नकली नोट बेचने वाले हत्यारे को कोर्ट ने सुनाई फांसी की सजा

  • खुदको मरा साबित करने बीएससी के छात्र को मारकर लाश को जला डाला था

भोपाल। 14 जुलाई 2022। खजूरी सड़क थाना क्षेत्र के अमलताश कॉलोनी में मकान नंबर 586 युवक की निर्मम हत्या के बाद शव को जलाने के मामले के आरोपी को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। आरोपी पहले ही तीन गंभीर अपराधों में उम्र कैद की सजा काट रहा था। वारदात के पूर्व वह पैरोल पर छूटा था। आरोपी पूर्व में नकली नोट बेचने के आरोप में भी गिरफ्तार किया जा चुका है।
जानकारी के अनुसार अमन दांगी (21) पिता लखन लाल दांगी निवासी सिराड़ी, थाना दोराहा (सीहोर) के रूप में हुई। वह निजी कॉलेज में बीएससी सेकंड ईयर का स्टूडेंट था। वह साईं ट्रैवल्स में जॉब भी करता था। यह कमरा राघौगढ़ (गुना) के रहने वाले रजत सैनी उर्फ सिद्धार्थ उर्फ माइकल का था। पुलिस ने रजत के बारे में पता किया तो वह नहीं मिला। दूसरे दिन पुलिस ने आरोपी रजत सैनी को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में पहले तो वह गुमराह करता रहा। बाद में सख्ती करने पर उसने जो वारदात कबूली, उसे जानकर पुलिस भी हैरान रह गई। आरोपी रजत ने पुलिस को बताया कि 2017 में कोर्ट ने उसे धोखाधड़ी के मामले में 7 साल की सजा सुनाई थी। जेल में उसकी पहचान निरंजन मीणा से हुई। रजत को पैसों की जरूरत थी। ये बात उसने निरंजन को बताई तो उसने जेल में ही रामनिवास मीणा से मिलवाया। रामनिवास ने रजत को 5 लाख रुपए उधार दिलवाए। रजत जब समय पर पैसे नहीं लौटा पाया, तो परिवार को धमकियां मिलने लगीं। इसी बीच, उसे पैरोल मिल गई। वह ग्वालियर सेंट्रल जेल से बाहर आया। भोपाल के फं दा इलाके में किराए से रहने लगा। रजत का प्लान निरंजन की हत्या कर उसे इसी किराए के कमरे में दफ नाने का था, लेकिन मौका नहीं मिला। निरंजन की हत्या का प्लान फेल होने पर उसने खुद की हत्या की साजिश रची। इसके लिए वह भोपाल में उसे कमरा दिलाने वाले रवि मीणा को मारना चाहता था, लेकिन इसमें भी कामयाब नहीं हुआ। उसकी जगह दूसरा दोस्त अमन मिल गया। उसने कमरे पर बुलाकर अमन की हत्या कर दी। पेट्रोल से शव जला दिया। अमन की हत्या के पीछे उसका मकसद यह था कि पुलिस उसे मरा समझ लेगी। उसे मीणा को 5 लाख रुपए भी नहीं लौटाने पड़ेंगे। वह जेल की बाकी सजा से भी बच जाएगा। योजना के तहत ही उसने जब से कमरा लिया था, तब से कमरे के अंदर ही गड्ढा खोद रहा था।

कोर्ट ने यह लिखी टिप्पणी
भोपाल जिला न्यायालय के जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र टाडा ने आरोपी पर टिप्पणी करते हुए लिखा कि उसने खुद को मरा बताने और जेल जाने से बचने के लिए बेकसूर की जान ली है। उसने खौफ नाक घटना को अंजाम दिया है। वह पहले भी गंभीर अपराधों में लिप्त रहा है। इसमें मृत्युदंड से कम नहीं दिया जा सकता। उद्देश्य यह भी है कि कठोर दंड नहीं दिया गया, तो समाज में गलत संदेश जाएगा। समाज और पीडि़त को सही न्याय नहीं मिलेगा। यह लोगों को अपराध करने के लिए उत्प्रेरित करेगा। आरोपी को तीन अन्य मामलों में उम्रकैद और 50 हजार रुपए जुर्माना भी लगाया है।

आरोपी के पास यह रास्ते बाकी
आरोपी को सजा भले ही सुना दी गई है लेकिन उसके पास सजा से बचने के लिए तीन रास्ते अब भी बाकी हैं। कानूनी तौर पर उसे सजा के खिलाफ हाई कोर्ट जाने का हक है। यहां से भी सजा को बरकरार रखा जाता है तो उसे सप्रीम कोर्ट जाने का हक है। यहां से भी माफी नहीं मिलती है तो उसके पास राष्ट्रपति के पास जाने तक का प्रावधान है। जहां से भी अगर सजा को बरकरार रखा जाता है तब उसे फांसी की सजा दी जाएगी। इन तमाम प्रक्रियाओं में सालों का वक्त बीत जाता है।

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