उत्तरकाशी की टनल में फंसे मजदूरों पर आया बड़ा अपडेट

उत्तरकाशी: उत्तरकाशी टनल हादसे (Uttarkashi Tunnel Accident) को आज 10वां दिन है. मजदूर अभी भी टनल के अंदर ही फंसे हुए हैं. 6 इंच की पाइप से मजदूरों को खाना-पानी और दवाई पहुंचाई जा रही है. साथ ही साथ वॉकी-टॉकी के जरिए उनसे लगातार बातचीत की जा रही है. इसी बीच एक राहत भरी खबर आई है. यह राहत भरी खबर दी है नोडल अधिकारी नीरज खैरवाल (Nodal Officer Neeraj Khairwal) ने. नीरज खैरवाल ने कहा कि रेस्क्यू ऑपरेशन लगातार जारी है. इसे अगले 30 से 40 घंटे में सफलतापूर्वक खत्म किया जा सकता है. इसके लिए सभी टीमें पूरी शिद्दत से लगी हुई हैं. अब देशवासियों को टनल हादसे पर जल्द ही खुशखबरी मिलने की उम्मीद है.

उत्तरकाशी रेस्क्यू मिशन (Uttarkashi Rescue Mission) के नोडल अधिकारी नीरज खैरवाल ने बताया कि रेस्क्यू कार्य तेज गति से चल रहा है. रेस्क्यू पांच मोर्चों पर जारी है. बीते दिन रेस्क्यू टीम द्वारा टनल के आरपार की गई छह इंच की लाइफ सपोर्ट पाइपलाइन से मजदूरों तक डॉक्टर्स के निर्देशानुसार सॉलिड फूड पहुंचाया जा रहा है. साथ ही साथ मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने की कवायद भी तेजी से चल रही है.

वर्टिकल तरीके से रेस्क्यू की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है. अब पहाड़ के ऊपर मशीन भेजी जा चुकी है, जिससे पहाड़ से ड्रिल करने का काम शुरू हो गया है. ऊपर से नीचे तक तकरीबन 250 मीटर ड्रिलिंग करने के बाद मजदूरों तक पहुंचा जाएगा. वहीं बड़कोट की तरफ से भी सुरंग में ड्रिलिंग का काम हो रहा है. करीब 470 मीटर की ड्रिलिंग की जाएगी. हालांकि सिल्क्यारा की तरफ से पहले की तरह की रेस्क्यू लगातार जारी है.

इस पूरे रेस्क्यू अभियान में समन्वय के नोडल अधिकारी नीरज खैरवाल, जिलाधिकारी उत्तरकाशी अभिषेक रुहेला, एसपी उत्तरकाशी अर्पण यदुवंशी और अन्य एजेंन्सियों के आला अधिकारी व एक्सपर्ट मौके पर रेस्क्यू कार्य में जुटे हुए हैं. अब उम्मीद यही है कि जल्द से जल्द सभी 41 मजदूरों को सकुशल बाहर निकाल लिया जाएगा.

बता दें कि सुरंग में फंसे 41 मजदूरों का एक वीडियो जारी किया गया है, जिसमें वह सभी सकुशल दिखाई दे रहे हैं. इस वीडियो में मजदूर सुरंग में एक साथ खड़े और एक-दूसरे से बात करते दिखाई दे रहे हैं. इस बीच, मलबे को आर-पार भेदकर डाली गई छह इंच वाली पाइपलाइन के जरिए बीते सोमवार रात को श्रमिकों तक खिचड़ी भेजी गई. खिचड़ी को चौड़े मुंह वाली प्लास्टिक की बोतलों में पैक कर मजदूरों तक पहुंचाया गया.

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