भाजपा ने घोषणा पत्र को गारंटी का दस्तावेज बना दिया

– डॉ. आशीष वशिष्ठ

साल 1980 में स्थापना के बाद 1984 के आम चुनाव में पहली बार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने संसदीय चुनाव लड़ा। इस चुनाव में भाजपा के मेनिफेस्टो यानी घोषणा पत्र का शीर्षक था, ‘टुवर्डस न्यू पॉलिटी’ यानी नई राजनीति की ओर। घोषणा पत्र वह दस्तावेज होता है जो चुनाव लड़ने वाले सभी राजनीतिक दल जारी करते हैं। इसमें वे जनता के सामने अपने वादे रखते हैं। इसके जरिए बताते हैं कि वे चुनाव जीतने के बाद जनता के लिए क्या-क्या करेंगे। उनकी नीतियां क्या होंगी। सरकार किस तरह से चलाएंगे और उससे जनता को क्या फायदा मिलेगा। हालांकि, वास्तविकता में घोषणा पत्र वादों का पिटारा मात्र होता है, जिनसे जनता को लुभा कर वोट मांगा जाता है। ये वादे कितने पूरे होते हैं, यह अलग चर्चा का विषय है। घोषणा पत्र को लेकर ज्यादातर राजनीतिक दलों का रवैया, रात गई, बात गई वाला होता है।

भारत के संसदीय इतिहास में भाजपा अब तक 10 आम चुनाव में भाग ले चुकी है। चुनावी मैदान में भाजपा को हार मिली हो या जीत, भले ही इस यात्रा में लाख संकट या समस्याएं उसके सामने आई हों, लेकिन वह कभी अपनी विचारधारा और राष्ट्र सेवा के कर्तव्य से विमुख नहीं हुई। भाजपा ने अपनी चार दशक की यात्रा में शून्य से शिखर तक पहुंची है। उसकी इस सफलता का रहस्य यही है कि वह जो देशवासियों से वादा करती है, उसे पूरा भी करती है। उसकी कथनी और करनी में कोई भेद नहीं है। अपनी इसी मनोवृत्ति ओर संकल्पवृति के चलते ही बीते 44 वर्ष में भाजपा का घोषणा पत्र, संकल्प पत्र से होता हुआ अब गारंटी का दस्तावेज बन गया है।

देश की जनता ने जब-जब भाजपा को केंद्र और राज्यों में सेवा करने का अवसर प्रदान किया, भाजपा ने चुनाव के समय किये वादों को संकल्प मानकर उन्हें पूरा करने की दिशा में पूरी ऊर्जा लगा दी। इसी सेवाभाव से आमजन के बीच भाजपा की छवि एक ऐसे दल के तौर पर उभरी जो केवल वादे करता ही नहीं बल्कि उसे पूरा भी करता है।

2014 में देश की जनता ने भाजपा के प्रधानमंत्री पद के चेहरे नरेन्द्र मोदी के वादों पर विश्वास कर, उन्हें सत्ता की चाबी सौंपी। प्रधानमंत्री मोदी ने भी जनता के विश्वास का मान रखा ही नहीं बल्कि वादों से ज्यादा बढ़कर जनकल्याण और विकास के कार्यों को करके दिखाया। उसी का नतीजा यह रहा कि विपक्ष के प्रलोभन और दुष्प्रचार के बावजूद देशवासियों ने 2019 में दूसरी बार उन्हें देश की सत्ता सौंपी।

पिछले एक दशक में मोदी सरकार ने रक्षा, अर्थव्यवस्था, विदेश नीति, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, व्यापार, विज्ञान, अनुसंधान, पर्यावरण, उद्योग और अंतरिक्ष विज्ञान यानी हर क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास कार्य किया है। मोदी सरकार के एजेंडे में महिला, बच्चे, किसान, सैनिक, मजदूर, आदिवासी, दलित, वंचित और युवा प्रथम पायदान पर हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने देशवासियों से किये एक-एक वादे को जमीन पर उतारने में कोई कसर बाकी नहीं रखी।

अपने दूसरे कार्यकाल में भाजपा ने चुनावी वादों को पूरा करने की कड़ी अनुच्छेद 370 हटाने के साथ शुरू की थी। विपक्ष की आपत्तियों और अल्पसंख्यकों के विरोध प्रदर्शन के बाद भी आर्टिकल 370 को हटाने का प्रस्ताव लोकसभा और राज्यसभा में अधिक मत से पारित कर दिया गया। 370 को हटाना किसी पहाड़ को हिलाने के बराबर का काम था। लेकिन भाजपा ने अपने इस वादे को पूरा करके दिखाया।

भाजपा ने तीन तलाक के दुरुपयोग पर अंकुश लगाने के लिए कानून बनाने का भी वादा किया था। दरअसल, मुस्लिम महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार और लगातार मिल रही शिकायतों के आधार पर भाजपा ने तीन तलाक को गैरकानूनी घोषित कर दिया। साल 2019 में केंद्र सरकार ने मुस्लिम महिला,विवाह अधिकार संरक्षण कानून बना कर अपना यह वादा भी पूरा कर दिया।

