मुंबई । महाराष्ट्र (Maharashtra ) में उपजे राजनीतिक संकट के केंद्र में रहने वाले शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने कभी पार्टी कार्यकर्ता के रूप में राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी और वह अपने संगठनात्मक कौशल तथा जनसमर्थन के बल पर शिवसेना (Shiv Sena) के शीर्ष नेताओं में शुमार हो गए. कभी मुंबई से सटे ठाणे शहर में ऑटो चालक (auto driver) के रूप में काम करने वाले 58 वर्षीय शिंदे ने राजनीति में कदम रखने के बाद बेहद कम समय में ठाणे-पालघर क्षेत्र में शिवसेना के प्रमुख नेता के तौर पर अपनी पहचान बनायी. उन्हें जनता से जुड़े मुद्दों को आक्रामक तरीके से उठाने के लिए पहचाना जाता है.
चार बार बन चुके विधायक
चार बार के विधायक रहे शिवसेना नेता शिंदे वर्तमान में महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार में शहरी विकास और पीडब्ल्यूडी विभाग के मंत्री का प्रभार संभाल रहे हैं. वह राज्य की राजनीति में अपनी सफलता के पीछे पार्टी संस्थापक बाला साहेब ठाकरे का आभार कई बार जताते रहे हैं. नौ फरवरी 1964 को जन्मे शिंदे ने स्नातक की शिक्षा पूरी होने से पहले ही पढ़ाई छोड़ दी और राज्य में उभर रही शिवसेना में शामिल हो गए.
मूलरूप से पश्चिमी महाराष्ट्र के सतारा जिले से ताल्लुक रखने वाले शिंदे ने ठाणे जिले को अपना कार्यक्षेत्र बनाया.पार्टी की हिंदुत्ववादी विचारधारा और बाल ठाकरे के व्यक्तित्व से प्रभावित होकर शिंदे ने शिवसेना का दामन थाम लिया. ठाणे शहर की कोपरी-पंचपखाड़ी सीट से विधायक शिंदे सड़कों पर उतरकर राजनीति करने के लिए पहचाने जाते हैं और उन पर हथियारों के साथ जानबूझकर चोट पहुंचाने और दंगा करने समेत विभिन्न आरोपों में दर्जनों मामले दर्ज हैं.
1997 में चुने गए थे पार्षद
शिंदे 1997 में ठाणे नगर निगम में पार्षद चुने गए थे और इसके बाद वह 2004 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज कर पहली बार विधायक बने थे. शिंदे के कद का अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि उन्हें पार्टी में दूसरे सबसे प्रमुख नेता के रूप में देखा जाता है. शिंदे के बेटे डॉ श्रीकांत शिंदे कल्याण सीट से लोकसभा सदस्य हैं. शिंदे को 2014 में संक्षिप्त अवधि के लिए महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी नियुक्त किया गया था.
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