EVM का राग शुरू, INDIA गठबंधन से उठी मांग- एक चुनाव बैलेट पेपर से हो

नई दिल्ली: देश के कल हुई मतगणना के बाद मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की हार हो चुकी है. सिर्फ तेलंगाना ही ऐसा एक मात्र राज्य है जहां कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है. कांग्रेस की हार पर कई नेताओं और राजनीतिक पंडितों के बयान सामने आ रहे हैं. इसी क्रम में शिवसेना नेता और सांसद संजय राउत का भी बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग की.

कांग्रेस की तीनों राज्यों में हुई हार के बाद INDIA गठबंधन के भविष्य पर सवाल उठने लगे हैं. तमाम पार्टियां कांग्रेस के तौर तरीके पर सवाल उठा रही हैं और नसीहत दे रही हैं की कांग्रेस को सबको साथ लेकर चलना होगा नहीं तो आने वाले चुनावों में उसे बड़ा नुकसान हो सकता है. और ना सिर्फ कांग्रेस बल्कि INDIA गठबंधन पर भी आंच आ सकती है. इसी बीच शिवसेना नेता और सांसद संजय राउत ने भी कांग्रेस को लेकर बयान दिया है.

शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि कल जो नतीजे आए हैं हम उसे स्वीकार करते हैं. हालांकी नतीजे काफी चौकाने वाले थे. खास तौर पर अगर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की बात की जाए तो बीजेपी को बड़ी जीत मिली है इसलिए हम उन्हें बधाई देते हैं. तेलंगाना में राहुल गांधी और उनकी पार्टी की जीत हुई है, वह भी बेहद महत्वपूर्ण है. मैं उन्हें भी बधाई देता हूं. लेकिन कल के नतीजों के बावजूद इंडिया एलायंस पर कोई फर्क नहीं पड़ा है. उन्होंने कहा कि 6 दिसंबर को दिल्ली में इंडिया एलायंस की अहम बैठक होगी. और सारे नेता खरगे जी के घर पर मिलेंगे और आगे की रणनीति के बारे में चर्चा करेंगे. आपको बता दें कि शिवसेना INDIA गठबंधन का हिस्सा है.

एक चुनाव बैलेट पेपर पर लें
शिवसेना नेता ने कहा जो जनादेश आया वह निश्चित ही चौकाने वाला है. लोगों के मन में शंका होती है कि यह कैसे हो गया. लोगों के मन की शंका को दूर करना चाहिए. एक चुनाव आप बैलट पेपर पर कराइए. हम केवल एक चुनाव की बात करते हैं. एक चुनाव बैलट पेपर पर लीजिए, चाहे वह लोकसभा हो या फिर विधानसभा. फिर लोगों को बोलने का मौका नहीं रहेगा. आपका मैजिक चल गया है तो मुम्बई नगर पालिका का भी चुनाव लड़ने की हिम्मत करिए. हम तैयार हैं इस चुनाव के लिए.

कांग्रेस को नसीहत
राउत ने कहा की हमारे INDIA अलाइंस में कुछ पार्टियों के सदस्यों के मन में कुछ गिले शिकवे हैं. कांग्रेस ने छोटे-छोटे घटक दलों को विश्वास में नहीं लिया. अगर आपको यह गठबंधन आगे लेकर जाना है तो पार्टी छोटी हो या बड़ी हो आपको सबको साथ लेकर चलना चाहिए. अगर ऐसा कांग्रेस करती तो शायद पूरा निर्णय ना बदलता लेकिन कुछ और अच्छा हो सकता था.

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