वजीर एक्स की संपत्तियों को ईडी ने किया फ्रीज, मनी लॉन्ड्रिंग में क्रिप्टोकरंसी के इस्तेमाल से बड़ी चिंता

नई दिल्ली। वित्तीय अपराधों (financial crimes) के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने वाले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज (cryptocurrency exchange) कंपनी वजीर एक्स की संपत्तियों को फ्रीज कर दिया। ब्लॉकचेन की अंतर्निहित क्षमता के बावजूद ईडी क्रिप्टो प्लेटफॉर्म (Crypto Platform) पर इस तरह के आरोप लगाने वाली पहली एजेंसी नहीं है। जांच एजेंसियों (investigative agencies) के लिए यह एक नई चिंता बनकर उभरा है।

कैसे बढ़ रही क्रिप्टो चोरी
चेनअनालिसिस 2022 क्रिप्टो क्राइम रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2021 में क्रिप्टोकरंसी चोरी और अवैध खातों में पैसा हस्तांतरित करने का चलन 80 फीसदी तक बढ़ गया।


वर्ष कुल नुकसान (बिलियन डॉलर में)
2017 में 4.6

2018 में 4.4
2019 में 11.7

2020 में 7.8
2021 में 14.0

1. क्या ब्लॉकचेन से लेनदेन का आकलन संभव है ?
ब्लॉकचेन (blockchain) पर लेनदेन हमेशा जांच योग्य होता है। दुनिया भर में अधिकांश अदालत और कानून प्रवर्तन निकाय ब्लॉकचेन रिकॉर्ड को लेनदेन इतिहास के कानूनी प्रमाण के रूप में स्वीकार करते हैं। हालांकि, क्रिप्टो लेनदेन कभी-कभी ऑफ-चेन हो सकता है, या धन के प्रवाह को बाधित करने के लिए अन्य तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा, ब्लॉकचेन कन्वेयर बेल्ट की तरह हैं, जो क्रिप्टो के प्रवाह को एक वॉलेट से दूसरे में भेजने की सुविधा देते हैं। वॉलेट सेवा देने वाली कंपनी वॉलेट रखने वाले के बारे में गोपनीयता का ध्यान रखती है।

2. हस्तांतरण किस तरह छिपाए जाते हैं?
हैकर्स द्वारा उपयोग किए जाने वाले सबसे आम तरीकों में से एक को मिक्सिंग या टम्बलर कहा जाता है। चूंकि हर क्रिप्टो टोकन का पता लगाया जा सकता है, टंबलर विभिन्न ब्लॉकचेन से कई टोकन तोड़ते हैं और उन्हें मिलाते हैं। फिर वे मूल राशि को उसके मालिक को हस्तांतरित कर देते हैं, लेकिन कई माध्यमों से लेन-देन के चलते इसका पता लगाना कई बार मुश्किल हो जाता है। कुछ अवैध उपयोगकर्ता ट्रेस करने योग्य टोकन को गोपनीयता-केंद्रित ब्लॉकचेन जैसे मोनेरो में भी स्थानांतरित करते हैं, जो वॉलेट का पता और विवरण छिपा लेते हैं। ऐसे दलाल भी हैं जो नकद सहित अन्य रूप में भुगतान लेकर समान राशि को क्रिप्टो में उपयोगकर्ता के वॉलेट में भेज देते हैं।

3.ईडी ने वजीर एक्स और बिनांस पर क्या आरोप लगाए?
ईडी का दावा है कि वजीरएक्स की होल्डिंग कंपनी जानमाई लैब्स क्रिप्टो-टू-क्रिप्टो लेनदेन के बारे में विरोधाभासी और अस्पष्ट जवाब दे रही है। ईडी ने कहा कि वजीरएक्स ब्लॉकचेन डाटा और लेनदेन का ब्योरा में विफल रहा है।

