GPS-आधारित हाईवे टोल कलेक्शन शुरू करने के लिए सरकार जल्द ही लाएगी टेंडर, गडकरी का एलान

नई दिल्ली। सरकार (Government) जल्द ही राष्ट्रीय राजमार्गों पर जीपीएस-आधारित हाईवे टोल (GPS-Based Highway Toll) संग्रह प्रणाली लागू करने के लिए टेंडर (tender) जारी करेगी। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने बुधवार को यह जानकारी दी।
गडकरी ने कहा कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) की जीपीएस-आधारित टोल प्रणालियों की पायलट परियोजनाएं सफल रही हैं। और सरकार जल्द ही इस नई टोल संग्रह प्रणाली को लागू करने के लिए टेंडर जारी करेगी।

उन्होंने नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में कहा, “देश में टोल प्लाजा को बदलने के लिए राष्ट्रीय राजमार्गों पर जीपीएस-आधारित टोल प्रणालियों की पायलट परियोजनाएं सफल रही हैं… हम जल्द ही राष्ट्रीय राजमार्गों पर जीपीएस-आधारित टोल संग्रह प्रणाली शुरू करने के लिए टेंडर जारी करेंगे।”

इस कदम का मकसद यातायात की भीड़ को कम करना और राजमार्गों पर तय की गई सटीक दूरी के लिए मोटर चालकों से शुल्क लेना है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने वाहनों को रोके बिना ऑटोमैटिक टोल संग्रह को सक्षम करने के लिए ऑटोमैटिक नंबर प्लेट पहचान प्रणालियों (ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रीडर कैमरा) की दो पायलट परियोजनाएं चलाई हैं।

इस महीने की शुरुआत में, लोकसभा में लिखित उत्तर में, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने कहा था कि सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्गों पर जीपीएस-आधारित टोल संग्रह प्रणाली को लागू करने के लिए एक सलाहकार नियुक्त किया है।

2018-19 के दौरान, टोल प्लाजा पर वाहनों के लिए औसत वेटिंग टाइम 8 मिनट था। 2020-21 और 2021-22 के दौरान FASTag (फास्टैग) की शुरुआत के साथ, वाहनों का औसत प्रतीक्षा समय घटकर 47 सेकंड हो गया। हालांकि कुछ जगहों पर, विशेष रूप से शहरों के पास, घनी आबादी वाले शहरों में प्रतीक्षा समय में काफी सुधार हुआ है। फिर भी भीड़भाड़ वाले घंटों के दौरान टोल प्लाजा पर कुछ देरी होती है।

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