चार बार के सांसद पवन बंसल को किनारे कर कांग्रेस ने मनीष तिवारी पर क्यों खेला दांव?

नई दिल्‍ली(New Delhi) । कांग्रेस (Congress)ने 16 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की है, जिसमें चंडीगढ़ से पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पवन कुमार बंसल(Senior leader Pawan Kumar Bansal) का टिकट काट(cut ticket) दिया गया है। यहां से कांग्रेस ने मनीष तिवारी (Congress Manish Tiwari)को टिकट थमा दिया। इससे पहले चंडीगढ़ के टिकट के लिए पार्टी में काफी घमासान मचा हुआ था। पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन कुमार बंसल आठ बार चुनाव चंडीगढ़ सीट से लड़ चुके और चार बार सांसद रहे हैं। 2019 लोकसभा चुनाव में इस सीट पर पूर्व रेल मंत्री पवन बंसल को पार्टी ने उम्मीदवार घोषित किया था। वह भाजपा उम्मीदवार किरण खेर से 46 हजार 970 वोट से हार गए थे।

मनीष तिवारी पर क्यों खेला दांव

मनीष तिवारी फिलहाल श्री आनंदपुर साहिब से सांसद हैं, लेकिन इस बार वह चंडीगढ़ से लड़ेंगे। वह लुधियाना से भी सासंद रह चुके हैं। इस बार तिवारी यहां से भाजपा के संजय टंडन को टक्कर देंगे। मनीष तिवारी साल 2012 से 2014 तक सूचना और प्रसारण मंत्री भी रहे हैं। तिवारी चंडीगढ़ के ही रहने वाले हैं। तिवारी ने पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ से बीए की डिग्री प्राप्त की और उसके बाद में दिल्ली विश्वविद्यालय से अपनी कानून की पढ़ाई पूरी की। सेक्टर-19 में उनकी कोठी है। मनीष तिवारी की मां अमृता तिवारी नगर निगम की मनोनीत पार्षद भी रह चुकी हैं।

चंडीगढ़ में इस बार बाहरी उम्मीदवार होने का मुद्दा खत्म

चंडीगढ़ के लिए भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए यहां से दो बार की सासंद किरण खेर का टिकट काटकर संजय टंडन को प्रत्याशी बनाया है। हालांकि, इस बार किरण खेर ने खुद ही चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया था। किरन ने पहली बार 2014 में इस सीट से बीजेपी के टिकट पर जीत दर्ज की थी। 2019 में भी वह इस सीट पर विजेता बनी थीं। संजय टंडन चंडीगढ़ भाजपा के पूर्व अध्यक्ष रहे हैं। उन्हें मौजूदा समय में हिमाचल प्रदेश का सह प्रभार दिया गया है। अब बाहरी और लोकल का मुद्दा खत्म हो गया। क्योंकि कांग्रेस और बीजेपी के दोनों उम्मीदवार इस बार लोकल ही हैं।

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