क्‍या NCP चीफ शरद पवार हो सकते हैं NDA में शामिल? जानिए उनके बयान का इशारा

मुंबई (Mumbai)। महाराष्‍ट्र (Maharashtra) की राजनीति में चाणक्‍य (Chanakya in politics) कहे जाने वाले NCP चीफ शरद पवार के बयान इस समय मीडिया में खुब वायरल हो रहे हैं। उनके बयानों से राजनीतिक पंडितों को लगने लगा है कि जल्‍द ही शरद पवार एनडीए में शामिल हो सकते हैं, क्‍योंकि अडानी पर हिंडनबर्ग (Hindenburg on Adani) की रिपोर्ट की उन्‍श्रहोंने जमकर आलोचना भी की। साथ ही उन्होंने हिंडनबर्ग रिपोर्ट को लेकर जेपीसी जांच की कांग्रेस की एकतरफा मांग पर स्पष्ट रूप से कहा कि वह अपने महाराष्ट्र के सहयोगी के विचारों के साथ नहीं है।

यहां कि एनसीपी चीफ शरद पवार ने संसद के सुचारू रूप से ना चलने से लेकर विभिन्न मुद्दों को लेकर भी उन्‍होंने मीडिया से चर्चा की। NCP प्रमुख ने विपक्ष की एकता को और मजबूत करने के लिए क्या किया जाए, इस पर भी जोर दिया. शरद पवार ने मौजूदा राजनीति में विपक्षी पार्टियों की भूमिका पर भी बात की। उन्होंने एक मीडिया को दिए इंटरव्यू के दौरान 2024 में होने वाले आम चुनाव में BJP के खिलाफ विपक्ष की किस तरह की योजना होनी चाहिए पर भी अपनी राय रखी। साथ ही उन्होंने कांग्रेस पार्टी के भविष्य को लेकर भी टिप्पणी की।


बता दें कि हाल ही में महाराष्ट्र बीजेपी के कद्दावर नेता देवेंद्र फडणवीस ने अपने एक बयान में खुलासा किया कि पिछले साल महाराष्‍ट्र में जिस तरह से उलटफेर हुआ था उसकी स्क्रिप्ट राजनीति के चाणक्य और एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने लिखी थी। उन्होंने बताया कि साल 2019 में महाराष्ट्र में एनसीपी चीफ शरद पवार के भतीजे अजित पवार की बगावत, उनका देवेंद्र फडणवीस के साथ मिलकर सरकार बनाना, खुद उपमुख्यमंत्री और फडणवीस को मुख्यमंत्री बनना, फिर इस्तीफा देना और उद्धव ठाकरे का मुख्यमंत्री बनाना, सब कुछ स्क्रिप्टेड था।

एनसीपी चीफ शरद पवार ने फडणवीस के इस दावे पर कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने उनके भतीजे और एनसीपी के नेता अजित पवार के साथ सरकार बनाई थी। इसका फायदा ये हुआ की इस फैसले से साल 2019 में महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन खत्म हो गया। साल 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 105 सीटों पर जीत दर्ज की थी, इस चुनाव के नतीजे 24 अक्टूबर, 2019 को घोषित किए गए थे। वहीं बीजेपी के साथ गठबंधन में रही शिवसेना ने 56 सीट अपने नाम किया था. उस वक्त बीजेपी और शिवसेना की गठबंधन के पास सरकार बनाने के लिए पर्याप्त सीट थे लेकिन इसके बाद भी दोनों सहयोगी दलों के बीच मुख्यमंत्री का पद किसे मिलेगा इस पर विवाद शुरू हो गया।


इस विवाद के परिणामस्वरूप शिवसेना ने कांग्रेस और राकांपा के साथ मिलकर सरकार बनाने के लिए बातचीत शुरू कर दी। वहीं राज्य का सीएम कौन बनेगा इसपर कोई नतीजा नहीं निकलने पर राज्यपाल ने चुनाव परिणाम आने के 19वें दिन राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी और केंद्र सरकार ने 12 नवंबर को राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया।

वैसे भी सियासी गलियारे में शरद पवार को लेकर चर्चा रहती है कि जब उन्हें दिल्ली जाना होता है तो अहमदाबाद का टिकट कटाते हैं और कोलकाता की फ्लाइट पकड़ते हैं। आसान भाषा में समझे तो राजनीति में उनका अगला कदम क्या होगा इसके बारे में किसी को पता नहीं होता।

महाराष्ट्र की राजनीति के चाणक्य हैं पवार
महाराष्ट्र पॉलिटिक्स में मराठा क्षत्रप शरद गोविंद राव पवार ऐसे नेता हैं जिन्होंने पिछले पचास साल से लगातार यहां की राजनीति में अपनी अहमियत बरकरार रखी है। नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार की शख्सियत इतनी बड़ी है कि कहा जाता है कि महाराष्ट्र की पूरी राजनीति उनके इर्द गिर्द घूमती है. इससे फर्क नहीं पड़ता कि वो सत्ता में हैं या नहीं पवार की पावर पॉलिटिक्स हर पार्टी समझती है।

2014 में एनसीपी ने महाराष्ट्र में भाजपा को समर्थन दिया था
विदित हो कि इससे पहले नागालैंड में बीजेपी के साथ शरद पवार का गठबंधन इस तरह का पहला उदाहरण नहीं है। 2014 में, एनसीपी ने महाराष्ट्र में भाजपा को समर्थन देने का वादा किया। राज्य विधान सभा की 288 सीटों में से 122 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी भाजपा 23 सीटों से बहुमत से कम हो रही थी। भाजपा तब संभावित सहयोगी की तलाश में थी।

2019 में पवार ने भाजपा-राकांपा गठबंधन की संभावना पर कथित रूप से चर्चा करने के लिए दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक की थी। इस बार बीजेपी महाराष्ट्र में सत्ता बरकरार रखने के लिए एनसीपी के समर्थन पर निर्भर थी।

कुछ माह पहले हुए चुनाव में नागालैंड में एनडीपीपी-बीजेपी गठबंधन में शामिल होने के राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के फैसले से सबको चौंका दिया था।

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