चीन-पाकिस्तान में हो रहा मानवाधिकारों का हनन, UN में उठा मामला

जिनेवा (Geneva)। चीन (China) द्वारा शिनजियांग (Xinjiang) में उइगर मुस्लिमों (Uyghur Muslims) पर की जा रही बर्बरता और पाकिस्तान (Pakistan) की ओर से पीओके तथा गिलगित-बाल्टिस्तान (PoK and Gilgit-Baltistan) में नागरिक संसाधनों के दुरुपयोग के मामले एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र (United Nations) में उठाए गए हैं। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 55वें आम सत्र की 38वीं बैठक में उइगरों का मुद्दा मानवाधिकार कार्यकर्ता शुनिची फुजिकी ने तथा पीओके का मुद्दा यूकेपीएनपी के सूचना सचिव साजिद हुसैन ने उठाया।

शुनिची फुजिकी ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में कहा, चीन अब भी पूरे प्रांत में उइगरों का उत्पीड़न कर रहा है। इन्हें धार्मिक अधिकारों सहित शिक्षा, संस्कृति व रोजगार से भी वंचित किया जा रहा है। फुजिकी ने शिनजियांग में उइगर विरोधी व्यवस्थित मानवाधिकार हनन पर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने क्षेत्र में पहुंच देने से चीन के इन्कार, प्रणालीगत भेदभाव, बड़े पैमाने पर मनमानी हिरासत व जबरन श्रम रिपोर्टों के स्वतंत्र सत्यापन में बाधा डालने का आरोप लगाया। फुजिकी ने व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्रों में बड़े पैमाने पर नजरबंदी का हवाला देते हुए अद्वितीय उइगर पहचान व संस्कृति को मिटाने के चीनी प्रयासों को रेखांकित किया।

पाकिस्तानी शासन के खिलाफ उबाल
साजिद हुसैन ने जम्मू-कश्मीर संयुक्त अवामी के नेतृत्व में जारी आंदोलन, धरने व सविनय अवज्ञा एक्शन कमेटी के बिजली-करों के खिलाफ प्रदर्शन, प्राकृतिक संसाधनों पर नियंत्रण, आवश्यक वस्तुओं पर सब्सिडी की मांग के मुद्दे उठाए। हालात यहां तक हैं कि अब सब्सिडी खत्म होने से गेहूं और आटा तक मुहाल हो गया है। क्षेत्र में अपराध भी लगातार बढ़ रहे हैं। बुरे हालात के चलते लोगों में काफी उबाल है।

चीन पर तत्काल कार्रवाई का आग्रह
शुनिची फुजिकी ने यूएनएचआरसी से तत्काल कार्रवाई का आग्रह किया। उन्होंने पर्यवेक्षकों के लिए शिनजियांग में मुफ्त पहुंच, मनमाने ढंग से पकड़े गए लोगों की रिहाई और यातना, जबरन श्रम और सांस्कृतिक आत्मसात के आरोपों की व्यापक जांच का आह्वान किया। उन्होंने सदस्य देशों से शिनजियांग में जबरन श्रम से उत्पादित वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगाने वाला कानून बनाने की अपील भी की। उन्होंने नस्लीय भेदभाव के उन्मूलन पर संयुक्त राष्ट्र समिति की 2023 की रिपोर्ट का भी हवाला दिया, जिसमें धार्मिक प्रथाओं पर प्रतिबंध और जबरन नसबंदी पर चिंता जताई गई थी।

पीओके में भी संयुक्त राष्ट्र का दखल जरूरी
मानवता-सामाजिक अधिकार कार्यकर्ता और संयुक्त कश्मीर पीपुल्स नेशनल पार्टी (यूकेपीएनपी) के यूरोप जोन में सूचना सचिव, साजिद हुसैन ने यूएनएचआरसी के 55वें सत्र की 38वीं बैठक में भाग लिया। उन्होंने बताया कि कैसे पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्रों तथा गिलगित बाल्टिस्तान (जीबी) में लोग पाकिस्तानी प्रशासन से पीड़ित हैं। हुसैन ने पीओके व जीबी में गंभीर मानवाधिकार स्थिति की ओर आकर्षित करते हैं। यहां तत्काल संयुक्त राष्ट्र का दखल जरूरी है।

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