कीमत पर अंकुश लगाने के लिए राज्यों को चावल नहीं दे रहा केंद्र, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों ने की मांग

नई दिल्ली। केंद्र ने यह सुनिश्चित करने के लिए अपने स्टॉक से कई राज्यों को चावल उपलब्ध कराने या बेचने से इन्कार कर दिया है कि अनाज की कीमत खुले बाजार में न बढ़े और लोगों को यह सस्ते में मिलता रहे।

केंद्रीय उपभोक्ता मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को कर्नाटक को चावल की आपूर्ति से मना किए जाने के बाद उत्पन्न राजनीतिक विवाद के बीच कहा कि सचिवों की एक समिति ने फैसला किया है कि केंद्रीय भंडार में चावल का स्टॉक देश के 140 करोड़ लोगों की सेवा के लिए रखा जाना चाहिए। राज्य जरूरत पड़ने पर बाजार से चावल खरीद सकते हैं। गोयल ने कहा, मुझे उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश, समेत कई राज्यों से चावल की मांग मिली है। लेकिन, हमने उन सबको चावल देने से इनकार कर दिया है।

केंद्र ने कुछ देशों को गेहूं और टूटे चावल के निर्यात को मंजूरी दे दी। इन देशों की ओर से अनाज के शिपमेंट की अनुमति देने के अनुरोध के बाद सरकार ने यह फैसला किया। सरकार ने 2022 में गेहूं और टूटे चावल के निर्यात पर रोक लगाई थी। सरकार की ओर से मंगलवार देर रात जारी अलग अलग अधिसूचनाओं में बताया गया कि इंडोनेशिया, सेनेगल, गांबिया को वित्तवर्ष 2023-24 में टूटे चावल और नेपाल को गेहूं का निर्यात किया जाएगा। इन देशों को अनाज निर्यात करने वाले भारतीय निर्यातकों को गेहूं और टूटे चावल के आवंटित कोटा के लिए बोली लगानी होगी।

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