क्लस्टर, कास्ट और कॉर्पोरेट स्टाइल… UP में मिशन-80 के लिए ये है BJP का प्लान

लखनऊ: देश की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है. पीएम मोदी इसी यूपी के जरिए दो बार केंद्र सत्ता हासिल कर चुके हैं और 2024 में हैट्रिक लगाने की कोशिश में हैं तो विपक्ष की रणनीति बीजेपी को इसी रास्ते पर रोकने की है. इसी के मद्देनजर बीजेपी सूबे में क्लीन स्वीप यानि सभी 80 सीटें जीतकर नया इतिहास रचना चाहती है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए बीजेपी सियासी दांव चल रही है और उसी लिहाज से चुनावी बिसात बिछाने में जुटी है ताकि विपक्ष की कोई भी रणनीतिय कामयाब न हो सके.

यूपी की 80 लोकसभा सीटों को बीजेपी ने 20 क्लस्टर में बांटा है और उस पर अपने सिपहसलार नियुक्त कर दिए हैं. एक क्लस्टर में तीन-चार सीटें रखी गई है. योगी सरकार के 12 मंत्रियों को बनाया गया क्लस्टर प्रभारी बनाया है. इसके अलावा 4 पूर्व मंत्रियों और संगठन के मंझे हुए नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी गई है. बीजेपी ने मिशन-80 को पूरा करने के लिए बकायदा कॉरपोरेट तरीके से स्ट्रैटेजी बनाई है तो सोशल इंजीनियरिंग का दांव चला है. यूपी की 80 सीटों का जिम्मा 20 क्लस्टर हेड को सौंपा गया है, जिसमें सीट और क्षेत्र के सियासी और जातीय मिजाज का खास ख्याल रखा गया है.

बीजेपी संगठनात्मक रूप से यूपी को 6 हिस्सों में बांटकर काम करती है, जिसमें अवध क्षेत्र, कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र, ब्रज क्षेत्र, पश्चिमी क्षेत्र, काशी क्षेत्र और गोरखपुर क्षेत्र है. 2024 लोकसभा चुनाव के लिहाज से बीजेपी ने 80 लोकसभा सीटों को इन्हीं छह क्षेत्रों को 20 क्लस्टर में बांटा है. अवध और काशी क्षेत्र में चार-चार क्लस्टर बनाए गए हैं तो कानपुर-ब्रज-पश्चिम-गोरखपुर क्षेत्र में तीन क्लस्टर बनाए हैं. मिशन-2024 के तहत क्लस्टर हेड बनाए हैं ताकि एक-एक सीट पर चुनावी तैयारी जमीनी स्तर पर बारीकी से की जा सके. इसीलिए एक प्रभारी को तीन से पांच सीटों का जिम्मा सौंपा गया है.

अवध क्षेत्र में क्लस्टर की कॉस्ट पॉलिटिक्स
बीजेपी ने अवध क्षेत्र की 17 लोकसभा सीटों को चार क्लस्टर में बांटा है. 2019 में बीजेपी ने इन 17 सीटों में 4 सीटें ही जीतने में सफल रही है जबकि तीन सीटों विपक्ष के हिस्से में गई थी, जिनमें दो बसपा और एक कांग्रेस जीती थी. बीजेपी ने अवध क्षेत्र के क्लस्टर में दो ठाकुर, पंजाबी-कुर्मी-लोधी समुदाय से एक-एक प्रभारी बनाए हैं, अवध क्षेत्र में ठाकुर और ओबीसी वोटर काफी अहम है. लखनऊ क्लस्टर के तहत लखनऊ, मोहनलालगंज, रायबरेली और उन्नाव सीटें है, जिसकी जिम्मेदारी मंत्री सुरेश खन्ना की दी गई है और उनके साथ पूर्व मंत्री मुकुल बिहारी वर्मा को लगाया गया है. सुरेश खन्ना पंजाबी है जबकि मुकुट बिहारी कुर्मी समुदाय से आते हैं. इस इलाके में इन दोनों ही समुदाय के वोट काफी निर्णायक है, जिसके जरिए बीजेपी चारों सीटों पर जीतने की रणनीति है जबकि 2019 में तीन सीटें जीती थी.

