कैसे बना अतीक अहमद यूपी का डॉन, जेल में रहकर भी रचता था षड़यंत्र ?

प्रयागराज (Prayagraj)। उत्‍तरप्रदेश (UP) का माफिया डॉन अतीक अहमद (mafia don atiq ahmed) का नाम शायद ही कोई न जानता हो, लेकिन शनिवार रात अतीक अहमद एवं उसके भाई मोहम्मद अशरफ (Ateeq Ahmed and his brother Mohammad Ashraf) की अज्ञात बदमाशों ने मीडिया के सामने ही गोली मारकर हत्‍या कर दी। जिससे प्रयागराज (Prayagraj) और पूरे उत्तर प्रदेश में आतंक का पर्याय बने अतीक अहमद (ateek Ahmed) का नाम भी मिट्टी में मिल गया।

बता दें कि अतीक अहमद एवं अशरफ की तबीयत अस्वस्थ चल रही थी। दोनों को पुलिस सुरक्षा के साथ काल्विन अस्पताल मेडिकल के लिए लाये थे। इसी दौरान अचानक अज्ञात बदमाशों ने अतीक की कनपटी पर सटाकर गोली मार दी।

कैसे बना अतीक अहमद यूपी का माफिया
दूसरी तरफ बड़े-बड़े अपराधियों के लिए भी अतीक का नाम ही काफी था। जिस प्रयागराज में एक समय अतीक की ऐसी तूती बोलती थी, उसी जगह पर उसका और उसके भाई का यह हश्न होगा, किसी ने सोचा नहीं था।

अतीक के अंत के साथ ही उसकी आपराधिक कुंडली एक बार फिर से चर्चा में आ गई है। लोग जानना चाहते हैं कि अतीक के अपराधों की शुरुआत कहां से हुई? 1980 के दशक के सबसे खूंखार अपराधी चांद बाबा से अतीक का क्या रिश्ता है? अतीक ने अपने ही गुरू चांद बाबा की हत्या क्यों की? और तो और अतीक के अपराधों की फेहरिस्त कितनी लंबी थी?

बताया जाता है कि 1980 के दशक में चांद बाबा प्रयागराज में अपराध की दुनिया का दूसरा नाम हुआ करता था। उसका खौफ इतना था कि पुलिस अधिकारी भी उस पर हाथ डालने से डरते थे। कहा जाता है कि चांद बाबा के मंसूबे इतने बढ़े हुए थे कि एक बार उसने प्रयागराज की एक कोतवाली पर इतने बम बरसाए कि पूरी रात कोतावली व आसपास के लोग सो नहीं पाए। उसे लोग शौक-ए-इलाही उर्फ चांद बाबा के नाम से जानते थे। चांद बाबा के बढ़ते दबदबे से पुलिस तो परेशान थी, बल्कि नेता भी उसके खौफ को खत्म करना चाहते थे।


अतीक और चांद बाबा के बीच क्या रिश्ता था

अतीक और चांद बाबा के बीच रिश्ते के बारे में कई कहानियां प्रचलित हैं। कई लोग चांद बाबा को अतीक का राजनीतिक गुरू बताते हैं तो कुछ दोस्त। कहानियां भले भी कैसी भी हों, लेकिन दोनों के गैंग के बीच दुश्मनी की कहनी भी किसी से छिपी नहीं है।

खबरों की माने तो अतीक को शुरुआत से ही पैसा कमाने का शौक था। पैसा कमाने के लिए उसने शॉर्टकट रास्ते को अपनाया और डरा धमकाकर लोगों से रंगदारी वसूलने लगा। यह वह दौर था जब चांद बाबा के नाम की प्रयागराज में तूती बोलती थी और लोग उसके खौफ को खत्म करना चाहते थे। लिहाजा अतीक के मंसूबे बढ़ते चले गए और उसने चांद बाबा से दुश्मनी मोल ले ली। अतीक को पुलिस के साथ सियासी समर्थन भी मिला और उसने 1989 में इलाहाबाद पश्चिमी सीट से विधानसभा चुनाव का रुख किया। यहां उसकी सीधी लड़ाई चांद बाबा से थी। लिहाजा दोनों के गैंग के बीच गैंगवार शुरू हो गई।

जब अतीक बना अपराध का बेताज बादशाह
रौशन बाग इलाके में चांद बाबा और अतीक के गैंग के बीच भीषण गैंगवार हुआ। इसमें चांद बाबा मारा गया और इसी के साथ अतीक प्रयागराज का नया माफिया बनकर उभरा। जब तक पुलिस इस गैंगवार में अतीक पर कोई कार्रवाई करती विधानसभा चुनाव के नतीजे जारी हो गए, जिसमें अतीक चुनाव जीत गया और यहीं से वह राजनीति में आगे बढ़ता चला गया।

बता दें, अतीक को जब उमेश पाल अपहरण केस में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई तब उस पर 100 से ज्यादा मामले दर्ज थे। एक समय ऐसा था जब जज अतीक के केस की सुनवाई से अपने नाम तक वापस ले लेते थे। उमेश पाल अपहरण मामला ऐसा पहला केस था, जिसमें अतीक को सजा हुई, लेकिन अतीक अहमद एवं अशरफ दोनों को पुलिस सुरक्षा के साथ काल्विन अस्पताल मेडिकल के लिए लाये थे। इसी दौरान अचानक अज्ञात बदमाशों ने अतीक की कनपटी पर सटाकर गोली मार दी।

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