मशहूर शायर राहत इंदौरी सुपुर्दे खाक

इंदौर । करोड़ों लोगों के दिलों पर राज करने वाले मशहूर शायर राहत इंदौरी को मंगलवार रात को सुपुर्दे खाक किया गया। शहर के छोटी खजरानी स्थित कब्रस्‍तान में उन्‍हें कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए दफनाया गया
मशहूर शायर डॉ. राहत इंदौरी का कोरोना संक्रमण के चलते निधन हो गया। उनकी कोरोना जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उन्हें मंगलवार को सुबह अरविंदो अस्पताल में भर्ती किया गया था, जहां शाम को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। अरबिंदो अस्‍पताल से ही उनके शव को एंबुलेंस के जरिए कब्रस्‍तान लाया गया। वहां नमाज अदा की गई। इसके बाद चुनिंदा लोगों की मौजूदगी में उनकी अंत्‍येष्टि की गई।
विदित हो कि इंदौर एमजीएम मेडिकल कॉलेज की सोमवार देर रात जारी की गई जांच रिपोर्ट में डॉ. राहत इंदौर भी संक्रमित पाए गए थे। इसके बाद मंगलवार सुबह उन्हें अरविंदो अस्पताल में भर्ती किया गया। इसकी जानकारी उन्होंने खुद अपने ट्वीटर और फेसबुक अकाउंट पर भी दी थी। मंगलवार शाम को अचानक उन्हें दिल के दो दौरे पड़े और उन्होंने अस्पताल में ही अंतिम सांस ली। डाक्टरों के अनुसार उनके दोनों फेफड़ों में कोरोना का संक्रमण, किडनी में सूजन थी और सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। अरविंदों अस्पताल के चिकित्सकों ने उनके निधन की पुष्टि की है।
राहत इंदौर का जन्म एक जनवरी 1950 को इंदौर में हुआ था। उनके पिता रफ्तुल्लाह कुरैशी एक कपड़ा मिल में काम करते थे। शहर के नूतन विद्यालय में प्रारंभिक शिक्षा के बाद उनकी पढ़ाई आयके कॉलेज में हुई। भोपाल के बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय से उर्दू में एमए करने के बाद राहत इंदौरी ने भोज मुक्त विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में पीएचडी की उपाधि हासिल की। उन्होंने अपनी शायरी से दुनिया में अपनी पहचान बनाई। उन्होंने फिल्मों में गीत भी लिखे। अपनी शायरी के लिए राहत इंदौरी का नाम पूरी दुनिया में मशहूर हैं। इंदौर का नाम पूरी दुनिया में रोशन करने वाला यह शायर कोरोना वायरस संक्रमण से हार गया।
यहां से शुरू हुआ शायरी का शौक
70 के दशक में स्कूल पास करने के बाद हम राहत साहब कॉलेज पहुंचे, तब उन्हें शायरी का शौक लगा। वे शायरी तो नहीं करते थे, लेकिन शौक ऐसा था कि उन्होंने नए-पुराने शायरों की एक हजार से ज्यादा शायरी याद कर ली थी। कॉलेज में छोटी-मोटी शायरी करते थे। एक बार हमारे कॉलेज में गीतकार जावेद अख्तर के पिता प्रसिद्ध शायर जान निसार अख्तर आए हुए थे।

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