कैसे देखते-देखते बदलने लगा कश्मीर

– आर.के. सिन्हा

अगर किसी ने फैसला ही कर लिया है कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विरोध करना नहीं छोड़ेगा तो बात अलग है, पर हाल ही में उनकी (मोदी जी) श्रीनगर यात्रा के समय जिस तरह का उमंग और उत्साह के साथ स्वागत हुआ उससे सारा देश आश्वस्त महसूस कर रहा है। एक यकीन होने लगा है कि अब कश्मीर देश की मुख्यधारा से जुड़ गया है। प्रधानमंत्री मोदी की जनसभा में उमड़ा जनसैलाब अविश्वसनीय था। सभास्थल बख्शी स्टेडियम में मोदी जी का भाषण सुनने के लिए हजारों लोगों की वक्त से बहुत पहले से ही लाइनें लग गई थीं। इनमें कश्मीरी औरतें भी भारी संख्या में थीं। याद नहीं आता कि जब किसी प्रधानमंत्री का घाटी में इतना गर्मजोशी से स्वागत किया गया हो। इसके पहले लगभग चालीस वर्ष पहले पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का लगभग ऐसा ही स्वागत हुआ था श्रीनगर में।

प्रधानमंत्री की सभा की समाप्ति के बाद लोगों के चेहरों पर प्रसन्नता और आशा की मिली-जुली रेखाओं को पढ़ा जा सकता था। एक खबरिया टीवी चैनल पर स्थानीय निवासी गुलाम भट्ट कह रहे थे, “मुझे यकीन है कि पीएम मोदी हमारी सेवाओं को नियमित कराएंगे। वह अकेले ही इसे पूरा कर सकते हैं। जम्मू-कश्मीर में अब तक सभी सरकारों ने हमसे केवल खोखले वादे किए हैं।”

रैली में इतनी बड़ी संख्या में आए लोगों की सुरक्षा के प्रबंधन में स्थानीय पुलिस सबसे आगे थी। जनता ने पुलिस द्वारा बताए गए हर सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन किया। जम्मू-कश्मीर पुलिस के उप-निरीक्षक सुलेमान खान ने कहा, “यह पीएम मोदी की वजह से हुआ है। अब हमारी वर्दी का सम्मान है। हमने कश्मीर में वह दौर भी देखा है, जब पुलिसकर्मी पत्थरबाजों और राष्ट्र-विरोधी तत्वों के डर से अपना पहचान पत्र नहीं रखते थे। कश्मीर में यह परिवर्तन किसने संभव किया? यह मोदीजी और उनका दृढ़ संकल्प है कि कश्मीर में कानून का शासन वापस आया।”

मुझे मेरे कश्मीर में रहने वाले कई मित्रों ने बताया कि रैली के बाद लोग कश्मीर में अपने परिवार और दोस्तों के साथ रैली के बारे में जिस तरह से बातें कर रहे हैं, उससे यह स्पष्ट है कि लोग स्वेच्छा से वहां पहुंचे थे। हजारों लोग गर्व से बता रहे हैं कि उन्होंने बख्शी स्टेडियम में मोदी जी का भाषण सुना। प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस अनुपम अवसर का भरपूर फायदा उठाया। उन्होंने जम्मू-कश्मीर को देश का मुकुट बताते हुए प्रदेश का डवलपमेंट प्लान सबके सामने रख दिया। उन्होंने कहा कि एक विकसित जम्मू-कश्मीर विकसित भारत की प्राथमिकता है। जम्मू-कश्मीर आज विकास की नई ऊंचाइयों को छू रहा है क्योंकि वह खुलकर सांस ले रहा है। ये वो नया जम्मू कश्मीर है, जिसका इंतजार हम सभी को कई दशकों से था। इस नए जम्मू कश्मीर की आंखों में भविष्य की चमक है, इस नए जम्मू कश्मीर के इरादों में चुनौतियों को पार करने का हौसला है।

