107 करोड़ की 188 फाइलों में छुपा है निगम का महाघोटाला, 80 करोड़ से ज्यादा का भुगतान पांचों ठगोरी फर्मों ने कर लिया हासिल

  • अग्रिबाण ब्रेकिंग… 5 करोड़ के काम सिर्र्फ 10 फाइलों के जरिए अन्य विभागों के मिले
  • तो शेष 102 करोड़ की 178 फाइलें सिर्फ ड्रैनेज विभाग से ही संबंधित हुई उजागर, अब सभी की जांच शुरू

इंदौर, राजेश ज्वेल निगम (Corporation)  के बहुचर्चित ड्रैनेज महाघोटाले (Drainage mega scam) में अग्रिबाण (Agniban) द्वारा किए गए तथ्यों की पुष्टि अब तक जब्त फाइलों से हो गई है। कुल 188 फाइलें (188 files) नगर निगम ने वर्ष 2015-16 से लेकर अभी तक की इन पांच ठगोरी फर्मों (five fraudulent firms) से जुड़ी निकाली है, जिसमें 107 करोड़ रुपए के काम करना बताए गए। हालांकि इनमें से अधिकांश फाइलें बोगस (bogus) है और 80 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान भी फर्जी बिल बनाकर इन फर्मों ने हासिल कर लिया है। निगम सूत्रों का कहना है कि इनमें से 178 फाइलेें तो सिर्फ ड्रैनेज विभाग से ही संबंधित है, जिसमें 102 करोड़ रुपए के काम करना बताए गए। जबकि 10 फाइलें अन्य विभागों से संबंधित हैं, जिनमें 5 करोड़ रुपए के कागजी काम दर्शाए गए हैं। अब नगर निगम की जांच कमेटी इन 188 फाइलों और उससे जुड़े दस्तावेजों को खंगालने में जुटी है, तो दूसरी तरफ पुलिस ने तीन और नई एफआईआर इन पांचों फर्मों के खिलाफ दर्ज कर ली और घोटाले का आकार 100 करोड़ पार होने के चलते कई हाईकोर्ट से भी एक आरोपी को अग्रिम जमानत नहीं मिल सकी और उसके वकीलों ने सरेंडर करने के लिए हफ्तेभर का समय भी मांगा।

इन दिनों निगम का ड्रैनेज घोटाला भोपाल तक चर्चा का विषय बना हुआ है, क्योंकि इसमें जिस तरह का फर्जीवाड़ा किया गया वह इतनी बड़ी संख्या में पहले कभी नहीं हुआ। हालांकि नगर निगम में फर्जी कामों की फाइलें बनाने और भुगतान करवाने की पुरानी प्रेक्टिस रही है, जिसमें अधिकारियों के साथ-साथ नेताओं, ठेकेदार फर्मों की पूरी मिलीभगत रहती है। मगर अभी जो नगर निगम ने 20 बोगस बिलों के जरिए 28 करोड़ रुपए के फर्जी ड्रैनेज से संबंधित कामों की एफआईआर एमजी रोड थाने पर 5 फर्मों के खिलाफ दर्ज करवाई उसके बाद यह घोटाला सुरसा के मुंह की तरह बढ़ता ही रहा। कल भी अग्रिबाण ने 30 करोड़ रुपए से अधिक के और भुगतान हो जाने का खुलासा किया था और उसकी भी पुष्टि अब जब्त हुई 188 कुल फाइलों से हो जाती है, जिसमें महाघोटाले का यह आंकड़ा 107 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। पूर्व में 20 फर्जी फाइलों का मामला उजागर हुआ था, जिसकी फोटो कॉपी के आधार पर निगम ने एफआईआर दर्ज करवाई, क्योंकि इसकी असल फाइलें निगम ने कार की डिक्की से चोरी करना बताया है। उसके बाद लगभग 21 करोड़ रुपए की 13 असल फाइलें पुलिस ने जब्त की, तो दूसरी तरफ निगमायुक्त शिवम वर्मा ने अपर आयुक्त सिद्धार्थ जैन की अध्यक्षता में जो जांच कमेटी बनाई है उसने ड्रैनेज के साथ-साथ अन्य विभागों में इन पांच फर्मों द्वारा किए गए कामों की फाइलें भी निकलवाई। सूत्रों के मुताबिक 2015-16 से लेकर अभी तक की कुल 188 फाइलें हाथ लगी हैं, जिनमें से 102 करोड़ की 178 फाइलें सिर्फ ड्रैनेज विभाग की ही है और मात्र 10 फाइलें 5 करोड़ रुपए की अन्य विभागों से संबंधित है। अब निगम को इन सभी फाइलों की जांच कर यह पता लगाना होगा कि इनमें से किसी भी फाइल में वाकई कोई काम हुआ या सारी ही फाइलें बोगस तैयार की गई। इतना ही नहीं, 107 करोड़ रुपए में से 80 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान इन पांचों ठगोरी फर्मों न्यू कंस्ट्रक्शन, ग्रीन, किंग कंस्ट्रक्शन के अलावा क्षीतिज तथा जाह्नवी इंटरप्राइजेस ने हासिल कर लिया। इन पांचों फर्मों के कर्ताधर्ता मोहम्मद सिद्दीकी, मोहम्मद जाकिर, मोहम्मद साजिद के साथ राहुल वडेरा, रेणु वडेरा एफआईआर दर्ज होने के बाद से ही फरार हैं। इनमें से एक आरोपी ग्रीन कंस्ट्रक्शन के मोहम्मद सिद्दीकी, जिसकी उम्र 80 साल है, उन्होंने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका लगाई। चूंकि जिला कोर्ट से ये याचिका खारिज हो गई थी। मगर कल थाना एमजी रोड ने जो अपना जांच प्रतिवेदन कोर्ट में प्रस्तुत किया और उसमें बताया कि यह घोटाला 100 करोड़ या उससे भी अधिक तक पहुंच रहा है और जमानत मिलने से जांच प्रभावित करेंगे। पुलिस की ओर से शासकीय अधिवक्ता राजेश जोशी ने पक्ष रखा और यह भी कहा कि आरोपियों के विदेश भागने की भी आशंका है। लिहाजा रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी किए जा रहे हैं। हालांकि आरोपी की ओर से उनके वकीलों ने पहले तो इस घोटाले में शामिल होने से ही इनकार किया। फिर सरेंडर के लिए 7 दिन का समय मांगा। अग्रिम जमानत याचिका हाईकोर्ट ने खारिज करते हुए सरेंडर के लिए समय दे दिया है। वहीं दो अन्य आरोपियों की जमानत याचिका पर सोमवार को सुनवाई होगी। दूसरी तरफ वडेरा दम्पति ने फिलहाल जमानत याचिका नहीं लगाई है और उनकी तलाश पुलिस द्वारा की जा रही है। पिछले दिनों जयपुर भी टीम भेजी थी। मगर आरोपी हाथ नहीं आए। निगम की लेखा शाखा द्वारा इन पांचों फर्मों से संबंधित भुगतान से जुड़ी फाइलों की खोज-पड़ताल कर संबंधित विभागों को जांच के लिए सौंपा है। यह भी आशंका व्यक्त कीजा रही है कि 107 करोड़ के भुगतान की फाइलों के अलावा अन्य फाइलें भी इसी तरह हो सकती है जो अभी तक सामने नहीं आई।

