भाजपा में शामिल हो गईं झारखंड के सिंहभूम से कांग्रेस सांसद गीता कोड़ा


रांची । झारखंड के सिंहभूम से (From Singhbhum, Jharkhand) कांग्रेस सांसद (Congress MP) गीता कोड़ा (Geeta Koda)भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गईं (Joined BJP) । भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने सोमवार को उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई। इस मौके पर उनके पति और झारखंड के पूर्व सीएम मधु कोड़ा भी उपस्थित रहे।

बीजेपी ज्वॉइन करने के बाद लोकसभा सांसद गीता कोड़ा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी कहती है कि सबको साथ लेकर चलेंगे, लेकिन केवल अपने परिवार को साथ लेकर चलती है। जहां जनता का हित हो, वहीं रहना चाहिए। कांग्रेस में जनहित को नजरअंदाज किया जा रहा था तो मेरे लिए वहां रहना उचित नहीं था। मैंने कांग्रेस का त्याग किया और बीजेपी में शामिल हुई। मैं यहां रहकर जनहित के काम करूंगी। गीता कोड़ा ने कहा कि कांग्रेस तुष्टिकरण की राजनीति करती है। मेरा वहां दम घुटता था।

गीता कोड़ा झारखंड में कांग्रेस की एकमात्र लोकसभा सांसद हैं। वर्ष 2019 में गीता कोड़ा पश्चिम सिंहभूम (चाईबासा) सीट से कांग्रेस के टिकट पर सांसद चुनी गईं। वह पिछले कुछ समय से कांग्रेस पार्टी के कार्यक्रमों से दूर थीं। माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाएगी। इस मौके पर बाबूलाल मरांडी ने कहा कि कोड़ा दंपति का भाजपा से पुराना लगाव रहा है। वह कतिपय परिस्थितियों से भाजपा से अलग हुए थे, लेकिन अब एक बार फिर पुराने घर में आ गए हैं। हालांकि, सोमवार को मधु कोड़ा को भाजपा की सदस्यता नहीं दिलाई गई।

मधु कोड़ा और उनकी पत्नी गीता कोड़ा का कोल्हान इलाके में खासा सियासी प्रभाव है। कोड़ा दंपति का ताल्लुक “हो” नामक जनजातीय समुदाय से है। कई विधानसभा सीटों में इस जनजाति की खासी आबादी है। मधु कोड़ा का भाजपा से पुराना जुड़ाव रहा है। वह 2000 में भाजपा के टिकट पर जगन्नाथपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए थे। झारखंड में बाबूलाल मरांडी की पहली सरकार में मंत्री भी बने थे, लेकिन 2005 में पार्टी ने उनका टिकट काट दिया। कोड़ा बागी हो गए और निर्दलीय चुनाव मैदान में कूद पड़े। उनकी जीत भी हुई और बाद में वह झारखंड के सीएम भी बने।

भ्रष्टाचार के मामलों में नाम सामने आने पर उन्हें जेल जाना पड़ा। कुछ मामलों में सजा भी हुई और इस वजह से वह चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित कर दिए गए, लेकिन इसके बावजूद उनकी सक्रियता बरकरार रही। खास तौर पर पश्चिम सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां इलाके में उन्होंने अपना सियासी वजन बरकरार रखा।

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