कोहिमा। नागालैंड विधानसभा (Nagaland Assembly) ने सोमवार को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित (resolution passed) किया जिसमें भारत सरकार से पूर्वोत्तर, विशेष रूप से नगालैंड से सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफस्पा या AFSPA) को निरस्त करने की मांग (demand for cancellation) की गई, जबकि भारत-नगा राजनीतिक संवाद के वार्ताकारों से तनाग्रस्त राज्य में शांति की बहाली के लिए बातचीत को उनके तार्किक निष्कर्ष पर लाने का आग्रह किया गया. सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून (अफस्पा) सेना को ‘अशांत क्षेत्रों’ में गिरफ्तारी और नजरबंदी की शक्तियां देता है।
सुरक्षा बलों द्वारा 14 असैन्य नागरिकों की हत्या के बाद सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (अफस्पा), 1958 और नगालैंड में उसके क्रियान्वयन पर बुलाए गए विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र में मुख्यमंत्री नेफियू रियो द्वारा रखा गया प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित हो गया. इन 14 लोगों में से छह की हत्या आतंकवाद निरोधी अभियान के दौरान, जबकि आठ लोगों की मौत चार और पांच दिसंबर को मोन जिले में हुई घटनाओं में हुई।
प्रस्ताव में ‘‘मोन जिले के ओटिंग-तिरु गांव में चार दिसंबर को हुई घटना और जिले में ही पांच दिसंबर को हुई घटना में लोगों की मौत की कटु आलोचना की गई है। चार दिसंबर को भारतीय सेना के 21पारा स्पेशल फोर्स ने अंधाधुंध गोलियां चलायी थीं, जिसमें 13 लोग मारे गए थे। उसके बाद पांच दिसंबर को सुरक्षा बलों की गोलीबारी में एक व्यक्ति की मौत हुई थी, जबकि 35 लोग घायल हो गए थे।’’
सदन ने सक्षम प्राधिकार से माफी मांगने और कानून के माध्यम से ‘हिंसा पीड़ितों और हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों दोनों के लिए न्याय की मांग की.’’ विधानसभा ने मोन जिले के लोगों, सिविल सोसायटी, राज्य की जनता और संगठनों से अनुरोध किया है कि वे इस संबंध में राज्य सरकार के साथ सहयोग करें।
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