एक लंबे संघर्ष और विरोध के बाद अयोध्या राम मंदिर का फैसला हिंदुओं के पक्ष में आना एक बहुत बड़ा मौका रहा। भाजपा ने वादा किया था कि वो सत्ता में आते ही राम मंदिर का निर्माण कराएगी। अदालत का फैसला आने तक राम मंदिर पर किसी प्रकार के काम को रोका गया था, लेकिन फैसला आने के तुरंत बाद जोरशोर से मंदिर निर्माण का काम शुरू हुआ। इसके बाद 22 जनवरी, 2024 को भाजपा ने अपना वादा पूरा करते हुए मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की।

देश में नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए-2019 को लागू कर भाजपा ने लोकसभा चुनाव में उतरने से पहले अपना एक और वादा पूरा करने का काम किया। भाजपा के चुनावी वादों में समान नागरिक संहिता को लागू करने की बात भी कही गयी। हालांकि, यह कानून पूरे देश में लागू न होकर केवल कुछ भाजपा शासित राज्यों तक ही सीमित है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 के चुनाव प्रचार के दौरान ‘मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस’ की बात की थी। आज दस साल के कार्यकाल के बाद मैक्सिमम गवर्नेंस को आम आदमी साफ तौर पर अनुभव कर रहा है। इसी चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में जनता को ‘भ्रष्टाचार मुक्त सरकार’ देने का वादा किया था। कुर्सी पर बैठते ही प्रधानमंत्री मोदी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जो जंग छेड़ी थी। उसके नतीजे आज सबके सामने है। खासकर राजनीतिक भ्रष्टाचार पर प्रहार करके उन्होंने वो काम किया है, जो आज तक कोई दल या राजनेता नहीं कर पाया।

महंगाई के मुद्दे पर यूपीए सरकार को लगातार घेरने वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने महंगाई के मोर्चे पर लगातार काम किया है। महंगाई कम करना भी भाजपा के मुद्दे में रहा है। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि भाजपा की सरकार ने महंगाई पर प्रभावी नियंत्रण के लिए दीर्घकालिक योजनाएं बनाकर उस दिशा में काम किया है। आज दुनिया के विकसित और तेजी से आगे बढ़ते देशों की तुलना में भारत में महंगाई नियंत्रण में हैं। पड़ोसी देश पाकिस्तान में आज महंगाई आकाश छू रही है तो बांग्लादेश और श्रीलंका की आर्थिक स्थिति किसी से छिपी नहीं है। आज भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है।

भारत में शिक्षा की गुणवत्ता, रिसर्च और इनोवेशन की चुनौतियों को दूर करने के लिए नई सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार करने का वादा किया था। नई शिक्षा नीति देश में लागू हो चुकी है। शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक सुधार हो रहा है। देश भर में इंजीनियरिंग, मेडिकल कॉलेज और विश्वविद्यालयों का निर्माण हुआ है, और ये काम लगातार जारी है। 2014 में भाजपा ने पूरे देश से खेल प्रतिभाओं को ढूंढने के लिए एक प्रणाली बनाने की घोषणा की थी। आज उसके नतीजे देश के सामने हैं। विश्व स्तरीय खेल प्रतियोगिताओं में हमारे खिलाड़ी रिकार्ड तोड़ प्रदर्शन कर रहे हैं।

जन वितरण प्रणाली यानी पीडीएस में सुधार पर चुनावी प्रचार में भाजपा का खासा जोर था। दस वर्षों में पीडीएस सिस्टम में व्याप्त दोषों को खत्म करने के लिए सरकार ने जो उपाय किये हैं, उससे बिचौलियों का हिस्सेदारी न्यून हुई। पीडीएस प्रणाली में सुधार का ही नतीजा है कि आज देश में 80 करोड़ जरूरतमंदों को मुफ्त अनाज का वितरण सुविधा और पारदर्शिता से हो पा रहा है।

पिछले एक दशक में जिन राज्यों में गैर भाजपा की सरकारें बनीं। वो चुनाव के समय जनता से किये हुए वादों को पूरा करने में नाकाम रही हैं। वर्तमान में पंजाब, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना की सरकारें इसका जीता जागता प्रमाण हैं। वहीं भाजपा ने अपने संकल्प पत्र के कागज पर लिखे वादों को जमीन पर उतारकर करोड़ों देशवासियों का विश्वास जीता है। इसलिए देशवासी विपक्ष के वचन पत्र की बजाय भाजपा के संकल्प पत्र पर ज्यादा भरोसा करते हैं। अब तो बात मोदी की गारंटी तक पहुंच चुकी है।

पिछले साल दिसंबर में एक समाचार संचार माध्यम को दिए साक्षात्कार में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ”मेरे लिए गारंटी केवल शब्द या चुनावी वादे नहीं हैं, यह मेरी दशकों की कड़ी मेहनत है। यह समाज के प्रति संवेदनशीलता की अभिव्यक्ति है। मैं जब ‘गारंटी’ की बात करता हूं, तो मैं अपने को इसके साथ बांधता हूं। यह मुझे सोने नहीं देती, यह मुझे कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित करती है, यह मुझे अपना सब कुछ देश के लोगों को दे देने की तरफ ले जाती है।” राजनीतिक दलों को भाजपा से कुछ और नहीं तो कम से कम वादे पूरा करने के गुण को जरूर सीखना चाहिए।

(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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