वित्त मंत्री ने चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर 7.4 फीसदी रहने का अनुमान जताया

-कहा, राजनीतिक दल मुफ्त उपहार पर होने वाले खर्च का सरकार के बजट में करें प्रावधान

नई दिल्ली/मुंबई। देश (country’s ) का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर (Gross Domestic Product (GDP) growth rate ) वित्त वर्ष 2022-23 (fiscal year 2022-23) में 7.4 फीसदी (Estimated 7.4 percent) रहने का अनुमान है। अगले वित्त वर्ष 2023-24 (fiscal year 2023-24) में भी इसके इसी स्तर पर रहने की उम्मीद है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा कि चालू वित्त वर्ष के दौरान जीडीपी वृद्धि दर 7.4 फीसदी रहने का अनुमान है। इसके अगले वित्त वर्ष 2023-24 में भी इसी स्तर पर रहने की उम्मीद है। सीतारमण ने कहा कि चुनाव से पहले मुफ्त उपहार का वादा करने वाले राजनीतिक दलों को सत्ता में आने पर इन उपहारों पर होने वाले खर्च का बजट में प्रावधान करना चाहिए।

निर्मला सीतारमण ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक ने अगले दो वित्त वर्ष के लिए भारत की वृद्धि दर सबसे तेज रहने का अनुमान जताया है। उन्होंने कहा कि उनका अनुमान रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के अनुमान से भी मेल खाता है। वित्त मंत्री ने कहा कि वैश्विक स्थिति लगातार चुनौतीपूर्ण बनी हुई है। ऐसे में अभी हालात को लेकर सावधान रहने की जरूरत है।

सीतारमण ने अमेरिका के उप वित्त मंत्री से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर चर्चा की
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अमेरिका के उप वित्त मंत्री वैली अडेयेमो से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान निर्मला सीतारमण ने वैली अडेयेमो से वैश्विक अर्थव्यवस्था एवं वित्तीय क्षेत्र के मुद्दों पर बातचीत की।

वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को ट्वीट कर इसकी जानकारी देते हुए बताया कि ‘वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और अमेरिकी उप वित्त मंत्री वैली अडेयेमो ने वर्ष 2023 में भारत की जी-20 की अध्यक्षता के बारे में बात की। दोनों नेताओं के बीच बातचीत के दौरान भारत-अमेरिकी साझेदारी बढ़ाने के लिए किन-किन क्षेत्रों में सहयोग किया जा सकता है, इस बारे में भी विस्तृत चर्चा हुई।

उल्लेखनीय है कि भारत अगले वर्ष विश्व की 20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं का समूह (जी-20) शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। एक दिसंबर, 2022 से लेकर 30 नवंबर, 2023 तक भारत जी-20 का अध्यक्ष भी होगा।

दरअसल जी-20 दुनिया के बीस देशों के वित्त मंत्रियों और सेंट्रल बैंक के गवर्नर्स का समूह है, जिसमें भारत सहित 19 देश और यूरोपीय संघ भी शामिल है। (एजेंसी, हि.स.)

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