बिल्डर और दलाल ने नक्शा स्वीकृती के नाम पर ठगे 29 हजार

  • धोखाधड़ी… निगम के कर्मचारियों की मिली भगत

इंदौर। निगम के कर्मचारियों के साथ मिलकर दलाल और बिल्डर ने नक्शा पास करवाने के लिए सिलीकॉन सिटी निवासी आवेदक को ठग लिया है। 29 हजार रूपए स्वीकृती के लेने के बावजूद भी नकली रिपोर्ट थमा दी और खुलासा होने पर गायब हो गए।
नक्शा स्वीकृत करवाने के नाम पर निगम के कर्मचारियों बिल्डर और दलालों की जालसाजी खुले आम फल फूल रही है दलालों के माध्यम से कॉलोनी सेल में जहां फाइलें साइन करवाई जा रही है वहीं भवन अनुज्ञा लेने के लिए सांठगांठ के नाम पर ठगा जा रहा है। निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका भी कई बार उजागर हो चुकी है लेकिन जिम्मेदारों तक मामले पहुंचने के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। इसी तरह का मामला लेकर पहुंचे आवेदक ने प्रशासनिक अधिकारियों से शिकायत की थी कि उसके घर का नक्शा पास कराने के नाम पर अंकित पंडित ने 29 हजार रूपए की मांग की 20 हजार रूपए नगद और 9 हजार रूपए ऑनलाईन ट्रांसफर करने के बाद भवन निर्माण का स्वीकृत नकली नक्शा आवेदक को थमा दिया।

वकील को ही ठग लिया
आमतौर पर ठगी से बचने के लिए नियम कानून की जानकारी लेने के लिए आम जनता वकिलों से विचार विमर्ष करती है लेकिन अभिभाषक शशीकांत ठोकर को ही दलालों ने ठग लिया। उन्होंने बताया कि सिल्वर स्टार सिटी एक्सटेंशन पार्ट वन भू खण्ड क्रमांक 884 जिसकी साइज 15/45 फीट कुल 600 वर्गफीट खरीदा था जिस पर घर बनाने के लिए नगर निगम से नक्शा पास करवाने की बात चल रही थी। प्रापर्टी ब्रोकर व बिल्डर अंकित पिता दीपक पंडित निवासी सिलीकॉन सिटी ने स्वीकृती दिलाने की बात कही और दस से प्रंदह दिन के बाद भवन के मानचित्र की पीडीएफ कॉपी मोबाइल पर उपलब्ध कराई और दो तीन दिन बाद भवन निर्माण अनुज्ञा पत्र पीएमटी/ आईएनडी/ 0152/92/2023 की प्रति 19 जून को दी और कहा कि अब आप भवन निर्माण करा सकते है। उक्त आदेश में शशीकांत नाम दर्ज होना पाया गया लेकिन जब यह आदेश घर बनाने के लिए बिल्डर को दिया तो उन्होंने गड़बड़ी की आशंका दर्ज कराते हुए नगर निगम में जाकर सत्यता परखने की बात कही।

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रउड़ गए होश
आवेदक द्वारा निगम में नक्शे की जांच के दौरान खुलासा हुआ कि उक्त जमीन नगर निगम में उनके नाम के बजाय अब्दुल अजीज पिता अब्दुल हकीम मकान नंबर 101 नार्थ पार्ट मुराई मोहल्ला के नाम पर दर्ज और उनके द्वारा लगाया भवन निर्माण अनुज्ञा पत्र निरस्त किया जा चुका है। आवेदक ने बिल्डर अंकित को फोन लगाकर के संबंध में जानकारी चाही तो वे टालमटोली करने लगा और उसके बाद से ही उसका फोन बंद हो गया। प्रशासन में लिखीत शिकायत दर्ज है।

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