अवध क्षेत्र में अयोध्या क्लस्टर का जिम्मा मंत्री दयाशंकर सिंह को सौंपी गई है, जिसमें अयोध्या, बाराबंकी और अंबेडकर नगर सीट आती है. इनमें से दो सीटों पर बीजेपी और एक सीट पर बसपा का कब्जा है. दयाशंकर ठाकुर समुदाय से आते हैं और संगठन में लंबे समय तक रहे हैं. अवध क्षेत्र के सीतापुर क्लस्टर में पांच सीटें आती है, जिसमें सीतापुर, धौरहरा, लखीमपुरखीरी, हरदोई और मिश्रिख है. इस क्लस्टर की जिम्मेदारी मंत्री जेपीएस राठौर को सौंपी गई है, जो लंबे समय तक संगठन में रहे हैं. पांचों सीटों पर बीजेपी का फिलहाल कब्जा है, जिसे 2024 में बरकरार रखने का चैलेंज राठौर के कंधों पर है. इसी तरह से मंत्री धर्मपाल सिंह को गोंडा क्लस्टर का प्रभारी बनाया गया है, जिसके तहत कैसरगंज, बहराइच, श्रावस्ती और गोंडा सीटें आती है. इसमें तीन सीटें बीजेपी के पास है और एक सीट बसपा के पास है. बीजेपी 2024 में चारों सीटें जीतना चाहती है, जिसके लिए लोधी समुदाय से आने वाले धर्मपाल सिंह को जिम्मा सौंपा गया है.

गोरखपुर क्षेत्र में बीजेपी का क्लस्टर प्लान
बीजेपी ने गोरखुपर क्षेत्र की 15 लोकसभा सीटों को तीन क्लस्टर में बांटा है, जिसमें गोरखपुर, बस्ती और आजमगढ़ क्षेत्र है. बीजेपी ने 2019 के चुनाव में इस क्षेत्र की 15 में से 12 सीटें ही जीत सकी थी और तीन सीटें विपक्ष के खाते में गई गई थी, जिसमें 2 सीटें बसपा और एक सीट सपा जीती थी. 2024 के लिहाज से बीजेपी गोरखपुर क्लस्टर में निषाद, कायस्थ और भूमिहार समुदाय से आने वाले नेताओं को जिम्मा सौंपा है. इस तरह कॉस्ट केमिस्ट्री बनाने की रणनीति अपनाई है, क्योंकि निषाद और भूमिहार दोनों ही जातियां काफी अहम है.

गोरखपुर क्लस्टर का प्रभारी जयप्रकाश निषाद को बनाया है, जिनके ऊपर गोरखपुर, देवरिया, बांसगांव, महाराजगंज और कुशीनगर सीट है. 2019 में बीजेपी सभी पांचों सीटें जीतने में कामयाब रही है, लेकिन इस पर कड़ी चुनौती है. इस इलाके में निषाद वोटर निर्णायक है. गोरखपुर के बस्ती कलस्टर का जिम्मा पूर्व मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह को दिया गया है, जो कायस्थ समुजाय से आते हैं. बस्ती क्लस्टर में तीन सीटें है, जिसमें बस्ती, डुमरियागंज और संतकबीर नगर है और तीनों ही सीट पर बीजेपी काबिज है. आजमगढ़ क्लस्टर में पांच लोकसभा सीटें आती है, जिसमें आजमगढ़, बलिया, लालगंज, घोसी और सलेमपुर की सीट शामिल है. इस इलाके का प्रभार मंत्री सूर्य प्रताप शाही को सौंपा गया है, जो भूमिहार समुदाय से आते हैं. पांच लोकसभा सीटों पर भूमिहार समुदाय के वोटर निर्णायक हैं.

