उज्जैन भैरवगढ़ जेल में बंद हैं फांसी की सजा वाले 4 कैदी

  • तारीख तय होने पर जबलपुर जेल ले जाकर दी जाएगी फांसी

उज्जैन। उज्जैन की केंद्रीय जेल भैरवगढ़ में इन दिनों 4 ऐसे कैदी बंद हैं, जिन्हें न्यायालय ने संगीन अपराध करने के कारण फांसी की सजा सुनाई है। ये अभी जिंदा हैं, मगर हर सांस के साथ मौत इन्हें याद दिलाती है कि वो उनके सिर पर हर पल मंडरा रही है। हर आहट उन्हें जिंदगी की आखिरी आहट ही लगती है। इनमें दो अपराधी मंदसौर के रहने वाले हैं और दो अन्य जिले के हैं। भैरवगढ़ जेल अधीक्षक मनोज साहू ने बताया कि उज्जैन जेल में बंद चारों कैदियों को कोर्ट ने मौत की सजा सुनाते हुए फांसी मुकर्रर की है, लेकिन अभी तारीख तय नहीं। बता दें कि फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद अपराधी डिप्रेशन में आ जाते हैं। इनके लिए जेल में बिताया एक-एक दिन भारी हो जाता है। ऐसे में कई बार ये आत्मघाती कदम उठा लेते हैं। कहीं ये ऐसा न कर लें इसके लिए इनकी प्रतिदिन चैकिंग की जाती है। जेल प्रहरियों को भी इन कैदियों पर खास नजर रखने की हिदायत दी जाती है। जेल प्रशासन ऐसे कैदियों को बताता है कि वे कोर्ट के निर्णय के बाद भी अपील कर सकते हैं, वहीं मौत की तारीख तय होने की स्थिति में अपराधी को जबलपुर ले जाकर फांसी दी जाती है।


जबलपुर में बना हैं फांसी का तख्ता
श्री साहू ने बताया कि जबलपुर स्थित केंद्रीय जेल के पश्चिम भाग में फांसी का तख्ता बना हुआ है। तख्ते के साथ एक कमरानुमा क्षेत्र है। जहां फांसी के लिए पूर्व अभ्यास किया जाता है। इसके लिए एक लकड़ी का पुतला तैयार किया गया है, जिसको वरिष्ठ जेलर के चार्ज में रखा गया है। इसे रामसिंह नाम दिया गया है। जब भी फांसी दी जाती है। उस समय नई रस्सी लाई जाती है और लकड़ी के इस पुतले से अभ्यास एवं जल्लाद के मार्गदर्शन में फांसी पूर्व की व्यवस्था प्लेटफार्म के ऊपर की जाती है। जबलपुर जेल में अब तक करीब 234 लोगों को फांसी पर लटकाया जा चुका है। प्रदेश में आखिरी फांसी 1997 में केंद्रीय जेल जबलपुर में कामता प्रसाद को दी गई थी।

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