पूरी प्रक्रिया में मोदी की सधी कूटनीति का असर, कतर में रिहाई से यूक्रेन की लड़ाई तक कई हैं बड़े सबूत

नई दिल्‍ली (New Dehli)। कतर (Queue)की एक जेल में बंद 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों (former indian marines)को रिहा करने के फैसले को भारत सरकार (Indian government)की बड़ी कूटनीतिक सफलता (diplomatic success)माना जा रहा है। बताया जाता है कि पिछले साल 1 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कतर के अमीर तमीम बिन हमद के बीच दुबई में हुई बैठक ने इन पूर्व नौसैनिकों की रिहाई की पटकथा लिख दी थी। प्रधानमंत्री मोदी के दखल से ही रिहाई संभव हो पाई।

जानकार मानते हैं कि कतर में मृत्युदंड की सजा को पहले आजीवन कारावास में तब्दील किया जाना और फिर रिहाई का फैसला , इस पूरी प्रक्रिया में भारत की सधी कूटनीति का असर दिखा। जानकार मानते हैं कि पीएम मोदी की वैश्विक नेताओं से निजी केमिस्ट्री बनाना और उन्हें प्रभावित करने की क्षमता अद्भुत है।

जानकारी के मुताबिक, पीएम मोदी ने 1 दिसंबर को दुबई में कॉप 28 शिखर सम्मेलन से इतर कतर के अमीर के साथ मुलाकात की थी, जिसके बाद इन भारतीय नागरिकों की रिहाई के लिए बातचीत शुरू हुई। इस बैठक के बारे में पीएम मोदी ने कहा था, ‘द्विपक्षीय साझेदारी की संभावना और कतर में भारतीय समुदाय की भलाई पर हमारी अच्छी बातचीत हुई। कहा जा रहा है कि पीएम मोदी की कतर के अमीर से हुई बातचीत में कतर की जेल में बंद आठ भारतीय नौसेना के दिग्गजों का मुद्दा भी शामिल था।

कई मामलों में दिखा भारत का ऐसा रुख

अपने कूटनीतिक रुख से भारत ने कतर में 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों की मौत की सजा माफ करा ली। इसके अलावा भी लगातार विदेशों में भारत की कूटनीति का असर देखने को मिला है। रूस-यूक्रेन युद्ध में अपने तटस्थ रुख से भारत ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। भारत ने मोदी सरकार के दौरान कई फैसलों से बता दिया कि वह किसी के भी आगे नहीं झुकेगा और भारत के पक्ष को अनसुना नहीं किया जा सकता। मोदी के इस रुख को खुद राष्ट्रपति पुतिन ने सराहा था।

सधी और असरदार कूटनीति दिखी

अमेरिका और रुस को एक साथ अपने हितों के हिसाब से साधना, रुस यूक्रेन युद्ध में अपने हित के मुताबिक शांति की पैरवी करते हुए तटस्थ रुख, दबाव से बेपरवाह रुस से तेल खरीदना , इजरायल से अच्छे रिश्तों के साथ मुस्लिम देशों और खाड़ी देशों में अच्छे रिश्तों के पीछे बहुत सधी हुई और असरदार कूटनीति दिखाई पड़ती है।

भारत ने संकट से दूसरों को भी निकाला

भारतीय कूटनीति के चलते ही यमन की जटिल स्थिति में भारतीयों को सुरक्षित निकालना संभव हुआ था। भारत ने संकट के दौरान अपने ही नागरिकों को नही निकाला बल्कि कई अन्य देशों की मदद की। जी20 में घोषणापत्र पर रुस का नाम लिए बिना आम सहमति बनना भी भारत के कूटनीतिक असर का बड़ा प्रमाण है। जबकि अमेरिका सहित कई देश रुस के खिलाफ थे।

मोदी केमिस्ट्री काम आई

कतर में अक्तूबर 2022 से कैद ये भारतीय नौसैनिक निराश हो रहे थे। फिर इस साल अचानक उनकी सजा को फांसी में बदल दिया गया। इसपर भारत ने हैरानी जताई और सभी तरह के कानूनी विकल्पों पर गौर किया। दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजी एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज के लिए काम करने वाले पूर्व नौसैनिकों को शायद ही मालूम था कि उनके साथ क्या होने वाला है। यहीं पर मोदी की निजी केमिस्ट्री और भारत की कूटनीति काम आई।

मोदी- थानी मुलाकात के बाद दिखा असर

कतर पर दबाव बनाने के लिए खुद पीएम मोदी ने शासक शेख तमीम बिन हमद अल थानी से मुलाकात की। उसके बाद से कतर के तेवर नरम हुए और नतीजा सबके सामने है। कतर ने पीएम मोदी और शेख तमीम बिन हमद अल थानी की मुलाकात के तुरंत बाद भारत को पूर्व नौसैनिकों से मिलने के लिए दूसरी बार कांसुलर एक्सेस दी थी। तभी लग गया था कि कतर इस मामले को लेकर अब नरम रुख दिखा रहा है।

खाड़ी देशों में बढ़ा भारत का प्रभाव

वर्ष 2014 के बाद से यमन से 4,500 से अधिक भारतीयों को निकालने के लिए ऑपरेशन रक्षक, श्रीलंका से 2,000 से अधिक भारतीयों को निकालने के लिए ऑपरेशन संजीवनी और यूक्रेन से 22,500 से अधिक भारतीयों को निकालने के लिए ऑपरेशन गंगा प्रमुख रहे हैं। मोदी सरकार खाड़ी देशों में भी लगातार अपना प्रभाव बढ़ाने में सफल हुई है। यहां व्यापारिक रिश्ते प्रगाढ़ हुए हैं।

मोदी इन देशों में जहां भी गए वहां उन्हें वहां के सर्वोच्च सम्मान से नवाजा गया। जानकार मानते हैं कि यह भारत का बढ़ता प्रभाव ही है कि पाकिस्तान को मुस्लिम देशों में भी कूटनीतिक रुप से अप्रासंगिक बनाया। भारत की आवाज तमाम दुष्प्रचार के बाद भी मुस्लिम देशों में भी मजबूत हुई है।

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