काशी क्षेत्र के क्लस्टर की सियासत
बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर काशी क्षेत्र को चार क्लस्टर में बांटा है, जिसमें काशी, जौनपुर, प्रयागराज और मिर्जापुर है. काशी क्षेत्र में कुल 14 लोकसभा सीटें आती है 2019 में बीजेपी और उसके सहयोगी अपना दल ने 11 सीटें जीती थी जबकि तीन सीटें विपक्ष के खाते में गई थी. बीजेपी 2024 में काशी क्षेत्र में क्लीन स्वीप करने के मद्देनजर यादव-वैश्य-राजभर और ब्राह्मण समुदाय पर भरोसा जताया है. इन्हीं चारो समुदाय का सियासी इस क्षेत्र में है.

काशी क्षेत्र के काशी क्लस्टर के तहत तीन लोकसभा सीटें आती है, जिसमें वाराणसी, चंदौली और गाजीपुर की सीट है. 2019 में गाजीपुर को छोड़कर बीजेपी ने बाकी दो सीटों पर जीत हासिल की थी. बीजेपी ने इस क्लस्टर का प्रभारी मंत्री गिरीश यादव को बनाया है, जो यादव वोटों को जोड़ने में काफी मुफीद साबित हो सकते हैं, क्योंकि यादव वोटर काफी निर्णायक है. काशी क्षेत्र के जौनपुर क्लस्टर के तहत चार लोकसभा सीटें आती हैं, जिसमें अमेठी, सुल्तानपुर, जौनपुर और मछली शहर है. इस क्लस्टर का प्रभार मंत्री नंद गोपाल नंदी को बनाया है. 2019 में बीजेपी जौनपुर सीट छोड़कर बाकी सीटें जीतने में सफल रही थी. नंद गोपाल नंदी वैश्य समुदाय से आते हैं.

प्रयागराज क्लस्टर के तहत चार लोकसभा सीटें आती हैं, जिसमें प्रतापगढ़, प्रयागराज, फूलपुर और कौशांबी शामिल है. इस क्लस्टर की जिम्मेदारी मंत्री अनिल राजभर को दी गई है. 2019 में बीजेपी सभी चारो सीटें जीतने में सफल रही थी और 2024 में नतीजे दोहराने की चुनौती है. मिर्जापुर क्लस्टर के के तहत तीन लोकसभा सीटें आती हैं, जिसमें मिर्जापुर,सोनभद्र और भदोही है. इस क्लस्टर की जिम्मेदारी आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु को सौंपी गई है. दयालू वाराणसी के रहने वाले हैं, जिसके चलते मिर्जापुर के सियायी मिजाज को समझते हैं और तीनों सीटों के जातीय समीकरण में भी फिट बैठ रहे हैं.

पश्चिम क्षेत्र में क्लस्टर का दांव
बीजेपी ने पश्चिमी क्षेत्र की 14 लोकसभा सीटों को तीन क्लस्टर में बांटा है, जिसे मेरठ, मुरादाबाद और मुजफ्फरनगर है. बीजेपी को 2019 के चुनाव में इसी इलाके में सबसे ज्यादा चुनौतियों का सामना करना पड़ा था. बीजेपी 2019 में चुनाव में पश्चिमी क्षेत्र की 17 में से महज 7 सीटें ही जीत सकी थी जबकि 7 सीटें विपक्ष के खाते में गई थी. बीजेपी ने 2024 के चुनाव में क्लीन स्वीप करने के मद्देनजर सैनी-वैश्य समुदाय पर दांव खेला है. पश्चिमी यूपी के क्षेत्र में सैनी वोटर काफी अहम है, जिसके चलते दो क्लस्टर में सैनी समुदाय के नेता को प्रभारी बनाया गया है.