4. ऑफ-चेन हस्तांतरण क्या है?
-जब कोई उपयोगकर्ता किसी एक्सचेंज से क्रिप्टो निकालता है तो उसे अपना वॉलेट पता बताना होता है, जिसके बाद टोकन ट्रांसफर किया जाता है। इसका ब्योरा ब्लॉकचेन पर भी रखा जाता है। हालांकि, इसके लिए उन्हें एक शुल्क देना होता है जिसका उपयोग ब्लॉकचेन पर भुगतान में किया जाता है। इस शुल्क से बचने के लिए, दो प्लेटफॉर्म एक-दूसरे के साथ एकीकृत हो सकते हैं और उपयोगकर्ताओं को ब्लॉकचेन का उपयोग किए बिना क्रिप्टो ट्रांसफर करने की अनुमति दे सकते हैं। ब्लॉकचेन पर रिकॉर्ड नहीं रखे जाते, ऐसे में इस तरह के लेन-देन से धन की खोज के संबंध में सवाल उठते रहते हैं।

5. एक्सचेंज किस तरह मनी लॉन्ड्रिंग रोक सकते हैं?- विशेषज्ञों के अनुसार, एक्सचेंज केवाईसी और आठ से दस वर्षों के लेनदेन का रिकॉर्ड रख सकते हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस में साइबर अपराध शाखा के पुलिस अधीक्षक त्रिवेणी सिंह के अनुसार, केवाईसी वाले वॉलेट से लेनदेन का ब्योरा आसानी से रखा जा सकेगा। हालांकि, भारत के बाहर के प्लेटफॉर्म पर रखे गए वॉलेट के लिए केवाईसी मानदंड भारत से भिन्न हो सकते हैं। कुछ ब्लॉकचेन रिसर्च फर्म मशीन लर्निंग-आधारित टूल पर भी काम कर रही हैं जो अवैध खातों को चिह्नित कर सकती हैं।

क्रिप्टोकरेंसी का आतंकवाद में इस्तेमाल
-एनआईए ने रविवार को आईएसआईएस मॉड्यूल मामले की गतिविधियों में बाटला हाउस से मोहसिन अहमद नाम के युवक को गिरफ्तार किया।

-आरोप है कि वह देश के साथ विदेशों में आंतकी संगठनों का समर्थन करने वालों से फंड लेने के लिए क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग करता था।

-पिछले साल दिल्ली के एक शख्स के क्रिप्टो वॉलेट से 4.5 करोड़ रुपये मूल्य की क्रिप्टोकरेंसी गायब हो गई।

-जांच में पता चला कि क्रिप्टोकरेंसी जिन वॉलेट में ट्रांसफर हुईं, उन्हें आतंकी संगठन हमास की मिलिट्री यूनिट अल-कासम ब्रिगेड ऑपरेट करता है ।

क्या कहती है चेन एनालिसिस की ग्लोबल रिपोर्ट :
-क्रिप्टोकरेंसी के जरिये मनी लॉन्ड्रिंग, घोटाले, फिरौती, रिश्वतखोरी, हैंकिंग, डार्कनेट मार्केट और आतंकवादी गतिविधियों की फंडिंग की जा रही है।

-यह अपराध जगत में पसंदीदा लेन-देन माध्यम बन गया है, क्योंकि इसमें उपयोगकर्ता की पहचान करना लगभग असंभव है।

-क्रिप्टो से लेन-देन में पता चलता है कि किस खाते में पैसा जमा हुआ, लेकिन किसने और कितने पैसे दिए हैं यह पता लगाना मुश्किल है।

-इसका इस्तेमाल तेजी से मादक पदार्थों की तस्करी में भी बढ़ा है।

-दुनियाभर के कई आतंकी संगठनों द्वारा इसका इस्तेमाल किया जाता रहा है।

-मनी लान्ड्रिंग इन अपराधों की सबसे बड़ी जड़, अरबों का हो रहा बेनामी लेन-देन।

-पोंजी स्कीम, फिशिंग, फेक टोकन सेल, ब्लैकमेल जैसे अपराधों में लेन-देन बढ़ा।

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