नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बने डॉक्यूमेंट्री को लेकर मानहानि मुकदमे में दिल्ली हाई कोर्ट बीबीसी को समन जारी किया है. डॉक्यूमेंट्री के खिलाफ हाई कोर्ट में दायर याचिका में दावा किया गया है कि इसके जरिए भारत और उसकी न्यायपालिका के साथ-साथ पीएम मोदी की प्रतिष्ठा पर धब्बा लगाया है. बीबीसी की ओर से इस साल 17 जनवरी को डॉक्यूमेंट्री का पहला एपिसोड रिलीज किया गया था.
दरअसल, ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (BBC) के खिलाफ गुजरात की गैर लाभकारी संगठन जस्टिस ऑन ट्रिला ने मानहानि का मुकदमा दायर किया है. संगठन ने दावा किया है कि बीबीसी ने अपने डॉक्यूमेंट्री के जरिए पीएम मोदी की छवि के साथ-साथ भारत और न्यायपालिक की छवि को नुकसान पहुंचाया है.
हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान संगठन की ओर से सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे कोर्ट में पेश हुए थे. उन्होंने कोर्ट के सामने अपनी दलील रखते हुए कहा कि बीबीसी ने डॉक्यूमेंट्री के जरिए भारत और न्यायपालिका समेत पूरी व्यवस्था को बदनाम किया है. इसके बाद हाई कोर्ट के जस्टिस सचिन दत्ता ने बीबीसी के खिलाफ समन जारी करते हुए मामले की अगली सुनवाई सितंबर में तय की है.
हाई कोर्ट ने की सख्त टिप्पणी
सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने टिप्पणी की कि डॉक्यूमेंट्री देश और न्यायपालिका की प्रतिष्ठा पर और भारत के प्रधानमंत्री के खिलाफ मानहानिकारक आरोप और जाति का अपमान करता है. इसके बाद कोर्ट ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया. गौरतलब है कि बीबीसी की ओर से 17 जनवरी को ‘द मोदी क्वेश्चन’ नाम से डॉक्यूमेंट्री का पहला एपिशोड रिलीज किया गया था. हालांकि, दूसरा एपिशोड इसके अलगे हफ्ते रिलीज होना था लेकिन उससे पहले ही डॉक्यूमेंट्री के कंटेट को लेकर बवाल खड़ा हो गया. सरकार ने डॉक्यूमेंट्री पर बैन लगा दिया जिसके बाद इसे यूट्यूब से हटा लिया गया.
ब्रिटेन के पीएम ने कर लिया था किनारा
डॉक्यूमेंट्री को लेकर मामला इतना गर्म हो गया था ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक को संसद में बयान देना पड़ा था. सुनक ने कहा था कि वो डॉक्यूमेंट्री से सहमत नहीं है. सुनक ने कहा कि इस मामले में ब्रिटेन की सरकार की स्थिति स्पष्ट है. डॉक्यूमेंट्री में पीएम की जो छवि दिखाई गई है मैं उससे सहमत नहीं हूं.
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