महानगरों की तर्ज पर उज्जैन में भी सिगरेट के छल्ले उड़ाती दिख रही हैं लड़कियाँ

  • 8 प्रतिशत लड़कियाँ जो पढ़ाई कर रही हैं वे धूम्रपान भी कर रही है.

उज्जैन। उज्जैन शहर जितनी तेजी से परिवर्तित होता जा रहा है, उतनी ही तेजी से नशा भी युवाओं को अपनी चपेट में ले रहा है। कालेज जाने वाले छात्रों के साथ अब स्कूली छात्र भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। गलत संगत और खुद को हाईटेक और कूल दिखाने के चक्कर में बच्चे भी इसकी लत में फंसते जा रहे हैं। ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे की रिपोर्ट में चार प्रतिशत लड़के, वहीं तीन प्रतिशत लड़कियां नशे की आदी बताई गई हैं। स्कूल और कालेज के विद्यार्थी, मजदूर और शिक्षित वर्ग अवेयरनेस के बाद भी तम्बाकू के सेवन के चलते कैंसर की चपेट में आ रहे हैं। स्कूलों में औचक निरीक्षण के दौरान बस्तों में ई सिगरेट पाई जा रही है, वहीं सरकारी निर्देश और प्रावधानों के बावजूद प्रशासन के जिम्मेदारों के पास इस ओर ध्यान देने का समय ही नहीं है। उज्जैन शहर में कैंसर मरीजों में मुख्य तौर पर मुख और गले के कैंसर मरीज हैं। तम्बाकू के सेवन और धूम्रपान की लत के कारण इन मरीजों का आंकड़ा 33 प्रतिशत है।

कैंसर अस्पताल में प्रतिवर्ष 600 से 1 हजार मरीज कैंसर के इलाज के लिए पहुंचते हैं। कई मामलों में ऑपरेशन के बाद मरीजों की जान बचाई जा पाती है, जबकि ज्यादातर मामलों में कई तरह की विकृतियां शारीरिक रूप से हमेशा के लिए रह जाती हैं। वल्र्ड तम्बाकू निषेध दिवस के दिन ही शहर में गौरव दिवस के नाम पर हजारों की भीड़ जुटाई जा रही है, लेकिन अवेयरनेस के लिए प्रशासन के पास कोई प्लानिंग ही नहीं है।शहर में संचालित स्कूलों के 100 मीटर के दायरे में बेखौफ गुटखा, पान, तम्बाकू और सिगरेट बेचने का काम धड़ल्ले से संचालित किया जा रहा है। सरकारी दफ्तरों के बाहर भी गुमटियां धुआं उगल रही हैं। लेटनाइट कल्चर के चलते युवाओं में लड़कों के साथ लड़कियां भी धुएं के गुबार उड़ाते नजर आ रही हैं। प्रशासनिक संकुल हो या स्वास्थ्य विभाग के अस्पताल के बाहर गुमटियां धड़ल्ले से तम्बाकू, बीड़ी, सिगरेट बेच रही हैं और प्रशासन आंखें मूंदे सोया है। विश्व तम्बाकू निषेध दिवस का इस साल विषय हमें भोजन चाहिए, तम्बाकू नहीं की थीम पर रखा गया है। किसानों को खेतों में तम्बाकू के बजाय खाद्य फसलों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए यह थीम रखी गई है। सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार हर साल 13 से 14 लाख लोग पूरे भारत में तम्बाकू की वजह से मौत के शिकार हो रहे हैं। ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे के अनुसार 34.2 प्रतिशत युवा तम्बाकू का सेवन करते हैं, जबकि कानून की धारा 4 में सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर प्रतिबंध है।

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