मिशन मून के लिए डॉ. अनिल मेनन 10 एस्ट्रोनॉट्स में शामिल, हो सकते हैं चन्‍द्रमा पर जाने वाले पहले भारतवंशी!

वॉशिंगटन। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी(american space agency) नासा (NASA) ने अपने मून मिशन (Moon Mission) के लिए 10 एस्ट्रोनॉट्स (Astronauts) को चुना है. इनमें से एक भारतवंशी हैं. इनका नाम डॉ. अनिल मेनन (Dr. Anil Menon) है. अनिल डॉक्टर, इंजीनियर, साइंटिस्ट, फाइटर पायलट और रेस्क्यू मिशन के संचालकर्ता रहे हैं. चांद पर अब तक भारत(India) से या भारतीय मूल का कोई व्यक्ति नहीं गया है. अगर सबकुछ सही रहा तो डॉ. अनिल मेनन (Dr. Anil Menon) नासा(NASA) के अर्टेमिस मिशन (Artemis Mission) के तहत चांद पर जाने वाले पहले भारतवंशी होंगे.
नासा (NASA) ने जिन 10 लोगों को एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग के लिए चुना है, उनमें से 6 महिलाएं और 4 पुरुष शामिल हैं. अंतरिक्ष में तीन भारतवंशी कल्पना चावला, सुनीता विलियम्स और राजा चारी जा चुके हैं. जबकि, भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री स्क्वाड्रन लीडर रॉकेश शर्मा थे. अगर अनिल मेनन नासा के अर्टेमिस मिशन (Artemis Mission) के तहत चांद पर जाने वाले स्पेसक्राफ्ट में रवाना होते हैं, तो वो चांद पर पहुंचने वाले पहले भारतवंशी(The first Indian to reach the moon) होंगे.


नासा के पास एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग के लिए 12 हजार आवेदन आए थे. इनमें से सिर्फ 10 लोगों का चयन किया गया है. ये सभी 10 एस्ट्रोनॉट अगले साल जनवरी में टेक्सास स्थित जॉन्सन स्पेस सेंटर में अपनी ट्रेनिंग शुरु करेंगे. यह ट्रेनिंग दो साल तक चलेगी. इसके बाद इन्हें अर्टेमिस जेनरेशन प्रोग्राम में शामिल किया जाएगा. नासा का मिशन है कि वो स्पेसएक्स के साथ मिलकर साल 2024 के अंत या साल 2025 में एक महिला और एक पुरुष को चांद पर भेजेगा.
अनिल मेनन के माता-पिता भारतीय और यूक्रेन के थे. अनिल मिनिसोटा में पले-बढ़े हैं. साल 1999 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से न्यूरोबॉयोलॉजी में ग्रैजुएशन किया. यहीं पर उन्होंने हचिंसन डिजीस की स्टडी की. इसके बाद 2004 में स्टेनफोर्ड मेडिकल स्कूल से मेडिकल की पढ़ाई की. फिर स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की. अनिल नासा के कई मिशनों में फ्लाइट सर्जन का काम भी कर चुके हैं. उन्होंने ये काम साल 2014 में शुरु किया था. इसके अलावा वो सोयुज मिशन का भी हिस्सा रहे हैं.
डॉ. अनिल मेनन ने साल 2018 में एलन मस्क (Elon Musk) के कंपनी स्पेसएक्स (SpaceX) में शामिल हुए. कंपनी की पहली ह्यूमन फ्लाइट के मेडिकल जांच आदि का नेतृत्व किया. स्टारशिप के निर्माण, एस्ट्रोनॉट्स मिशन, लॉन्च प्रोग्राम्स आदि में काफी ज्यादा मदद की है. अगर आप नासा पर डॉ. अनिल मेनन की प्रोफाइल को देखोंगे तो पता चलेगा कि इन्होंने साल 2010 में हैती में आए भयानक भूकंप के बाद लोगों की मदद की थी. साल 2015 में नेपाल में आए भूकंप में लोगों का इलाज किया. 2011 में रेनो एयर शो हादसे में लोगों का इलाज किया. डॉ. अनिल मेनन एफ-15 फाइटर जेट की 100 उड़ानें पूरी कर चुके हैं. इसके अलावा उन्होंने हेलिकॉप्टर उड़ाकर 100 लोगों को गंभीर स्थितियों से रेस्क्यू भी किया है.

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