Covid-19: नए वेरिएंट ‘ERIS’ ने बढ़ाई यूरोप की चिंता, जानें भारत में कितना खतरा?

नई दिल्ली (New Delhi)। कोविड महामारी (Covid-19 pandemic) के दिनों को लोग धीरे-धीरे अपने ज़हन से बाहर निकालने की कोशिश करते दिख रहे हैं. लेकिन कोरोना वायरस (Corona Virus) का इरादा कुछ और ही दिख रहा है. यही वजह है कि वायरस के हालिया म्यूटेशन्स के चलते नए मामले दिख रहे हैं. भारत में एरिस सबवेरिएंट (‘ERIS’ subvariant) का पहला मरीज इस साल मई में पाया गया था. हालांकि पिछले दो महीनों में इसके संक्रमितों की संख्या कोई चिंताजनक इजाफा नहीं हुआ है।

यूरोप (Europe) में कोविड 19 (Covid 19) से उपजे ईजी.5 के बढ़ते मामले देखे जा रहे हैं, जिसके बारे में इस साल की शुरुआत में पता चला था. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाल के हफ्तों में इसे ऐसे वेरिएंट के रूप में वर्गीकृत किया है, जिस पर नज़र रखने की ज़रूरत है (वैरियंट ऑफ इंट्रेस्ट), क्योंकि दुनिया भर में इससे संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं।

EG.5, COVID-19– वायरस के ओमिक्रॉन से उत्पन्न वेरियंट एक सबवेरिएंट का गठन करता है और दुनिया भर में फैले अन्य वेरिएंट के साथ इसके नज़दीकी अनुवांशिक संबंध पाए गए हैं. वायरस के इस वेरियंट में म्यूटेशन हुआ है, जिससे इसमें कुछ विशेष लक्षण देखे गए हैं।

एरिस वेरिएंट जिसे पहली बार जुलाई 2023 में पहचाना गया था, अब यूके में दूसरा सबसे ज़्यादा फैलने वाला स्ट्रेन बन गया है. एरिस को यूरोप, एशिया और उत्तरी अमेरिका में भी फैलते देखा गया और जापान में तो इसके चलते कोविड संक्रमण की ‘नौवीं लहर’ आने की चिंता जताई गई है।

20 फीसद तेजी से फैलता है स्ट्रेन
ईजी.5.1 वेरिएंट में अन्य स्ट्रेन की तुलना में 20.5% की बढ़त देखी गई है और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वैश्विक चिंता का संकेत देते हुए पहले ही ईजी.5.1 को मॉनिटर किए गए वेरिएंट की सूची में जोड़ दिया है.

हालिया डाटा विशेष रूप से यूके में एरिस वेरिएंट से संबंधित कोविड-19 मामलों में चिंताजनक प्रवृत्ति का संकेत देता है। रिपोर्ट्स के अनुसार ब्रिटेन में पिछले सप्ताह सांस संबंधी बीमारियों वाले लोगों पर किए गए परीक्षण में से लगभग 5.4% लोग कोविड-19 पॉज़िटिव निकले, जो कि पिछले सप्ताह दर्ज किए गए 3.7% से कहीं ज़्यादा है।

इस स्ट्रेन को लगभग सभी उम्र के समूहों, खासकर बुजुर्गों के अस्पताल में भर्ती की दर में मामूली वृद्धि के साथ जोड़कर देखा जा रहा है, हालांकि भर्ती की कुल दर बेहद कम है. आईसीयू में भर्ती से संबंधित आंकड़ों की निगरानी की जा रही है।

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