बेंगलुरु (Bangalore)। कर्नाटक (Karnataka) में भाजपा (BJP) ने अपनी पहली लिस्ट में ही ऐसे दांव चले हैं जो कि कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी कर सकते हैं। भले ही पहली लिस्ट जारी होते ही पार्टी के अंदर असंतोष देखने को मिला लेकिन भाजपा ने तात्कालिक तुष्टीकरण से ज्यादा वांछित परिणाम के लिए कड़े फैसले किए। भाजपा ने परंपरा को तोड़ते (breaking tradition) हुए इस बार कांग्रेस के संभावित मुख्यमंत्री चेहरों (Congress’s potential chief ministerial faces) की सीट पर दो मजबूत प्रत्याशी (two strong candidates) उतार दिए।
कांग्रेस के डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया की सीट पर भाजपा ने आर अशोक और वी सोमन्ना को टिकट दिया है। दक्षिण कर्नाटक में कांग्रेस के दो सबसे मजबूत उम्मीदवारों के लिए भाजपा ने चुनौती खड़ी कर दी है। इस फैसले के जरिए भाजपा ना केवल कांग्रेस के मजबूत नेताओं को उनके घर में ही घेरना चाहती है बल्कि दक्षिण कर्नाटक में बेहतर प्रदर्शन करके राज्य में अपना किला बरकरार रखना चाहती है।
लिंगायत कार्ड
ये ऐसी सीटें हैं जहां भाजपा का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था। कनकपुरा सीट वोक्कालिंगा समुदाय के हाथ में रहती है। बीते तीन चुनावों में यहां भाजपा तीसरे नंबर पर रहती थी। वरुणा सीट लिंगायत बहुल है। यहां पिछले चुनाव में भाजपा को मात्र 22 फीसदी वोट हासिल हुए थे। आर अशोक और वी सोमन्ना ना केवल कांग्रेस के टॉप नेताओं को चुनौती देंगे बल्कि अपने-अपने क्षेत्रों से भी चुनाव लड़ेंगे।
घर में घेरने का प्लान
अशोक एक जानेमाने वोक्कालिंगा नेता हैं और सोमन्ना लिंगायत समुदाय से आते हैं। भाजपा ने इन दो सीटों को जीतने के लिए पूरा जोर लगाने के विचार कर लिया है। दोनों ही प्रत्याशियों को यह भी वादा किया है कि अगर वे अच्छा प्रदर्शन करते हैं तो उनके परिवार के लोगों को भी सीट दी जाएगी। भाजपा का माना है कि अगर दो मजबूत नेताओं को उनके घर में ही घेर लिया जाए तो पूरे चुनाव अभियान में कांग्रेस कमजोर पड़ जाएगी।
बीएस येदियुरप्पा का प्रभाव
इस बार भले ही पूर्व मुख्यंत्री बीएस येदियुरप्पा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं लेकिन प्रत्याशियों की लिस्ट पर उनका प्रभाव साफ नजर आता है। सोमवार की शाम वह दिल्ली से बेंगुलुर वापस पहुंचे थे। भाजपा की तरफ से संकेत किया गया था कि वह संतुष्ट होकर लौटे हैं और उन्हें कोई शिकायत नहीं है। भाजपा की लिस्ट में 50 से ज्यादा प्रत्याशी लिंगायत समुदाय से हैं। बीएस येदियुरप्पा भी इसी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। वहीं इस लिस्ट में 40 प्रत्याशी वोक्कालिंगा हैं। 2018 के चुनाव में भाजपा ने कुल 55 लिंगायत प्रत्याशी उतारे थे। अभी भाजपा की लिस्ट आना बाकी है।
कुछ महीने पहले ही बीएस येदियुरप्पा ने ऐलान कर दिया था कि वह अपनी शिकारिपुरा सीट से चुनाव नहीं लड़ेंगे। भाजपा ने बीएस येदियुरप्पा की बात मानी और इस सीट से उनके बेटे बीवाई विजयेंद्र को टिकट दिया। इसके अलावा लिस्ट में उनके कई समर्थक शामिल हैं। इस बार भाजपा ने उन्हें चुनाव अभियान का प्रमुख चेहरा बनाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सभा के दौरान उनका हाथ पकड़कर बता दिया था कि बीएस येदियुरप्पा को पार्टी कितना महत्व देने जा रही है।
अमित शाह ने भी उनके बेटे से फूल स्वीकार किया था। भाजपा ने एक दिन पहले जो सूची जारी की है उसमें 189 में से 52 नए उम्मीदवार हैं। इसके बाद दो नेताओं ने पार्टी छोड़ दी वहीं पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार ने भी पार्टी को चुनौती दी है। उनका कहना है कि किसी भी कीमत पर उनको टिकट मिलना चाहिए।
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