई। राजनीतिक विरोधियों के इशारे और आपसी रंजिश के कारण शिकायतकर्ता ने स्नढ्ढक्र दर्ज कराई थी। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद राघवजी के समर्थकों ने उनको घर जाकर बधाई दी। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद राघवजी के समर्थकों ने उनको घर जाकर बधाई दी। दुर्भावना के कारण स्नढ्ढक्र हो तो निरस्त की जा सकती है एकल पीठ ने कहा है कि उक्त याचिका साल 2016 से लंबित है। न्यायालय का अभिमत है कि आपराधिक मामले में अभियुक्त को ट्रायल का सामना करना चाहिए। आपराधिक मामला दुर्भावना और निजी रंजिश के कारण दर्ज कराया जाता है तो स्नढ्ढक्र निरस्त की जा सकती है। इस प्रकरण में आपराधिक कार्यवाही से स्पष्ट है कि दुर्भावना के कारण स्नढ्ढक्र दर्ज कराई गई है।

राजनीति में बने रहेंगे राघवजी भाई, चुनाव नहीं लड़ेंगे
हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद राघवजी के समर्थकों ने उनको घर जाकर बधाई दी। वहीं, राघवजी ने कहा कि उन्होंने चुनाव नहीं लडऩे का फैसला पहले ही कर लिया था। उनकी उम्र 90 साल की होने जा रही है। इस उम्र में किसी को चुनाव नहीं लडऩा चाहिए। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वे राजनीति में बने रहेंगे।

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