नई शराब नीति का असर… ठेकेदारों की बदली रूचि, देशी का ठेका लेने पर जोर

भोपाल। शराब दुकानों के ठेके नहीं होने के पीछे पॉलिसी की परेशानी भी सामने आ रही है। 64 ग्रुप में से अभी 32 ग्रुप की दुकानों की ही नीलामी हुई है। खास बात यह है कि ठेकेदारों का पूरा जोर विदेशी शराब दुकान को लेने के बजाए देशी शराब दुकान पर है। दरअसल, नई पॉलिसी में देशी शराब दुकान, विदेशी का भी रोल अदा कर रही है। शासन ने नियमों में संशोधन कर देशी शराब दुकान से विदेशी शराब बेचने की भी अनुमति दी है, इसके लिए शुल्क 15 प्रतिशत बढ़ा दिया है। विदेशी शराब की कीमत में भी 10 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। अभी तक शहर में कई जगह देशी-विदेशी शराब की दुकान आसपास में ही संचालित हो रही थीं। अब नई पॉलिसी के तहत देशी शराब की दुकान पर विदेशी शराब भी बिकेगी, इसलिए वहां विदेशी शराब के संचालन का विकल्प भी खत्म हो गया है।

अब कोई विदेशी शराब का ठेका लेता है तो इन जगहों पर नए ठिकाने की तलाश करनी होगी। साथ ही ज्यादा किराया देना पड़ सकता है। हालांकि आबकारी विभाग ने नगर निगम की संपत्तियों को किराए पर लेकर वहां दुकान खुलवाने की तैयारी कर ली है। नए ठेके में ठेकेदार ग्रामीण इलाकों की दुकानों पर भी ज्यादा जोर दे रहे हैं। ग्रामीण की देशी शराब के ठेके की ज्यादा बोली लगी है, जहां पहले देशी दुकान थी वहां किसी को विदेशी शराब चाहिए तो दूर जाना पड़ता था, लेकिन अब देशी में ही विदेशी मिलेगी तो आय बढऩा तय है। अधिकारी भी मान रहे है कि देशी शराब में विदेशी शराब मिलना एक विसंगति बन गई है, जिसके कारण ठेकेदार विदेशी शराब की दुकान में रुचि नहीं ले रहे। शासन को इसकी जानकारी दे दी है। माना जा रहा है कि सरकार ठेके नीलाम करने के लिए कुछ संशोधन कर सकती है।

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