नक्शे में उलझकर रह गई हाउसिंग बोर्ड की गोयलाखुर्द आवास योजना

  • दो साल पहले कार्रवाई कर अवैध कब्जे से मुक्त कराई थी 4 हेक्टेयर जमीन -आवासीय व व्यवसायिक निर्माण होने थे

उज्जैन। आज से करीब दो साल पहले हाउसिंग बोर्ड ने इंदौर रोड पर गोयलाखुर्द गाँव में बड़ी कार्रवाई कर वहाँ विभाग की जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त कराया था तथा यहाँ लगभग 4 हेक्टेयर जमीन आवासीय प्लाट सहित व्यवसायिक निर्माण का प्रोजेक्ट बनाया था। यह प्रोजेक्ट नक्शे में उलझकर रह गया और रेरा से अनुमति भी नहीं मिल रही है।
हाउसिंग बोर्ड ने गोयलाखुर्द गाँव में 7 जनवरी 2020 को बड़ी कार्रवाई कर विभाग की 4 हेक्टेयर जमीन को अपने कब्जे में लिया था। कोर्ट के निर्देश पर तब हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों ने यह जमीन कब्जे से मुक्त कराई थी। इसके बाद हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों ने कहा था कि यहाँ करीब 4 हेक्टेयर जमीन शासन ने कुछ साल पहले विभाग को हैंडओवर की थी। उसके बाद इस जमीन पर हाउसिंग बोर्ड की आवासीय योजना के अलावा अन्य कमर्शियल व कई योजनाएँ बनाकर काम शुरु कराया था। इतना ही नहीं इस जमीन के करीब 25 फीसदी भाग पर आवासीय निर्माण योजना के तहत 33 मकान भी हाउसिंग बोर्ड ने बनाए थे। 2011 में बने इन मकानों को लोगों को आवंटित भी कर दिया गया था। शेष जमीन पर तैयार लेआउट के अनुसार अन्य विकास कार्य किए जाने थे लेकिन कुछ लोगों ने यहाँ अवैध कब्जा कर फूलों तथा सब्जी की खेती के साथ-साथ नर्सरी और झोपड़ी आदि बनाकर अतिक्रमण कर लिए थे।

इस जमीन के एवज में शासन को हाउसिंंग बोर्ड द्वारा निर्धारित राशि भी जमा करा दी गई थी। यहाँ हुए अतिक्रमण को लेकर मामला कोर्ट तक पहुँच गया था, वहाँ से भी कई बार माननीय कोर्ट ने हाउसिंग बोर्ड के पक्ष में फैसला दिया था। इसी के चलते दो साल पहले पुलिस प्रशासन और नगर निगम के सहयोग से विभाग की जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराने की कार्रवाई की गई थी। जिसके बाद इस जमीन पर 185 प्लाट विकसित करने तथा 160 आवास बनाने के प्रोजेक्ट बनाए थे। योजना में परिसर में 25 व्यवसायिक भवनों के निर्माण के साथ ही परिसर में दो गार्डन के अलावा एक प्रवेश तथा एक निर्गम द्वारा भी बनाने की प्लानिंग हुई थी। इसके अतिरिक्त कॉलोनी में लोगों की सुविधा के लिए अंडर ग्राउंड ड्रेनेज तथा बिजली की लाईन भूमिगत करने, पानी की टंकी और सीसी रोड तथा चारों ओर बाउंड्री बनना शामिल है। योजना के 160 आवासों में 67 एमआईजी सीनियर, 46 जूनियर एमआईजी, 20 एलआईजी तथा 17 ईडब्ल्यूएस भवनों का निर्माण होना प्रस्तावित किया गया था। अधिकारियों का कहना था कि वर्ष 2013 में सुप्रीम कोर्ट का पक्ष में फैसला आने के बाद टीएनसीपी से भी कॉलोनी का नक्शा पास करा लिया गया था। इसके साथ ही दो साल पहले निर्माण हेतु रेरा से अनुमति भी माँगी गई थी। इस बीच प्रोजेक्ट के नक्शे में आसपास की कॉलोनियों तथा मुख्य मार्ग से कॉलोनी की कनेक्टिविटी का उल्लेख नहीं होने से मामला अटक गया। अब फिर से इसमें सुधार किया जा रहा है।

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