अगर बात प्रधानमंत्री मोदी की रैली से हटकर करें तो कश्मीर की जनता देख रही है कि पाकिस्तान के कब्जे वाले पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में कितने बदतर हालात हैं। वहां दिन में कम से कम दसेक घंटे तक बिजली नहीं आती। वहां रोजगार नाम की कोई चीज नहीं है। सोशल मीडिया के दौर में अब कुछ भी छिपा नहीं है। कश्मीर घाटी की जनता यह भी देख रही है कि पीओके में पाकिस्तान सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ उग्र प्रदर्शन हो रहे हैं। पिछले छह महीनों से महंगाई, अप्रत्याशित बिजली बिल और अन्य करों के विरोध में प्रदर्शन जारी है। इतना ही नहीं, वहां पर प्रशासन के खिलाफ सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हो गया है। बिजली के भारी बिलों और करों को लेकर लोगों का आंदोलन शुरू किया था।

इस बीच, अब बहुत साफ है कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 का कोई मसला ही नहीं रहा। एक तरह से आप कह सकते हैं कि राज्य की जनता अब अनुच्छेद 370 से आगे निकल चुकी है। जैसी उम्मीद थी कि इसे हटाए जाने के बाद राज्य का सर्वांगीण विकास और रफ्तार पकड़ लेगा, अब वही हो रहा है। केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में सबको विश्वास में लेकर ही आगे बढ़ना चाहती है। इसका प्रमाण है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राज्य के 14 शिखर नेताओं से मिल भी चुके हैं। हालांकि अफसोस होता है कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने के सवाल पर कांग्रेस का रवैया बेहद खराब रहा है। कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह कहते रहे हैं कि केन्द्र में उनकी पार्टी की सरकार आएगी तो वे संविधान के अनुच्छेद 370 को दोबारा बहाल कर देंगे।

देखिए, आपको कश्मीर घाटी के बदले हुए मिजाज को देखने-समझने के लिए राजधानी के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट में गोवा जाने वाली फ्लाइट के मुसाफिरों को देख लेना चाहिए। यकीन मानिए कि हरेक फ्लाइट में कई कश्मीरी परिवार भी यात्रा कर रहे होते हैं। चूंकि श्रीनगर से गोवा की कोई डायरेक्ट नहीं है तो ये दिल्ली से गोवा मौज-मस्ती के लिए जा रहे होते हैं। यानी जिस कश्मीर में शेष भारत से लोग पहुंचते हैं, वहां के लोग गोवा छुट्टियां मनाने के लिए जाते हैं। यह कश्मीरी गोवा जाने से पहले कुछ दिन दिल्ली में अपने रिश्तेदारों के साथ रहते हैं। यह उसके बाद गोवा जाते हैं। गोवा से वापसी के बाद भी दिल्ली में रुकते हैं। मुझे कुछ कश्मीरियों ने बताया कि उन्हें गोवा का खुला माहौल पसंद आने लगा है। जब कश्मीर जाड़ों में ठिठुर रहा होता है तो सैकड़ों कश्मीरी गोवा का रुख कर लेते हैं। कश्मीरियों के दिल में बसने लगे हैं गोवा के बीच (समुद्र का किनारा), वहां की डिशेज और समावेशी समाज। आपको साऊथ और नॉर्थ गोवा के होटलों में हर सीजन में बहुत सारे कश्मीरी परिवार मिलेंगे।

जम्मू-कश्मीर बदलता जा रहा है। वहां अब पृथकतावादी ताकतों के लिए जगह नहीं है। संविधान के दायरे में रहकर आप सरकार से जो चाहें मांग करें, यह आपका हक है। पर वहां या कहीं भी देश विरोधी ताकतों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अब देश का सिर्फ एक लक्ष्य है विकास करना। इस रास्ते में अवरोध खड़ा करने वालों को देश स्वीकार नहीं करेगा।

(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार और पूर्व सांसद हैं)

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