मेरठ क्लस्टर के तहत पांच लोकसभा सीटें आती है, जिसमें गाजियाबाद, मेरठ, बागपत, बुलंदशहर और गौतमबुद्ध नगर शामिल है. इस इलाके का जिम्मा मंत्री कपिल देव अग्रवाल को सौंपा गया है, जो वैश्य समुदाय से आते हैं. 2019 में पांचों सीटें बीजेपी ने जीती थी, जिसे 2024 में दोहराने का चैलेंज है. मुरादाबाद क्लस्टर के तहत चार लोकसभा सीटें आती है, जिसमें मुरादाबाद, संभल, अमरोहा और रामपुर सीट है. 2019 में चारो सीटें बीजेपी हार गई थी और इस पर जीत दर्ज करने के लिए मंत्री जयवंत सैनी को प्रभारी बनाया है. इस इलाके में सैनी वोटर काफी निर्णायक है. मुजफ्फरनगर क्लस्टर के तहत पांच लोकसभा सीटें आती है, जिसमें सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, कैराना, बिजनौर और नगीना सीट है. बीजेपी 2019 में दो सीटें ही जीत सकी थी और तीन सीटें बसपा ने जीती थी. इस क्लस्टर का प्रभार सत्यपाल सैनी को सौंपी गई है ताकि सभी पांचों सीट पर जीत का परचम फहराया जाए.

कानपुर-बुलंदेखंड में क्लस्टर हेड
कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र में तीन क्लस्टर बीजेपी ने बनाया है, जिसके तहत 9 लोकसभा सीटें आती है और उसके लिए तीन क्लस्टर हेड बनाए हैं. 2019 में बीजेपी ने 9 सीटें जीतने में सफल रही थी. बीजेपी ने 2024 के चुनाव के लिहाज से इस क्षेत्र को कानपुर, झांसी और हमीरपुर क्लस्टर में बांटा है, जिसमें अति-पिछड़ा, ओबीसी और दलित समुदाय पर भरोसा जताया है. कानपुर क्लस्टर का जिम्मा राम किशोर साहू को सौंपी गई है, जिनके ऊपर कानपुर, अकबरपुर, फर्रुखाबाद, कन्नौज और इटावा सीट है. पांचों सीट पर बीजेपी का कब्जा है, जिसे 2024 में हरहाल में उस पर अपना दबदबा बनाए रखना चाहती है.

झांसी क्लस्टर के तहत दो लोकसभा सीटें आती है, जिसमें झांसी और जालौन सीट है. इस क्लस्टर का जिम्मा विलास शिवहरे को बनाया है, जो क्षेत्रीय महामंत्री हैं. हमीरपुर क्लस्टर के तहत तीन सीट आती हैं, जिसमें बांदा, हमीरपुर और फतेहपुर की सीट है. इस क्लस्टर का प्रभारी डॉ अनिल यादव को बनाया गया है, जो क्षेत्रीय उपाध्यक्ष हैं. 2019 में बीजेपी दोनों ही क्लस्टर की सभी सीटों को हरहाल में अपने पास रखना चाहती है, जिसके लिए यादव और दलित समुदाय पर भरोसा जताया है.

ब्रज क्षेत्र में बीजेपी का क्लस्टर दांव
बीजेपी ने ब्रज क्षेत्र को तीन क्लस्टर में बांटा है, जिसके तहत 13 लोकसभा सीटें आती है. आगरा, बरेली और अलीगढ़ क्लस्टर में बांटा है, जहां दलित व ठाकुर समुदाय को प्रभार सौंपा है. 2019 में बीजेपी 13 में से 12 सीटें जीतने में कामयाब रही थी और महज एक सीट हारी थी. आगरा क्लस्टर के तहत फतेहपुर सीकरी, आगरा, मैनपुरी और फिरोजाबाद हैं. 2019 में तीने सीटें बीजेपी जीतने में कामयाब रही और एक सीट सपा जीती थी. राजेश चौधरी को प्रभारी बनाया है, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं. अलीगढ़ क्लस्टर का जिम्मा मंत्री असीम अरुण को सौंपा गया है, जो दलित समाज से आते है. इस क्लस्टर में अलीगढ़, हाथरस, एटा और मथुरा सीट है. बरेली क्लस्टर में पांच सीटें आती है. बरेली, आंवला, बदायूं, पीलीफीत और शाहजहांपुर सीट है, पूर्व मंत्री सुरेश राणा को जिम्मेदैरी सौंपी गई है, जो ठाकुर समुजाय से आते हैं. इस इलाके में राजपूत वोटर काफी अहम है.

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