जमानत मिली तो शातिर अपराधियों का बढ़ेगा हौंसला
एमजी रोड थाने में पहले नगर निगम ने 20 बोगस फाइलों की एफआईआर दर्ज करवाई, उसके बाद एक दर्जन से अधिक असल फाइलें भी पुलिस ने जांच के दौरान जब्त की, जिसमें लगभग 4 करोड़ रुपए का भुगतान होना भी पाया गया। कल हाईकोर्ट में आरोपी मोहम्मद सिद्दीकी के जमानत आवेदन के संबंध में पुलिस ने जो अपनी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की उसमें स्पष्ट कहा गया कि अगर आरोपी को अग्रिम जमानत का लाभ दिया गया तो ये फरियादी और गवाहों को डराएंगे-धमकाएंगे और विवेचना पर भी इसका विपरित असर होगा तथा शातिर अपराधियों का हौंसला बढ़ेगा। वहीं आरोपियों के खिलाफ प्रथम न्यायिक मजिस्ट्रेट श्रीमती साक्षी कपूर ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया और पुलिस उपायुक्त झोन-3 ने 10 हजार रुपए के ईनाम की घोषणा भी की है।

थाना प्रभारी बोले – कड़ी सजा दिलवाने लायक पर्याप्त सबूत
एमजी रोड थाना प्रभारी विजय सिंह सिसोदिया का स्पष्ट कहना है कि पांचों आरोपियों को कड़ी सजा दिलाने के पर्याप्त सबूत पुलिस को मिल गए हैं और इसी आधार पर कल अग्रिम जमानत याचिका भी खारिज हो गई। फरार आरोपियों की तलाश भी लगातार की जा रही है। दूसरी तरफ असल फाइलें भी पुलिस ने जब्त कर ली है, जिसमें इन सभी पांचों फर्मों की लिप्तता है और कल तीन और एफआईआर इन फर्मों के खिलाफ दर्ज कर ली है। इन आरोपियों की अचल सम्पत्तियों की जानकारी भी मिली है और कोर्ट के जरिए उनकी कुर्की भी करवाई जाएगी दूसरी तरफ शासकीय अधिवक्ताराजेश जोशी का कहना है कि यह घोटाला 100 करोड़ रुपए से अधिक तक पहुंचने की संभावना है, जिसके चलते कल हाईकोर्ट के समक्ष महत्वपूर्ण तथ्य रखे गए।

नेता प्रतिपक्ष ने फर्जी बिल घोटाले पर फिर उठाए सवाल
पिछले दिनों नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने नगर निगम के इस घोटाले को लेकर सवाल खड़े किए थे, जिस पर मुख्यमंत्री सहित महापौर ने तीखी प्रतिक्रिया दी और इसे स्वच्छ शहर का अपमान भी बताया। दूसरी तरफ कल फिर श्री सिंघार ने अपने आरोपों को दोहराते हुए अपने एक्स एकाउंट पर वीडियो पोस्ट किया, जिसमें कहा गया कि फर्जी बिलों का यह महाघोटाला 100 करोड़ पार कर गया है और इंदौर से मेरा भावनात्मक लगाव है और जनता का पैसा इस तरह बर्बाद नहीं होने देंगे। भाजपा भ्रष्टाचार के इस मुद्दे पर ध्यान भटकाना चाहती है और हमारी मांग है कि इसमें लिप्त सभी लोगों की निष्पक्ष जांच हो और यह नगर निगम में हुआ पहला घोटाला भी नहीं है। ईमानदारी और सूचिता की बात करने वाली भाजपा सरकार में ऐसे अनेकों घोटाले हो चुके हैं।

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