अंधेरे से मुक्ति, 13 नए ग्रिड बनेंगे

ढक्कनवाला कुआं, पंचकुइया, सिरपुर, रसोमा, देवास नाका… जीत नगर में तैयारी
आगामी 10 वर्षों तक बेहतर बिजली देने की तैयारी, बिजली वितरण क्षमता 65 मेगावाट बढ़ेगी
इन्दौर। प्रदेश (State) का सबसे बड़ा शहर इंदौर (Indore) लगातार बढ़ता जा रहा है। इसके विस्तार को देखते हुए बिजली (Electricity) की बेहतर और चाक-चौबंद व्यवस्था जारी रहे, इसके लिए इंदौर बिजली कंपनी (Indore Electricity Company) ने शहर में 6 और जिले में 7 नए ग्रिड (Grid) बनाने की तैयारी कर ली है। इस पर काम भी शुरू हो गया है। इंदौर शहरी सीमा में बिजली कंपनी के पास तकरीबन 7 लाख से ज्यादा घरेलू, व्यावसायिक और अन्य बिजली कनेक्शन (Electricity Connection)  वाले उपभोक्ता हैं। शहर लगातार बढ़ रहा है और बिजली उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं (Consumers) की संख्या भी बढ़ रही है।

बिजली कंपनी ने आने वाले 10 साल में इंदौर शहर की बढ़ोतरी को देखते हुए 13 नए ग्रिड बनाने की तैयारी शुरू कर दी है, जो आगामी 6 महीने में बनकर तैयार हो जाएंगे। इससे बिजली की बेहतर सप्लाई शहरवासियों को मिलेगी। सात स्थानों पर कार्य प्रारंभ भी हो चुका है। इनमें से कई ग्रिड अगले 6 माह में न केवल बनकर तैयार हो जाएंगे, बल्कि इनमें से अधिकांश से बिजली वितरण भी प्रारंभ हो जाएगा। बिजली कंपनी ने इंदौर जिले में 33/11 केवी के 13 नए ग्रिड की मंजूरी देकर जमीन विधिवत रूप से ग्रिड बनाने वालों को हस्तांतरित की है। जिले के ग्रामीण क्षेत्र में इमलीखेड़ा, राजोदा, गंगाडेम पिवड़ाय, बडिय़ाकीमा, लिंबोदागारी, दतोदा, गवली पलासिया में ग्रिड का निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। इंदौर शहर के ढक्कनवाला कुआं, पंचकुइया, सिरपुर धार रोड, जीत नगर, रसोमा चौराहा, देवास नाका क्षेत्र में 33/11 केवी के ग्रिड तैयार होंगे। प्रत्येक जगह पांच मेगावॉट क्षमता के ग्रिड बनेंगे। इस तरह इंदौर जिले के 13 नए ग्रिडों से कुल 65 मेगावॉट विद्युत वितरण क्षमता का और विस्तार होगा। कार्यों पर 30 करोड़ से ज्यादा का व्यय होगा। प्रबंध निदेशक अमित तोमर ने शहर एवं ग्रामीण क्षेत्र दोनों के ग्रिड के समय पर गुणवत्तापूर्ण निर्माण में पर्यवेक्षण का दायित्व शहर एवं ग्रामीण अधीक्षण यंत्री को सौंपा है।

ट्रिपिंग और वोल्टेज की समस्या होगी दूर
लगातार बढ़ते शहर के कारण बिजली लाइन और लोड बढ़ रहा है। नए ग्रिड बनने के बाद बिजली लाइनों की क्षमता सुदृढ़ होगी और दूरी भी कम होगी, जिसके कारण बार-बार की ट्रिपिंग से मुक्ति मिलेगी और लो वोल्टेज की समस्या न्यूनतम होगी।

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